पिलखुवा
पिलखुवा | |
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शहर | |
राष्ट्र | ![]() |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | हापुड़ |
जनसंख्या (2015) | |
भाषाएं | |
• आधिकारिक | हिन्दी उर्दू |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+५:३०) |
पिन | 245304 |
वाहन पंजीकरण | उ.प्र. 37 |
वेबसाइट | [ http://hapur.nic.in/ ] |
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पिलखुवा The Satelite City | |||||||
— क़स्बा — | |||||||
निर्देशांक: (निर्देशांक ढूँढें) | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | ![]() | ||||||
राज्य | उत्तर प्रदेश | ||||||
विधायक | श्री असलम चौधरी | ||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• २१४ मी० मीटर | ||||||
विभिन्न कोड
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पिलखुवा हापुड़ का एक कस्बा है।
पिलखुवा क़स्बा पहले गाज़ियाबाद जिले का भाग था मगर सन २०११ में तत्कालीन बसपा सरकार के कार्यकाल में इसे हापुड़ जिले में शामिल कर दिया गया। पिलखुवा G.T. रोड पर दिल्ली से ४५ किलोमीटर पूर्व में स्थित है यहाँ की आबादी एक लाख से अधिक है इसके पूर्व में हापुड़ , पश्चिम में ग़ाज़ियाबाद, उत्तर में मोदीनगर व् दक्छिन में बुलंदशहर स्थित है। यह नगर दिल्ली-मुरादाबाद रेलवे लाइन पर स्थित है व् जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर है वर्तमान में पिलखुवा धौलाना विधान सभा व् ग़ाज़ियाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है
इतिहास -- पिलखुवा क़स्बा सन १७०० ईसवी में यहाँ रहने वाली मुस्लिम छीपी बिरादरी के पूर्वजों द्वारा बसाया गया, सन १७०० ईसवी में कलानौर से आकर बसे नत्थू सिंह राणा के दो पुत्र कल्याण सिंह व निहाल सिंह [ यहाँ आने के बाद इन दोनों भाइयों ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और करीमु राणा व रहीमु राणा के नाम से मशहूर हुए ] पिलखुवा में कन्खली झील के किनारे आबाद हुए, इन दो भाइयों की संताने छपाई का काम करने की वजह से छीपी कहलाती है। कुछ समय के बाद लाला गंगा सहाय नाम के एक व्यक्ति यहाँ आकर बस गए और इनकी संतान भी यहाँ बड़ी तादाद में रहती है, फिर आहिस्ता- आहिस्ता अन्य लोग भी आते गए और कारवां बनता गया।
पहले यहाँ की आबादी कन्खली झील के आस पास ही हुआ करती थी और मोहल्ला गढ़ी एक अलग बस्ती थी मगर बढ़ते बढ़ते दो-तीन गाँव रमपुरा, पबला, जठ्पुरा और मोहल्ला गढ़ी भी पिलखुवा में ही समां गए ! आज के समय में पिलखुवा की आबादी N.H.-24 के दोनों तरफ बढती जा रही है।
अनुक्रम
पिलखुवा की इंडस्ट्री और कारोबार[संपादित करें]
पिलखुवा भारत की हथकरघा और छापे हुए कपडे की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है, पिलखुवा में खास तौर से कपडे की बुनाई, छपाई, रंगाई, धुलाई, सिलाई आदि का ही कारोबार होता है और यहाँ की ज़्यादातर आबादी इसी कारोबार से जुडी है I पिलखुवा का बना हुआ कपडा भारत के कोने कोने में भेजे जाता है, यहाँ की हैण्ड ब्लाक प्रिंट की चादरें भारत के बहार एक्सपोर्ट भी की जाती हैं,
नगर प्रशासन[संपादित करें]
पिलखुवा पहले नगर पालिका हुआ करती थी मगर अब एक नगर परिषद् है, इस वक़्त पिलखुवा नगर परिषद् में 25 वार्ड हैं, पिलखुवा नगर परिषद् राजमार्ग N.H.-24 पर स्थित एक शानदार ईमारत में मौजूद है जो कि नगर परिषद् की ही संपत्ति है,
ट्रांसपोर्ट कंपनियां[संपादित करें]
पिलखुवा में देश की बड़ी बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनियां मौजूद हैं, इनमे ज़्यादातर के कार्यालय रेलवे रोड पर स्थित हैं हालाँकि हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण द्वारा N.H.-24 पर ट्रांसपोर्ट नगर बनाया जाना भी प्रस्तावित है मगर अभी उस पर काम चल रहा है, फ़िलहाल सभी ट्रांसपोर्ट कंपनियां शहर में मौजूद हैं।
पिलखुवा की कारोबारी मंडियां[संपादित करें]
- टेक्सटाइल सिटी
- शमशाद रोड
- उमराव सिंह मार्केट
- अग्रसेन मार्केट
- बाबा मार्केट
- जवाहर बाजार
- गांधी बाजार
- रेलवे रोड
पिलखुवा के स्कूल-कॉलेज[संपादित करें]
- RSS P.G.-डिग्री कॉलेज, N.H.-24
- केशव मारवाड़ गिर्ल्स डिग्री कॉलेज, N.H.-24, रेलवे स्टेशन के पास [ http://www.kmgdc.com ]
- मारवाड़ इंटर कॉलेज
- हिँदुकन्या इंटर कॉलेज
- चंडी इंटर कॉलेज
- राजपूत इंटर कॉलेज
- सर्वोदय इंटर कॉलेज
पिलखुवा के आस पास के गाँव[संपादित करें]
पिलखुवा के आस पास बहुत से गाँव स्थित है और इन गांवों के अधिकतर लोग खेती बाड़ी ही करते हैं। इनमे कुछ प्रमुख गाँव हैं ------- सिखैडा, हावल, अचपल गढ़ी, नया गांव, मदापुर, खैरपुर खैराबाद, दह्पा, कमालपुर, आज़मपुर, परतापुर, मीरापुर, जठ्पुरा, शामली, अतरौली, मुकीमपुर, डूहरी, छिजारसी, कलौंदा, खेडा, गाल्न्द.