प्रकाश-विद्युत प्रभाव
जब कोई पदार्थ (धातु एवं अधातु ठोस, द्रव एवं गैसें) किसी विद्युच्चुम्बकीय विकिरण (जैसे X-किरण, दृश्यमान प्रकाश आदि) से उर्जा शोषित करने के बाद इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है तो इसे प्रकाश-वैद्युतिक प्रभाव कहते हैं। इस क्रिया में जो इलेक्ट्रॉन निकलते हैं उन्हें "प्रकाश-इलेक्ट्रॉन" कहते हैं।
वर्ष 1887 में हर्त्स ने एक प्रयोग किया, जिसमें कुछ धात्वों (जैसे- पोटैसियम, रुबिडियम, सीज़ियम, इत्यादि) की सतह पर उपयुक्त आवृत्ति वाला प्रकाश डालने पर इलेक्ट्रॉन निकलते हैं। इस प्रयोग से प्राप्त परिणाम इस प्रकार हैं-
- धातु की सतह से प्रकाशपुंज के टकराते ही उससे इलेक्ट्रॉन निकलते हैं, अर्थात् धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन निष्कासन तथा सतह पर प्रकाशपुंज के टकराने के बीच कोई समयान्तराल नहीं होता ।
- निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होती है।
- प्रत्येक धातु के लिए एक अभिलाक्षणिक न्यूनतम आवृत्ति होती है, जिसे देहली आवृत्ति कहते हैं और जिससे कम आवृत्ति पर प्रकाश-वैद्युतिक प्रभाव प्रदर्शित नहीं होता है। ƒ>ƒ0 आवृत्ति पर निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की कुछ गतिज ऊर्जा होती है। गतिज ऊर्जा प्रयुक्त प्रकाश की आवृत्ति के वृद्धि के साथ बढ़ती है।
धातु की सतह पर प्रकाशपुंज के टकराने को फोटॉनों के पुंज का टकराना समझा जा सकता है। जब कोई पर्याप्त ऊर्जा वाला फोटॉन धातु के परमाणु के इलेक्ट्रॉन से टकराता है, तो वह इलेक्ट्रॉन को परमाणु से तुरन्त बाहर निकाल देता है। फोटॉन की ऊर्जा जितनी अधिक होगी, उतनी ही ऊर्जा वह इलेक्ट्रॉन को देगा और निष्कासित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा उतनी ही अधिक होगी। दूसरे शब्दों में निष्कासित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा विद्युच्चुम्बकीय विकिरण की आवृत्ति के समानुपाती होगी। चूँकि टकराने वाले फोटॉन की ऊर्जा E = hƒ है और इलेक्ट्रॉन को निष्कासित करने हेतु आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा W0 = hƒ0 (जिसे कार्य फलन कहते हैं), तो ऊर्जा में अन्तर (hƒ-hƒ0) प्रकाश-इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा (Ek) में स्थानान्तरित हो जाती है। ऊर्जा संरक्षण का नियम का अनुसरण करते हुए निष्कासित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा निम्नोल्लेखित समीकरणों द्वारा दी जाती है जिन्हें प्रकाश-वैद्युतिक समीकरण कहा जाता है:
- ,
जहाँ h प्लैंक स्थिरांक है, f और λ टकराने वाले फोटॉन की क्रमशः आवृत्ति और तरंगदैर्घ्य हैं, f0 और λ0 क्रमशः देहली आवृत्ति और तरंगदैर्घ्य हैं, c प्रकाश की गति है, ½mv² निष्कासित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Nave, R., "Wave-Particle Duality". HyperPhysics.
- "Photoelectric effect". Physics 2000. University of Colorado, Boulder, Colorado.
- ACEPT W3 Group, "The Photoelectric Effect". Department of Physics and Astronomy, Arizona State University, Tempe, AZ.
- Haberkern, Thomas, and N Deepak "Grains of Mystique: Quantum Physics for the Layman". Einstein Demystifies Photoelectric Effect, Chapter 3.
- Department of Physics, "The Photoelectric effect". Physics 320 Laboratory, Davidson College, Davidson.
- Fowler, Michael, "The Photoelectric Effect". Physics 252, University of Virginia.
- Curull, Xavi Espinal, "Photoelectric effect Applet". (Java)
- Fendt, Walter, "The Photoelectric Effect". (Java)
- "Applet: Photo Effect". Open Source Distributed Learning Content Management and Assessment System. (Java)
- "Photoelectric Effect". The Physics Education Technology (PhET) project. (Java)