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छल्ला नीहारिका

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छल्ला नीहारिका
छल्ला नीहारिका से उत्पन्न होते अवरक्त (इन्फ़्रारॅड) प्रकाश की तस्वीर

छल्ला नीहारिका (अंग्रेज़ी: Ring Nebula, रिंग नॅब्युला), जिसे मॅसिये वस्तु ५७ और ऍन॰जी॰सी॰ ६७२० भी कहा जाता है, एक ग्रहीय नीहारिका है जो आकाश में लायरा तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। यह एक लाल दानव तारे के अवशेषों कि बनी हुई है जिसने अपना जीवन अपने मलबे को आसपास के अंतरतारकीय माध्यम में उगलकर ख़त्म किया।[1]

छल्ला नीहारिका पृथ्वी से क़रीब २,३०० प्रकाश वर्षों की दूरी पर है। यह अभी भी फैल रहा है। नीहारिका के अंदरूनी हिस्से में आयोनिकृत (आयोनाइज़्ड) ऑक्सीजन है जो नीले-हरे रंग से दमक रही है जबकि इसके बाहरी हिस्से में लाल रंग से दमकती हाइड्रोजन है। नीहारिका का केन्द्रीय हिस्सा धीरे-धीरे एक सफ़ेद बौना बन रहा है और इसका अधिकांश भाग कार्बन और ऑक्सिजन का बना हुआ है। इसका द्रव्यमान हमारे सूरज के द्रव्यमान का लगभग ०.६१ गुना है। चमक के हिसाब से इसकी निहित चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) सूरज से २०० गुना है।

छल्ला नीहारिका की खोज अबसे पहले सन् १७७९ में फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री आंत्वान दार्कियेर द पॅलप्वा (Antoine Darquier de Pellepoix) ने की। उन्होंने कहा कि इसका आकार "बृहस्पति के बराबर है और एक धुंधले होते ग्रह जैसे लगता है"। उसी साल शार्ल मॅसिये ने इसे देखा और अपने मॅसिये वस्तुओं के कोष में ५७वें स्थान पर डाल दिया।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. O'Dell, C. R.; Sabbadin, F.; Henney, W. J. (2007). "The Three-Dimensional Ionization Structure and Evolution of NGC 6720, The Ring Nebula". Astronomical Journal. 134 (4): 1679–1692. डीओआइ:10.1086/521823. बिबकोड:2007AJ....134.1679O.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)