प्रायश्चित्त (नाटक)
दिखावट
प्रायश्चित्त हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार एवं कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एकांकी नाटक है। इसका प्रकाशन सन् १९१४ ई॰ में 'इन्दु' में हुआ था।
परिचय
[संपादित करें]'प्रायश्चित्त' छह दृश्यों का एकांकी नाटक है जो जयचन्द द्वारा यवनों को बुलाकर पृथ्वीराज चौहान को पराजित करवाने के बाद उसके हृदय में उत्पन्न पश्चात्ताप-भाव पर केन्द्रित है। यह प्रसाद जी के साहित्यिक व्यक्तित्व के निर्माण-काल का नाटक है।
इस नाटक के सन्दर्भ में डॉ॰सत्यप्रकाश मिश्र ने लिखा है :
"यह नाटक प्रसाद जी का पहला नाटक है जिसमें 'राष्ट्रप्रेम' को मूल्य मानकर 'देशद्रोह' का प्रायश्चित्त 'आत्मवध' माना गया है। इसमें भावना का एकांगीपन अधिक है। नाटक में उस प्रकार की बौद्धिकता नहीं है जैसी स्कन्दगुप्त, चन्द्रगुप्त आदि में मिलती है। चरित्रों में अन्तर्द्वन्द्व और आत्मसंघर्ष की शुरुआत अवश्य है।"[1]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ प्रसाद के सम्पूर्ण नाटक एवं एकांकी, संपादन एवं भूमिका- डॉ॰ सत्यप्रकाश मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, तृतीय संस्करण-२००८, पृष्ठ-xiii.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |