नाज़ी जर्मनी

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जर्मन राइख
Deutsches Reich
१९३३–१९४५
Flag राष्ट्रीय प्रतीकचिह्न
राष्ट्रिय ध्येय
"Ein Volk, ein Reich, ein Führer."

"One People, one Reich, one Leader."

राष्ट्रगान
"Das Lied der Deutschen"(official)
First stanza of
"Das Lied der Deutschen"followed by "Horst-Wessel-Lied"
जर्मनी का मानचित्र में स्थान
नाज़ी जर्मनी १९४३.
राजधानी बर्लिन
भाषाएँ जर्मन
शासन Single-party state, Totalitarian autocratic national socialist dictatorship,
Empire
राज्य प्रमुख
 -  1925 – 1934 Paul von Hindenburg (President)
 -  1934 – 1945 एडोल्फ़ हिटलर (Führer)
 -  1945 Karl Dönitz (President)
चांसलर
 -  1933 – 1945 एडोल्फ़ हिटलर
 -  1945 Joseph Goebbels
 -  1945 Lutz Graf Schwerin von Krosigk
ऐतिहासिक युग युद्ध के दौरान
 -  माख़्तरग्रायफ़ुङ ३० जनवरी १९३३
 -  ग्लाइक्शालतुङ २७ फ़रवरी १९३३
 -  आंश्ख़ुल्स्स १३ मार्च १९३८
 -  द्वितीय विश्वयुद्ध १ सितंबर १९३९
 -  विघटन ८ मई १९४५
क्षेत्रफल
 -  1941 (Großdeutschland) 6,96,265 किमी ² (2,68,829 वर्ग मील)
जनसंख्या
 -  1941 (Großdeutschland) est. 9,00,30,775 
     


घनत्व

129.3 /किमी ²  (334.9 /वर्ग मील)
मुद्रा Reichsmark

पूर्ववर्ती
अनुगामी
वाइमर गणराज्य
सार (लीग ऑफ नेशंस)
पहला आस्ट्रियन गणराज्य
चकोस्लोवाक गणराज्य
क्लैपिडा क्षेत्र
दानजेंग का मुक्त शहर
दूसरा पोलिश गणराज्य
Kingdom of Italy
यूपेन-मालमेडी
लक्ज़मबर्ग
अल्सासी-लॉरैन
ड्रावा बानोविना
जर्मन Allied Occupation Zones in Germany
मित्र देशों द्वारा संचालित ऑस्ट्रिया
Third Republic of Czechoslovakia
People's Republic of Poland
Alsace-Lorraine
Eupen-Malmedy
Luxembourg
Kingdom of Italy
Kaliningrad Oblast
Saar protectorate
People's Republic of Slovenia
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नाज़ी जर्मनी, नाट्सी जर्मनी या तीसरा राइख (जर्मन: Drittes Reich, "द्रीत्तेस रय्ख़्") १९३३ और १९४५ के बीच जर्मनी के लिए इतिहासकारों द्वारा सामान्य नाम दिया गया है, जब जर्मनी पर अडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व वाली नेशनल सोशलिस्ट जर्मन कार्यकर्ता पार्टी (NSDAP) का एकछत्र राज्य था। इसके अतिरिक्त इसे - नाजीवादी जर्मनी (Das nazistische Deutschland "दस नत्सीस्तिशे दोय्च्लन्द्") तथा सहस्रवर्षीय साम्राज्य (Das Tausendjähriges Reich "दस थाउज़ेन्द्येरिगेस रय्ख़्") भी कहा जाता है।

तृतीय साम्राज्य वैमार गणराज्य के बाद सत्ता में आया, जब 4 मार्च 1933 को राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मन श्रमिकों की पार्टी ने (NSDAP "एन-एस-दे-आ-पे", Die Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei "दी नत्सिओनाल-सोत्सिअलीस्तिशे दोय्चे आर्बाय्तेर्पर्ताय") हिटलर के नेतृत्व में राजसत्ता हथिया ली। ३० जनवरी १९३३ को अडोल्फ़ हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और जल्दी ही सारे विरोध को ख़त्म करके वह उस देश का इकलौता नेता बन बैठा। देश ने उसे फ़्युअरर (जर्मन भाषा में लीडर) कहकर पूजना शुरु कर दिया और सारी ताक़त उसके हाथ में सौंप दी। इतिहासकारों ने बड़ी सभाओं में उसके वाक्चातुर्य और कमरे में हुयी बैठकों में उसकी आँखों से होने वाले मंत्रमुग्ध लोगों का ज़ोर देकर बताया है।[1] शनैः शनैः यह बात प्रचलन में आ गई कि फ़्युअरर का वचन विधि से भी ऊपर है। दरअसल यह मत लोगों के बीच हिटलर के मतप्रचालन (propaganda) मंत्री गॅबॅल्स ने रखा था जिसे प्रथम विश्वयुद्ध और वर्साय की संधि से सताई गई जनता ने दोनों हाथों से हड़प लिया। सरकार के शीर्षस्थ अधिकारी केवल हिटलर को रिपोर्ट देते थे और उसी की नीतियों का अनुसरण भी करते थे, हालांकि उनकी कार्यशैली में कुछ हद तक स्वायत्ता बरक़रार थी।

इतिहास[संपादित करें]

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

१९२० के दशक के शुरुआती सालों में नाज़ी आन्दोलन ने ज़ोर पकड़ा, जब प्रथम विश्वयुद्ध से सेवानिवृत्त गुस्साए युवाओं ने वर्साय की संधि, वाइमर गणराज्य तथा प्रजातंत्र को मानने से इन्कार कर दिया। उन्होंने आर्य कुलवंश के पुनरुत्थान की मांग की और जर्मनी के सारे कष्टों का दोषी यहूदियों को ठहराया। उन्होंने बहुत ही प्रभावशाली मतप्रचार से लोगों को यह बतलाया कि प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार का कारण उसकी सेना नहीं बल्कि यहूदी, साम्यवादी तथा अन्य विनाशक शक्तियाँ थीं जो देश के असैनिक वर्ग में मौजूद थीं।

"तृतीय साम्राज्य" का विनाश[संपादित करें]

सोवियत संघ के साथ लडे़ द्वितीय विश्वयुद्ध में फ़ासिस्तों का "तृतीय साम्राज्य" 23 मई 1945 में चकनाचूर हो गया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Neil J. Kressel (2002). Mass Hate: The Global Rise Of Genocide And Terror. Basic Books. पृ॰ 121. मूल से 21 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27-07-2012. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)