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कबड्डी

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कबड्डी खेलते हुए बच्चे


कबड्डी एक खेल है, जो मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में खेली जाती है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण में चेडुगुडु और पूर्व में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। यह खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी उतना ही लोकप्रिय है। तमिल, कन्नड़ और मलयालम में ये मूल शब्द, (கை-பிடி) "कै" (हाथ), "पिडि" (पकडना) का रूपान्तरण है, जिसका अनुवाद है 'हाथ पकडे रहना'। कबड्डी, बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है।

बर्लिन ओलंपिक 1936 में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया था। बीते कुछ वर्षों से कबड्डी की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। साल 1951 और 1982 के एशियाई खेलों में प्रदर्शनी खेल के रूप में इसे शामिल किया गया और साल 1990 में इस खेल को स्थाई रूप से मेडल गेम के रूप में जगह मिल गई।[1]

साधारण शब्दों में इसे ज्यादा अंक हासिल करने के लिए दो टीमों के बीच की एक स्पर्धा कहा जा सकता है। अंक पाने के लिए एक टीम का रेडर (कबड्डी-कबड्डी बोलने वाला) विपक्षी पाले (कोर्ट) में जाकर वहाँ मौजूद खिलाडियों को छूने का प्रयास करता है। इस दौरान विपक्षी टीम के स्टापर (रेडर को पकड़ने वाले) अपने पाले में आए रेडर को पकड़कर वापस जाने से रोकते हैं और अगर वह इस प्रयास में सफल होते हैं तो उनकी टीम को इसके बदले एक अंक मिलता है। और अगर रेडर किसी स्टापर को छूकर अपने पाले में चला जाता है तो उसकी टीम के एक अंक मिल जाता और जिस स्टापर को उसने छुआ है उसे नियमत: कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है। कबड्डी में 12 खिलाड़ी होते हैं जिसमें से 7 कोर्ट में होते हैं और 5 रिज़र्व होते हैं। कबड्डी कोर्ट डॉज बॉल गेम जितना बड़ा होता है। कोर्ट के बीचोबीच एक लाइन खिंची होती है जो इसे दो हिस्सों में बाँटती है। कबड्डी महासंघ के हिसाब से कोर्ट का माप 13 मीटर × 10 मीटर होता है।

कबड्डी मैट पर चार आउटर लाइन होती हैं, जिसे सीमा रेखा अथवा अंतिम लाइन कहा जाता है। नियम के मुताबिक पूरा खेल सीमा रेखा के अंदर खेला जाना चाहिए।

प्रत्येक हाफ में मध्य रेखा के समानांतर दो और रेखाएं खींची जाती हैं। बॉक लाइन मध्य रेखा से 3.75 मीटर की दूरी पर होती है, जबकि बोनस लाइन बॉक लाइन से 1 मीटर आगे (बॉक लाइन और एंड लाइन के बीच) खींची जाती है।

मैट की पूरी लंबाई के साथ एक मीटर के भीतर दो लाइन होती है, जिससे मैट पर दो चैनल बनते हैं और उन्हें लॉबी कहा जाता है। कई बार ऐसा देखा गया कि मैट पर लॉबी को दो अलग-अलग रंग में खींचा जाता है।

एक कबड्डी मैच आमतौर पर 40 मिनट (प्रत्येक 20 मिनट के दो भाग) तक चलता है।[2]

खेलने का तरीका

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कबड्डी

खिलाडियों के पाले में आने के बाद टॉस जीतने वाली टीम सबसे पहले कोर्ट की साइड या रेड करना चुनती हैं। फिर रेडर कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए जाता है और विपक्षी खिलाडियों को छूने का प्रयास करता हैं। वह अपनी चपलता का उपयोग कर विपक्षी खिलाडियों (स्टापरों) को छूने का प्रयास कर सकता है। इस प्रक्रिया में अगर वह विपक्षी टीम के किसी भी स्टापर को छूने में सफल होता है तो उस स्टापर को मरा हुआ (डेड) समझ लिया जाता है। ऐसे में उस स्टापर को कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है। और अगर स्टापरों को छूने की प्रक्रिया में रेडर अगर स्टापरों की गिरफ्त में आ जाता है तो उसे मरा हुआ (डेड) मान लिया जाता है। यह प्रक्रिया दोनों टीमों की ओर से बारी-बारी चलती रहती है।

