दीमापुर
दीमापुर Dimapur | |
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दीमापुर शहर का एक दृश्य | |
निर्देशांक: 25°55′N 93°44′E / 25.92°N 93.73°Eनिर्देशांक: 25°55′N 93°44′E / 25.92°N 93.73°E | |
ज़िला | दीमापुर ज़िला |
प्रान्त | नागालैण्ड |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,22,834 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | नागामी, कई नागा भाषाएँ (अंगामी व अन्य) |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
दीमापुर (Dimapur) भारत के नागालैण्ड राज्य के दीमापुर ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय और राज्य का सर्वाधिक आबादी वाला शहर है। यह असम की राज्य सीमा के पास, धनसीरी नदी के किनारे बसा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग २९, राष्ट्रीय राजमार्ग १२९ और राष्ट्रीय राजमार्ग १२९ए यहाँ से गुज़रते हैं।[1]
विवरण
[संपादित करें]मध्यकाल में यह नगर दिमासा कछारी शासकों की राजधानी थी। यह भारत का ११५वाँ सबसे बड़ा नगर है। इसका निर्देशांक 25°54′45″ उत्तर 93°44′30″ पूर्व है। इस नगर के दक्षिण और पूर्व में कोहिमा जिला है, पश्चिम में असम का कार्बी आंगलोंग ज़िला (Karbi Anglong) है और उत्तर तथा पश्चिम दिशा में असम का गोलाघाट जिला है। 'दिमापुर' की उत्पत्ति 'दिमस' नामक एक कछारी शब्द से हुई है जो एक नदी का नाम है। दिमापुर, नागालैण्ड का प्रवेशद्वार है और यहाँ का एकमात्र रेलवे स्टेशन तथा एकमात्र कार्यशील हवाई अड्डा है।
इतिहास
[संपादित करें]कछारी राज्य के खंडहर : हालांकि कुछ इतिहासकार मानते हैं कि यह कछारी राज्य के अवशेष हैं। मशरूम के आकार के ये खंभे कछारी खंडहर के हिस्से हैं। दीमापुर कछारी राज्य की प्राचीन राजधानी थी। यह महापाषाण युग के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। हिन्दू राज्य कछारी पर 13वीं सदी में अहोम राजाओं ने आक्रमण किया जिसके चलते यह राज्य तहस-नहस हो गया था। यह खंडहर उसी आक्रमण का सबूत है। सबसे प्रसिद्ध कछारी खंडहर के बीच केवल पत्थर का खंभा खड़ा है। इस खंभे के अलावा, इस जगह पर मंदिरों, टंकियों और तटबंधों के कई खंडहर हैं। विभिन्न डिजाइनों के बिखरे हुए पत्थर के टुकड़े भी आसपास पाए जाते हैं।
महाभारत से सम्बन्ध
[संपादित करें]भारतीय राज्य नागालैंड के दीमापुर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहां हिडिंबा नाम से एक वाड़ा है, जहां राजवाड़ी में स्थित शतरंज की ऊंची-ऊंची गोटियां हैं जो चट्टानों से निर्मित है। शतरंज की इतनी विशालकाय गोटियों नो देखना पर्यटकों के लिए आश्चर्य में डालने वाला ही होता है। हालांकि इनमें से अब कुछ गोटियां टूट चुकी है। भीम की पत्नी हिडिम्बा यहां की राजकुमारी थीं: दीमापुर कभी हिडिंबापुर के नाम से जाना जाता था। इस जगह महाभारत काल में हिडिंब राक्षस और उसकी बहन हिडिंबा रहा करते थे। यही पर हिडिंबा ने कुंति-पवनपुत्र भीम से विवाह किया था। यहां रहने वाली डिमाशा जनजाति के लोग खुद को भीम की पत्नी हिडिंबा का वंशज मानते हैं। भीम और घटोत्कच खेलते थे इस शतरंज से : यहां के निवासियों कि मान्यता है कि इन गोटियों से भीम और उसका पुत्र घटोत्कच शतरंज खेलते थे। इस जगह पांडवो ने अपने वनवास का काफी समय गुजारा किया था। मान्यता अनुसार जब वनवास काल में पांडवों का महल षड़यंत्र के चलते जलकर खाक हो गया था तब वे एक गुप्त रास्ते से वहां से एक दूसरे वन में चले गए थे। इस वन में हिडिंब नामक राक्षस अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहता था। कहते हैं कि एक दिन हिडिंब ने अपनी बहन हिडिंबा को वन में भोजन की तलाश करने के लिए भेजा और इसी दौरान राक्षसी हिडिंबा ने भीम को देख लिया। बलशाली भीम को देखकर राक्षसी हिडिंबा का मान भीम पर आ गया। उसने इस प्रेम के चलते भीम और उसके परिवार को छोड़ दिया। जब हिडिंब को यह पता चला तो उसने पाण्डवों पर हमला बोल दिया। भीम का हिडिंब से भयानक युद्ध हुआ और अंत: हिडिंब मारा गया। हिडिंब की मौत के बाद हिडिंबा और भीम का विवाह हुआ और कुछ काल तक भीम वहीं रहे। विवाह उपरान्त भीम और हिडिम्बा को घटोत्कच नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। घटोत्कच अपनी मां के समान विशाल काया वाला निकला।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Mountains of India: Tourism, Adventure and Pilgrimage," M.S. Kohli, Indus Publishing, 2002, ISBN 9788173871351