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जैन धर्म और हिन्दू धर्म

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हिन्दू धर्म और जैन धर्म दोनों ही .अनादि धर्म हैं। दोनों का विकास भारत की धरती पर हुआ है।हिन्दू और जैन दो शरीर लेकिन आत्मा एक है। यह भी कह सकते हैं कि एक ही कुल के दो धर्म हैं- हिन्दू और जैन। जैन और हिंदू धर्म एक ही भूमि पर उत्पन्न और विकसित हुए हैं इसीलिए दोनों की ही सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा एक ही है। दोनों ही एक की वृक्ष की दो शखाओं की तरह है। हालांकि दोनों का दर्शन भिन्न है लेकिन यह भिन्नता गहराई से देखने पर लुप्त हो जाती है। आओ जानते हैं कि कैसे दोनों ही धर्म दो होकर भी एक हैं।


पहला रहस्य

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हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने ऋषभदेव के रूप में 8वां अवतार लिया। ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे। ऋषभदेव महाराज नाभि और मेरुदेवी के पुत्र थे। दोनों द्वारा किए गए यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने महाराज नाभि को वरदान दिया कि मैं ही तुम्हारे यहां पुत्र रूप में जन्म लूंगा।[1] इनके दो पुत्र भरत और बाहुबली तथा दो पुत्रियां ब्राह्मी और सुंदरी थीं। भगवान ऋषभदेव स्वायंभुव मनु से 5वीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वायंभुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ।


दूसरा रहस्य

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जैन धर्म के 21वें तीर्थंकर नमि के बारे में उल्लेख है कि वे मिथिला के राजा थे। इन्हें राजा जनक का पूर्वज माना जाता है। राजा जनक भगवान राम के ससुर थे। महाभारत के शांतिपर्व में कहा गया है- मिथिलायां प्रदीप्तायां नमे किज्चन दहय्ते।। उक्त सूत्र से यह प्रतीत होता है कि राजा जनक की वंश परंपरा को विदेही और अहिंसात्मक परंपरा कहा जाता था। विदेही अर्थात देह से निर्मोह या जीवनमुक्त भाव।[2]



तीसरा रहस्य

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22वें तीर्थंकर नेमिनाथ के पिता का नाम राजा समुद्रविजय और माता का नाम शिवादेवी था। आपका जन्म श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को शौरपुरी (मथुरा) में यादव वंश में हुआ था। शौरपुरी (मथुरा) के यादववंशी राजा अंधकवृष्णी के ज्येष्ठ पुत्र समुद्रविजय के पुत्र थे नेमिनाथ। अंधकवृष्णी के सबसे छोटे पुत्र वासुदेव से उत्पन्न हुए भगवान श्रीकृष्ण। इस प्रकार नेमिनाथ और श्रीकृष्ण दोनों चचेरे भाई थे।[3] श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को गिरनार पर्वत पर कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। आषाढ़ शुक्ल की अष्टमी को आपको उज्जैन या गिरनार पर्वत पर निर्वाण प्राप्त हुआ।


चौथा रहस्य

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पवित्र नगरी अयोध्या जैन और हिन्दू दोनों ही धर्मों के लिए तीर्थस्थल है, क्योंकि यहीं पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ और यहीं पर जैन धर्म के तीर्थंकर ऋषभदेव, अजीतनाथ, अभिनंदन, सुमतिनाथ और अनंतनाथजी का जन्म भी हुआ। पार्श्वनाथ और सुपार्श्वनाथ का जन्म वाराणसी में हुआ, जो कि दोनों ही धर्मों का बड़ा तीर्थ स्थल है।[4]

पांचवां रहस्य

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भगवान राम का जन्म इक्ष्वाकु कुल में हुआ था। इसी कुल में जैन तीर्थंकर शांतिनाथ का भी जन्म हुआ। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म यदुवंश में हुआ और इसी वंश में जैन तीर्थंकर नेमिनाथ का भी जन्म हुआ। तीर्थंकर पुष्पदंत की माता रमारानी इक्ष्वाकु कुल की थीं। वैवस्वत मनु के 10 पुत्रों में से 1 का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की। ऐसा भी कहते हैं कि इक्ष्वाकु के 3 पुत्र हुए- 1.कुक्षि, 2.निमि और 3.दंडक।


छठा रहस्य

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तीर्थंकर ऋषभदेव को हिन्दू वृषभदेव कहते हैं। वैसे उनका भव चिह्न भी वृषभ ही है। वृषभ का अर्थ होता है बैल। भगवान शिव को आदिनाथ भी कहा जाता है और ऋषभदेव को भी। कैलाश पर्वत पर ही ऋषभदेव को कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। नाथ कहने से वे नाथों के नाथ हैं। वे जैनियों के ही नहीं, हिन्दुओं के भी भगवान हैं, क्योंकि वे परम प्राचीन आदिनाथ हैं।[5]

सातवां रहस्य

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जैन धर्म के 63 शलाका पुरुषों में 9 बलभद्र में भगवान राम का नाम शामिल है तो वहीं नारायण और श्रीकृष्ण को 9 वासुदेव में शामिल किया गया है। 9 प्रति वासुदेव में मधु, निशुंभ, बलि, रावण और जरासंध का नाम शामिल है। 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलभद्र, 9 वासुदेव और 9 प्रति वासुदेव मिलाकर कुल 63 शलाका पुरुष होते हैं[6]

संदर्भ:–

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  1. Sanatan. Rigved - ऋग्वेद संहिता हिंदी (Hindi में).सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. "महाभारत - शान्तिपर्व | Sanskrit Book | Mahabharat - Shanti Parva - ePustakalay". epustakalay.com (संस्कृत में). अभिगमन तिथि 2024-09-11.
  3. Admin, Mahakavya (2021-02-03). "Mahabharata in Hindi". Mahakavya - Read Ved Puran Online (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-09-11.
  4. Muni Rajendra (1971). Jain Dharma Ki Vyakhya.
  5. www.wisdomlib.org (2017-09-17). "Trishashti Shalaka Purusha Caritra". www-wisdomlib-org.translate.goog (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-09-11.
  6. www.wisdomlib.org (2017-09-17). "Trishashti Shalaka Purusha Caritra". www-wisdomlib-org.translate.goog (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-09-11.

इन्हे भी देखे:–

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