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खेमी सरनाईक

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खेमी सरनाईक शिवाजी राज के समय एक कोली जाती का सरदार था जिसने सुलतान औरंगजेब के खिलाफ हथियार उठाए थे एंव जजिया को समाप्त किया था।[1][2]

खेमी सरनाईक

कोली विद्रोह के बाद औरंगजेब द्वारा सरनाईक के सम्मान मे बनाया गया कोली चबूतरा
मृत्यु - तिथि: १६५०
मृत्यु - स्थान: मुग़ल साम्राज्य
आंदोलन: जजिया के खिलाफ विद्रोह
मुख्य स्मारक: कोली चौंथरा, शिवनेरी किला, जुन्नर, महाराष्ट्र
धर्म: हिंदू कोली

इतिहासकार गोविन्द सदाशिव घुर्ये के अनुसार विद्रोह का मुख्य कारण था सुल्तान औरंगज़ेब द्वारा ज़मीन पर कर लगाना। जिससे परेसान होकर कोली ज़मीदारों ने खैमी सरनाईक के नेतृत्व में मुग़ल सुल्तान औरंगज़ेब के खिलाप हथियार उठा लिए थे साथ ही शिवाजी महाराज की तरफ से भी सहानुभूति थी क्युकी इससे शिवाजी महाराज का बड़ा फायदा था।[3] खेमी सरनाईक ने उत्तर पश्चिम पूणे और अहमदनगर के सभी कोली नायकों को इकठा किया और वादा किया कि वो एक ही वार में मुग़ल सासन से मुक्ति पा लेंगे।[4][5][6][7]

कोली विद्रोह को दबाने के लिए औरंगजेब ने पहाड़ी इलाकों से मुग़ल सेना भेजी लेकिन लड़ाई बोहत भयंकर थी जिसमे हज़ारों कोली मारे गए और मुग़ल सेना मारी गई। कोली विद्रोह ने औरंगज़ेब को हिला के रख दिया था। इस लड़ाई में लड़ते लड़ते खेमी सरनाईक सहीद हो गए लेकिन कोली विद्रोह इतना प्रचंड था कि औरंगज़ेब सोचने पर मजबूूूर हो गया।[5][6]

कोली विद्रोह को देखते हुए औरंगज़ेब ने खेमी सरनाईक के बीबी और बच्चों को मार डाला ताकि आगे चलके उसके बच्चे भी जंग ने छेड दें। उसके बाद औरंगज़ेब ने खेमी सरनाईक के रिश्तेदारों को भी ढूंढा और सर कलम कर दिए क्योंकि औरंगज़ेब को डर था कही उसके रिस्तेदारों में से कोई दुवारा ऐसी जंग ने छेड़ दे।[5][6]

इसके बाद सुल्तान औरंगज़ेब हज़ारों कोलियों को बंदी बनाकर जुन्नर ले गया और सभी के सर कलम कर दिए। उनके ऊपर ही एक स्मारक बना दिया जिसे आज कोली चबूतरा बोला जाता हैं[8][3][6][9]

सन्दर्भ

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  1. Ghurye, g s (1963). The Mahadev Kolis.
  2. Roy, Shibani (1983). Koli culture: a profile of the culture of Talpad vistar (अंग्रेज़ी में). Cosmo.
  3. Hardiman, David (1996). Feeding the Baniya: Peasants and Usurers in Western India (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-563956-8.
  4. Gāre, Govinda (2003). Sahyādrītīla ādivāsī, Mahādevakoḷī (मराठी में). Ādima Sāhitya. मूल से 2 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2020.
  5. Hardiman, David (2007). Histories for the Subordinated (अंग्रेज़ी में). Seagull Books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-905422-38-8.
  6. Gazetteer of the Bombay Presidency: Poona (2 pts.) (अंग्रेज़ी में). Government Central Press. 1885.
  7. Gazetteer of the Bombay Presidency: Ahmadnagar (अंग्रेज़ी में). Printed at the Government Central Press. 1884.
  8. Gāre, Govinda (1982). Itihāsa ādivāsı̄ vı̄rāñcā (मराठी में). Ādima Sāhitya. मूल से 2 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2020.
  9. Hassan, Syed Siraj ul (1989). The Castes and Tribes of H.E.H. the Nizam's Dominions (अंग्रेज़ी में). Asian Educational Services. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-0488-9. मूल से 31 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2020.