नायक (जाति)
[1]नायक एक हिंदू जाति हैं, जो भारत और पाकिस्तान में पायी जाती हैं। यह मुख्यतः हिन्दू धर्म का पालन करते हैं। शाह के अनुसार, नायक भील जनजाति जाति के हैं। यह सर्वविदित है कि यह भील जनजाति का बड़ा उपजाति वर्ग है,वह भील जो भारत के शासक वर्ग के नजदीक था जिसे सेना में नायक तथा सेना नायक जैसे पद प्राप्त करने के कारण इस वर्ग ने अपनी जनजाति में एक विशेष पहचान और रुतबा कायम किया । धीरे-धीरे यह वर्ग अपनी जनजाति से इतर वैवाहिक संबंध स्थापित किए तथा राजपूत और क्षत्रिय लोग जिनमें भी सेना में नायक और सेना नायक के पद धारण करने वाले इस वर्ग के साथ संबंधित हो गये।यह वर्ग अपनी जनजाति के समानांतर पुरे भारत में अपनी अलग पहचान रखता है तथा अपने को भीलों का योद्धा और श्रेष्ठ वर्ग मानता है। राजस्थान में यह उपजाति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति दोनों में शामिल है तथा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमालय क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल हैं।
मुद्दे
नायक: आदिवासी शिकारी।
अनुसूचित जनजातियों में, नायक 35 घरों (1992) के साथ संख्यात्मक महत्व के मामले में दूसरे स्थान पर आते हैं। नायक के बीच कोई उपजातियां नहीं हैं, और अधिकांश संसा नायक एक ही कबीले, मालगट के हैं। इस बात के काफी प्रमाण हैं कि नायक जाति आदिवासी, पूर्व-आर्यन मूल की है। साधारण प्रेक्षक भी यह नोटिस करेगा कि नायक औसतन राजपूतों और अधिकांश अन्य स्थानीय जातियों की तुलना में सावले और अधिक गहरे रंग के होते हैं। इसके अलावा, उनके चेहरे की विशेषताएं एक निश्चित "द्रविड़ियन" छाप व्यक्त करती हैं, कुछ मायनों में दक्षिण भारतीय लोगों की याद दिलाती हैं।
वास्तव में, नायक खुद को भील, जो राजस्थान के सबसे अधिक जनजातीय समूह के समान मानते हैं। हमारे मुखबिरों के अनुसार, राजस्थान के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी भागों में जैसलमेर ,जोधपुर और माउंट आबू छेत्रों की ओर (नायक-भील) के रूप में जाने जाते हैं। नायक और भील को "एक ही खून" कहा जाता है। दोनों स्वतंत्र रूप से अंतर्जातीय विवाह कर सकते हैं,।
मेले
श्री लाधू नाथ जी महाराज का मेला
राजस्थान में नायकों का प्रसिद्ध मेला बीकानेरसे 64 किलोमीटर तथा राजधानी जयपुर से 287 किलोमीटर मसूरी नाम की जगह पर लगता है जिसमे सभी नायक भील भाग लेने पहुंचते है यह मेला लाधुनाथ जी महाराज को समर्पित एक वार्षिक मेला है।
राजस्थान के मशहूर लोक देवता एवं आदिवासी नायक(भील/Bhil) समाज के प्रिय देवता श्री श्री लाधूनाथ जी महाराज का उत्तर पश्चिम राजस्थान का सबसे बड़ा आदिवासी मेला है। बीकानेर जिले में मसूरी गाँव में लगता है। यह राजस्थान के मशहूर संत एवं लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं इन्होंने अपने जीवन में अनेक ग्रंथों की रचनाएं की यह लोग देवता होने के साथ-साथ बहुत बड़े संत भी थे इन के मेले में नायक समाज के लोगों की अधिकता दिखाई देती है यह राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा मेला है इस मेले में कई समाज के लोग आते हैं श्री लादू नाथ जी महाराज एक चमत्कारी और बहुत बड़े संत के रूप में माने जाते हैं इनका मेला बड़ी धूम-धाम से और मनोरंजन का एक प्रमुख स्थान है।
बनेश्वर मेला
राजस्थान के शहर डूंगरपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बेणेश्वर. यहां के सोम व माही नदियों के संगम पर बने स्थित शिव मंदिर के परिसर में हर साल माघ शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला मेला आदिवासियों का महाकुंभ कहा जाता है.
जनसांख्यिकी और पेशा
नायक हरियाणा, [2] पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में रहते हैं। [3] वे आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले और पश्चिमी गोदावरी जिले में भी रहते हैं। [4]
नायक दक्षिण भारत में नीलगिरी पहाड़ियों में समुद्र तल से 1,000 से 300 मीटर ऊपर, पश्चिमी जंगल ढलानों पर, 11° उत्तर और 75° पूर्व पर रहते हैं। कैथरीन हैनसेन के अनुसार गुजराती नायकों का मुख्य व्यवसाय "नाटकों में गायन, नृत्य और अभिनय" था। जबकि नायक और भीलों का मानना है कि वह एक सैनिक वर्ग मात्र था जो शासकीय सेनाओं में नायक और सैना नायक या सेनापति के पद धारण करने के कारण एक अलग पहचान बनाई। विजयनगरम साम्राज्य के का तुलुव वंश इसी वर्ग से संबंधित है जिन्होंने विजयनगर की सेना में सेवा देकर बाद में विजयनगरम के शासक बन गये[5]
वर्तमान परिस्थितियाँ
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और भारत के अन्य राज्यों में नायक जाति को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसका उल्लेख अनुसूचित जनजाति सूची में भी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल हैं।[6] [7]
[8]संदर्भ
- ↑ 25 सितंबर को महापंचायत, नायक समाज महापंचायत (18/09/2023). "I villagenetwork.com". Ivillage.com. Archived from the original on 1 नवंबर 2023. Retrieved 19/09/2023.
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(help)CS1 maint: numeric names: authors list (link) - ↑ Lok Sabha Debates. New Delhi, India. 2002. p. 545. ISSN 0445-6769. OCLC 8866894.
...the Government of Haryana has also demanded that Nayak Caste be included in the list of Scheduled Castes.
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ignored (help)CS1 maint: location missing publisher (link) - ↑ Lunheim, Rolf (1993). Desert People: Caste and Community — A Rajasthani Village. pp. 92–93. ISBN 978-8290896121. OCLC 33369188.
- ↑ Nagaraja, G. (15 July 2013). "Polls bring dispute over Nayaka caste status in West Godavari". The Hindu. Visakhapatnam, India. Retrieved 13 February 2021.
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ Gidwani, Vinay Krishin (1996). Fluid Dynamics: An Essay on Canal Irrigation and the Processses of Agrarian Change in Matar Taluka (Gujarat). India (Thesis). OCLC 41175219.
- ↑ Lipner, Julius (2010). Hindus: Their religious beliefs and practices (2nd ed.). Routledge. p. 173. ISBN 978-0-415-45676-0.
The Nāyak caste of the bhopo is among the lowest in the hierarchy of Rajasthan, and is listed officially as a scheduled caste (viz. Untouchable).
- ↑ News, Rajathan (2/09/23). "नायक समाज की महापंचायत होगी जयपुर में, क्षेत्र में प्रचार प्रारंभ। https://sridungargarhtimes.com/mahapanchayat-of-nayak-samaj-will-be-held-in-jaipur-campaigning-will-start-in-the-area/". Shri dungargarh times.
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