चंद्रयान-4

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ( इसरो ) ने अपने अगले मून मिशन चंद्रयान-4 पर काम करना शुरू कर दिया है। पिछले मिशन से मुख्य अंतर यह होगा कि इस बार लैंडर को पुनः चंद्रमा से धरती पर वापस लाया जाएगा और इसके साथ ही चंद्रमा से सैंपल (मिट्टी) भी लाया जाएगा ।

चंद्रयान-4
मिशन प्रकार चंद्रमा से नमूना वापसी
संचालक (ऑपरेटर) इसरो
वेबसाइट https://www.isro.gov.in/
अंतरिक्ष यान के गुण
बस चंद्रयान
निर्माता रोवर: जाक्सा
लैंडर: इसरो
लॉन्च वजन 6000 किलोग्राम
पेलोड वजन ≈ 350 कि॰ग्राम (12,000 औंस) (रोवर के साथ लैंडर)
मिशन का आरंभ
प्रक्षेपण तिथि 2028 से पूर्व
रॉकेट

जीएसएलवी

एलवीएम 3
प्रक्षेपण स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
ठेकेदार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
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चंद्रयान अभियान
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खास बातें[संपादित करें]

चंद्रयान-4 मिशन को मुख्य रूप से दो देश (भारत और जापान) मिलकर पूर्ण करेंगे । इसमें दोनों देशों की अलग अलग भूमिका होगी। हमारा देश भारत इस मिशन में सबसे महत्वपूर्ण भाग मून लैंडर का निर्माण करेगा जो चंद्रमा की सतह पर 350 किलोग्राम के रोवर को सॉफ्ट लैंडिंग कराएगा । पिछला रोवर चंद्रयान-3 मात्र 35 किलोग्राम का था । चंद्रयान-4 मिशन में रोवर का निर्माण जापान करेगा । यह रोवर आधुनिकता और टेक्नोलॉजी से पूर्ण होगा । यह चांद की सतह (लूनर सर्फेस) पर कई प्रकार के परिक्षण कार्य करेगा ।

भारत में पहली बार[संपादित करें]

हमारे अब तक के सभी चंद्रयानों ने केवल एक तरफ का ही रास्ता तय किया है, अर्थात ये सभी यान केवल पृथ्वी से चांद पर गए है मगर वहां से वापस पृथ्वी पर नहीं आए हैं । लेकिन इस बार चंद्रयान-4 चंद्रमा से मिट्टी लेकर धरती पर वापस आएगा ।

क्या है चंद्रयान-4[संपादित करें]

हमारा देश भारत और टेक्नोलॉजी में सबसे आगे जापान यह दोनो देश मिलकर लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) पर काम कर रहे हैं और इसी मिशन को चंद्रयान-4 मिशन कहा जायेगा ।