दक्षिण कोरिया में हिन्दी

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दक्षिण कोरिया में हिन्दी एक लोकप्रिय भाषा है। यहाँ के लोग इस भाषा को सीखने में काफ़ी रुचि रखते हैं। हिन्दी को सीखने के लिए कई दक्षिण कोरियाई नागरिक भारत आते हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लम्बे और अल्प अवधि के कोर्स पढ़ते हैं। [1]

देश में भाषा की शिक्षा की सुविधा[संपादित करें]

देश की राजधानी सियोल में स्थित हानकूक युनिवर्सिटी ऑफ़ फ़ारेन स्टडीज़ में एक हिन्दी विभाग है जहाँ कई प्रोफ़ेसर भारत से आकर हिन्दी पढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त बुसान में पुसान युनिवर्सिटी ऑफ़ फ़ारेन स्टडीज़ मौजूद है जहाँ एक हिन्दी विभाग मौजूद है। [1]

पुसान युनिवर्सिटी ऑफ़ फ़ारेन स्टडीज़ में दिसम्बर 2020 से एक विद्यार्थी और शिक्षक समूह हिन्दी भाषा के विभाग को बचाए रखने के लिए आन्दोलन कर रहा है। देश में कोरोना वायरस की रुकावटों को देखते हुए आन्दोलन के लिए सामाजिक मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। आन्दोलन का मुख्य कारण यह है कि पुसान युनिवर्सिटी में एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है कि हिन्दी की शिक्षा को समाप्त किया जाए क्योंकि विश्वविद्यालय के अनुसार भारत में कार्य, शिक्षा और यात्रा पर निकलने वालों के लिए हिन्दी जानना आवश्यक नहीं है और केवल अंग्रेज़ी जानना ही काफ़ी है।[2]

हिन्दी को बचाने के लिए पुसान युनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सामाजिक मीडिया पर विशेष रूप से अपील की है। उनके अनुसार हिन्दी की शिक्षा दोनों देशों के बीच दोस्ती के पुल का काम करती है।[3]

भारत सरकार के माध्यम से सुविधाएँ[संपादित करें]

हिन्दी के अध्ययन के लिए कोरिया गणराज्य को भारत सरकार के माध्यम से कई छात्रवृत्ति योजनाएँ मौजूद हैं। आगरा स्थित केन्द्रीय हिन्दी संस्थान में एक ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम मौजूद है। इसकी अवधि अगस्त से जून तक है।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]