भारत में हिन्दी

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भारत में हिन्दी सब से अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी भाषा का जन्म भारत में हुआ था। हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में १४ सितम्बर सन् १९४९ को स्वीकार किया गया।[1] इसके बाद संविधान में राजभाषा के सम्बंध में धारा ३४३ से ३५1 तक की व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये १४ सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिन्दी का इतिहास[संपादित करें]

हिन्दी दिवस का इतिहास और इसे दिवस के रूप में मनाने का कारण बहुत पुराना है। वर्ष 1918 में सृजन पति तिवारी ने इसे जनमानस की भाषा कहा था और इसे देश की राष्ट्रभाषा भी बनाने को कहा था। लेकिन आजादी के बाद ऐसा कुछ नहीं हो सका। सत्ता में आसीन लोगों और जाति-भाषा के नाम पर राजनीति करने वालों ने कभी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने नहीं दिया।

हिन्दी साहित्य[संपादित करें]


हिन्दी की बोलियाँ[संपादित करें]

हिन्दी और देवनागरी लिपि पर आधारित अन्य भारतीय भाषाएँ[संपादित करें]

हिन्दी पर विभिन्न भाषाओं के प्रभाव[संपादित करें]

हिन्दी एक आधुनिक भाषा के रूप में[संपादित करें]

मातृ भाषा के रूप में हिन्दी बोलने वाले लोग[संपादित करें]

द्वितीय भाषा के रूप में हिन्दी बोलने वाले लोग[संपादित करें]

हिन्दी का समर्थन और प्रोत्साहन[संपादित करें]

हिन्दी का विरोध[संपादित करें]

भारत की एकजुटता में हिन्दी का Advised[संपादित करें]

हिन्दी दिवस और हिन्दी पखवाड़ा[संपादित करें]

हर वर्ष 14 सितम्बर के दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत में हिन्दी भाषा में अच्छे से कार्य करने वाले 13 लेखकों को राजभाषा गौरव पुरस्कार और 39 संस्थान या विभाग को राजभाषा कीर्ति पुरस्कार दिया जाता है।[2]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. चमू कृष्ण शास्त्री (11 अप्रैल 2015). "संस्कृत से था असीम प्रेम". लेख. पंचजन्य. मूल (भारतीय संविधान में राजभाषा पर विश्लेषण) से 11 नवम्बर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 नवम्बर 2015. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
  2. "हिंदी दिवस पर विशेष: तकनीक के स्‍तर पर हिंदी ने की काफी प्रगति". दैनिक जागरण. 14 सितंबर 2015. मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.