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नन्दाखानी

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नन्दाखानी
नन्दाखानी is located in उत्तराखंड
नन्दाखानी
नन्दाखानी
Location in Uttarakhand
उच्चतम बिंदु
ऊँचाई6,029 मी॰ (19,780 फीट) [1]
उदग्रता69 मी॰ (226 फीट) [2]
निर्देशांक30°15′42″N 80°04′22″E / 30.26167°N 80.07278°E / 30.26167; 80.07278निर्देशांक: 30°15′42″N 80°04′22″E / 30.26167°N 80.07278°E / 30.26167; 80.07278
भूगोल
स्थानपिथौरागढ़ उत्तराखंड, भारत
मातृ श्रेणीकुमाऊं हिमालय
आरोहण
प्रथम आरोहणज्योफ होर्नबी के नेतृत्व में एक इंडो-ब्रिटिश अभियान दल ने 1987 में.

नन्दाखानी भारत के उत्तराखंड राज्य मे कुमाऊं हिमालय का एक पर्वत है।। नंदखानी की ऊंचाई 6,029 मीटर (19,780 फीट) है और इसकी प्रमुखता 69 मीटर (226 फीट) . यह उत्तराखंड के भीतर पूरी तरह से स्थित 169वां उच्चतम स्थान है। नंदा देवी, इस श्रेणी का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह नंदा भनार 6,236 मीटर (20,459 फीट) से .932 किमी दुरी पर स्थित है जो इसका निकटतम उच्च पड़ोसी। डांगथल 6,050 मीटर (19,849 फीट) इससे 4.6 किमी दक्षिण दक्षिण पूर्व मे स्थित है और यह 2.2 किमी नंदा कोट 6,861 मीटर (22,510 फीट) के दक्षिण दक्षिण पूर्व मे स्थित है।. यह मैकटोली 6,803 मीटर (22,320 फीट) से 19.2 किमी पूर्व में स्थित है। [2]

चढ़ाई का इतिहास

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ज्योफ होर्नबी के नेतृत्व में एक इंडो-ब्रिटिश अभियान दल ने 1987 में पिंडारी घाटी से नन्दाखानी की पहली चढ़ाई की। जबकि उनकी मूल योजना दक्षिण से छांगुच पर चढ़ाई का प्रयास करना था। नंदा भनार की चढ़ाई से लौटने के बाद जॉन मैककीवर अकेले ही नंदखानी के शिखर पर चढ़ गए। टीम में जॉन मैककीवर, अकील चौधरी, राजशेखर घोष, बिवुजीत मुखोटी, डंकन हॉर्बी और जोनाथन प्रेस्टन शामिल थे। [3]

दिव्येश मुनि के नेतृत्व में बंबई से चार सदस्यीय दल ने 1992 में नन्दाखानी पर चढ़ाई की। यह इस चोटी की दूसरी चढ़ाई थी। टीम में तीन महिलाएँ श्रीमती इम्माई हू, सुश्री चेतना राणा और श्रीमती विनीता मुनि शामिल थीं। मनाली के योगराज ठाकुर और कोयलू राम द्वारा समर्थित। वे मुनस्यारी, लीलम, बुगदियार, मार्टोली और शालंगगढ़ से पहुंचे। उन्होंने तीन शिविर स्थापित किए तीसरे शिविर से वे पहली बार 15 अक्टूबर को नन्दाखानी (6029 मीटर) पर चढ़े।

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पड़ोसी और सहायक चोटियाँ

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नन्दाखानी की पड़ोसी या सहायक चोटियाँ:

ग्लेशियर और नदियाँ

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नन्दाखानी पूर्वी दिशा में शालंग ग्लेशियर और पश्चिम में पिंडारी ग्लेशियर के बीच स्थित है। दक्षिणी तरफ कफनी ग्लेशियर की है। शालंग ग्लेशियर दक्षिण-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है और गोरीगंगा नदी में मिलती है जो बाद में जौलजीबी में काली नदी में मिलती है। कफनी ग्लेशियर से दक्षिण की ओर कफनी नदी निकलती है और थोड़ी दूर चलने के बाद यह द्वाली में पिंडारी नदी में मिल जाती है। पश्चिमी तरफ पिंडारी ग्लेशियर उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है और पिंडारी ग्लेशियर के थूथन से पिंडारी नदी निकलती है जो बाद में कर्णप्रयाग में अलकनंदा में मिलती है। अलकनंदा नदी गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है जो बाद में देवप्रयाग में गंगा नदी की अन्य मुख्य सहायक नदियों भागीरथी नदी में मिल जाती है और बाद में गंगा बन जाती है।[5]

यह सभी देखें

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  1. http://www.alpine-club.org.uk/hi/screen2c_2.php?s=20&np=3&ri=&cond=%20regnumber=43%20or%20regnumber=45&sig=77c414d7d39974f44dd5dae83162a63a
  2. "Nandakhani". PeakVisor (in अंग्रेज़ी). Retrieved 30 June 2020. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "N khani" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  3. "KUMAON SECRETS : Himalayan Journal vol.44/12". www.himalayanclub.org. Retrieved 30 June 2020.
  4. Muni, Divyesh (1993). "AROUND DANU DHURA : Himalayan Journal vol.49/11". 49. Retrieved 30 June 2020. {{cite journal}}: Cite journal requires |journal= (help)
  5. "Devprayag | Times of India Travel". timesofindia.indiatimes.com. Retrieved 22 May 2020.