इस तरह जिस दल के ज़्यादा अंक होते हैं उसे विजेता घोषित किया जाता हैं।  

खेल की अवधि

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यह खेल आमतौर पर 20-20 मिनट के दो हिस्सों में खेला जाता है। हर हिस्से में टीमें पाला बदलती हैं और इसके लिए उन्हें पाँच मिनट का ब्रेक मिलता है। हालाँकि आयोजक इसके एक हिस्से की अवधि 10 या 15 मिनट की भी कर सकते हैं। हर टीम में 5-6 स्टापर (पकड़ने में माहिर खिलाड़ी) व 4-5 रेडर (छूकर भागने में माहिर) होते हैं। एक बार में सिर्फ चार स्टापरों को ही कोर्ट पर उतरने की इजाजत होती है। जब भी स्टापर किसी रेडर को अपने पाले से बाहर जाने से रोकते हैं उन्हें एक अंक मिलता है लेकिन अगर रेडर उन्हें छूकर भागने में सफल रहता है तो उसकी टीम को अंक मिल जाता है।

मैचों का आयोजन आयु और वजन के आधार पर किया जाता है, परन्तु आजकल महिलाओं की भी काफी भागेदारी हो रही है।

पूरे मैच की निगरानी आठ लोग करते हैं: एक रेफ़री, दो अम्पायर, दो लाइंसमैन, एक टाइम कीपर, एक स्कोर कीपर और एक टीवी अम्पायर।

पिछले तीन एशियाई खेल में भी कबड्डी को शामिल करने से जापान और कोरिया जैसे देशों में भी कबड्डी की लोकप्रियता बढ़ी है।

कबड्डी की प्रमुख प्रतियोगिताएँ

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तमिलनाडु में बालिकाओं की कबड्डी


  • एशियाई खेलों में कबड्डी
  • एशिया कबड्डी कप
  • प्रो कबड्डी लीग
  • कबड्डी विश्व कप
  • महिला कबड्डी विश्व कप
  • यूके कबड्डी कप
  • विश्व कबड्डी लीग

एशियाई खेलों में कबड्डी

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वर्ष स्थान अन्तिम मैच तृतीय स्थान के लिए मैच
प्रथम स्थान परिणाम द्वितीय स्थान तृतीय स्थान परिणाम चतुर्थ स्थान
1990 बीजिंग भारत बांग्लादेश पाकिस्तान जापान
1994 हिरोशिमा भारत बांग्लादेश पाकिस्तान जापान
1998 बैंकाक भारत पाकिस्तान बांग्लादेश श्री लंका
2002 पुसान भारत बांग्लादेश पाकिस्तान जापान
2006 अद-दौहा भारत 35–23 पाकिस्तान बांग्लादेश 37–26 इरान
2010 गुआनझाऊ भारत् इरान्

कबड्डी विश्वकप

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कबड्डी का विश्वकप सबसे पहले 2004 में खेला गया था। उसके बाद 2007, 2010, 2012 और 2016 में हुआ। अभी तक भारत सभी में विजेता रहा है।

वर्ष अन्तिम मैच
2004 भारत भारत 5527 ईरान ईरान
2007 भारत भारत 29 – 19 ईरान ईरान
2010 भारत भारत 5851 पाकिस्तान पाकिस्तान
2011 भारत भारत 5925 कनाडा कनाडा
2012 भारत भारत 5922 पाकिस्तान पाकिस्तान
2016 भारत भारत 38-29 ईरान ईरान

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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kabaddi in Hindi - Various Information Archived 2021-05-25 at the वेबैक मशीन

  1. "Kabaddi Game".
  2. "Kabaddi Game".