ईश्वरसेन
ईश्वरसेन | |
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राजन मथारिपुत्र | |
पूर्ववर्ती | सकसेन उर्फ शक सातकर्णी |
उत्तरवर्ती | आभीर वशिष्ठपुत्र वासुसेन |
संतान | आभीर वशिष्ठपुत्र वसुसेन? |
राजवंश | आभीर |
पिता | आभीर शिवदत्त |
माता | मथारी |
ईश्वरसेन आभीर राजवंश के संस्थापक थे और उन्होंने एक युग की शुरुआत की जो बाद में कलचुरि-चेदि युग के रूप में जाना गया। ईश्वरसेन और उनके वंशजों ने गुजरात, कोंकण और पश्चिमी महाराष्ट्र सहित एक बड़े क्षेत्र पर शासन किया था। उन्होने 'राजन' की उपाधि गृहण की तथा भारतीय काल गणना संवत भी उनके नाम पर शुरू की गयी थी। उनके बाद उनकी नौ पीढ़िया सत्तारूढ़ रही।[1] आभीर राजाओं की इस पीढ़ी ने 167 वर्षों तक शासन किया, जब तक कि उनमें से अंतिम को 415 ई.पू. में उनके त्रैकुटका सामंत द्वारा अपदस्थ नहीं कर दिया गया।[2] आम तौर पर यह माना जाता है कि त्रिकुटक आभीर का एक अलग राजवंश थे, और इसलिए उन्हें कभी-कभी आभीर-त्रैकुटिका भी कहा जाता है।[3][4] इंद्रदत्त, दाहरसेन और व्याघ्रसेन इस राजवंश के प्रसिद्ध राजा थे। त्रिकुटक अपनी वैष्णव आस्था के लिए जाने जाते थे, जो खुद को हैहय शाखा के यादव होने का दावा करते थे और दाहरसेन ने अश्वमेध यज्ञ भी किया था अभीर युग ईश्वरसेन द्वारा 249 ई. में शुरू किया गया था, जो उनके साथ जारी रहा और इसे अभीर-त्रैकुटिका युग कहा गया। इस युग को बाद में कलचुरि राजवंश द्वारा जारी रखा गया, इसे कलचुरी युग और बाद में कलचुरी-चेदि युग कहा गया। पाँच त्रिकुटा राजाओं के शासन के बाद, वे केंद्रीय प्रांतों में चले गए और हैहय (चेदि) और कलचुरी नाम धारण कर लिया। इतिहासकार इस पूरे युग को आभीर-त्रैकुटिक-कलचुरी-चेदि युग कहते हैं।[5][6][7][8][9]
पुरालेखन
[संपादित करें]महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में आभीर शासन के अधीन कई राजाओं ने राज किया। ऐसे ही ईश्वरसेन द्वारा स्थापित एक राजवंश का उल्लेख अजंता की गुफा XVII के एक अभिलेख मे है, श्लोक 10 मे अशमक।[10][11]
चेदी-कलचुरी संवत
[संपादित करें]वी.वी. मिराशी के अनुसार, आभीर ईश्वरसेन ने तीसरी शताब्दी के मध्य में आभीर साम्राज्य की स्थापना की और 248-249 ई. में एक युग की शुरुआत की, जिसे बाद में चेदि-कलचुरी युग के नाम से जाना गया।[12]
मुद्रा शास्त्र
[संपादित करें]ईश्वरसेन के सिक्के सौराष्ट्र व दक्षिण राजपूताना में ही पाये गए हैं जिन पर उसके शासन काल के प्रथम व द्वितीय वर्ष ही अंकित हैं।[13][14]
मनुदेवी मंदिर
[संपादित करें]1200 BC में अहीर राजा ईश्वरसेन ने सतपुड़ा मनुदेवी मंदिर की स्थापना की जो कि एक हेमान्दपंथी मंदिर है।[15] [16]
इन्हें भी देखे
[संपादित करें]संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ Arun Kumar Sharma (2004). Heritage of Tansa Valley. Bharatiya Kala Prakashan Original from the University of Michigan. पपृ॰ 33, 92. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788180900297. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 फ़रवरी 2016.
Ishwarsena was the founder of the Abhira dynasty and he started an era which later became known as the Kalchuri-Chedi era. He and his descendants whose names do not occur in the Puranas seem to have ruled over a large territory comprising Gujrat, Konkan and Western Maharastra.
- ↑ Pradesh (India), Madhya; Krishnan, V. S. (1994). Madhya Pradesh District Gazetteers: Panna (अंग्रेज़ी में). Government Central Press.
- ↑ Journal of the Asiatic Society of Bombay (अंग्रेज़ी में). Asiatic Society of Bombay. 1935.
- ↑ The Age of Imperial Unity (अंग्रेज़ी में). Bharatiya Vidya Bhavan. 1968.
- ↑ Sen, Sailendra Nath (1999). Ancient Indian History and Civilization (अंग्रेज़ी में). New Age International. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-224-1198-0.
- ↑ A Comprehensive History of India: pt. 1. A.D. 300-985 (अंग्रेज़ी में). Orient Longmans. 1981.
- ↑ Numismatic Digest (अंग्रेज़ी में). Numismatic Society of Bombay. 1982.
- ↑ Choubey, M. C. (2006). Tripurī, History and Culture (अंग्रेज़ी में). Sharada Publishing House. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-88934-28-7.
- ↑ The Numismatic Chronicle (अंग्रेज़ी में). Royal Numismatic Society. 1983.
- ↑ Maharashtra (India). Gazetteers Dept (1977). Maharashtra State Gazetteers: Sholapur Gazetteer of India Volume 24 of Maharashtra State Gazetteers, Maharashtra (India). Gazetteers Dept. Director of Government Printing, Stationery and Publications, Maharashtra State. पृ॰ 40. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 फ़रवरी 2016.
- ↑ Maharashtra State Gazetteers: Sholapur-page-40
- ↑ Vidyapeetha, Ganganatha Jha Kendriya Sanskrit (1999). Journal of the Ganganatha Jha Kendriya Sanskrit Vidyapeetha (अंग्रेज़ी में). Ganganatha Jha Kendriya Sanskrit Vidyapeetha.
According to V.V. Mirashi Abhira Iśvarasena founded the Abhira kingdom at the middle of the Third Century A.D. and started an era in 248-249 A.D. which later on came to be known as the Chedi-Kalachuri Era.
- ↑ Vasudev Vishnu Mirashi contributer-India. Dept. of Archaeology (1955). Inscriptions of the Kalachuri-Chedi Era, Part 1. Government Epigraphist for India Original from the University of Michigan. पपृ॰ xxx. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 फ़रवरी 2016.
- ↑ Inscriptions of the Kalachuri-Chedi era, Part 1
- ↑ "Jalgaon News - August 2006 News". मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 फ़रवरी 2016.
- ↑ "Shree Manudevi". मूल से 26 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 फ़रवरी 2016.