अनुच्छेद 4 (भारत का संविधान)

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अनुच्छेद 4 (भारत का संविधान)  
मूल पुस्तक भारत का संविधान
लेखक भारतीय संविधान सभा
देश भारत
भाग भाग 1
प्रकाशन तिथि 1949
उत्तरवर्ती अनुच्छेद 4 (भारत का संविधान)

अनुच्छेद 4 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 1 में शामिल है और पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियो का वर्णन करता है।

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

अनुच्छेद 4 (प्रारूप अनुच्छेद 4) पर 18 नवंबर 1948 को चर्चा हुई । यह अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानूनों को विनियमित करता है। इस मसौदा अनुच्छेद पर कोई ठोस बहस नहीं हुई। एक सदस्य ने संक्षिप्तता के हित में अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 को अनुच्छेद 2 और 3 से प्रतिस्थापित करने की माँग की। प्रारूप समिति के अध्यक्ष ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि मसौदा समिति ने एक सामान्य विदेशी मिसाल का पालन किया। इसके अलावा, भारत सरकार अधिनियम 1935 ने भी इस प्रारूप का उपयोग किया था। इस संशोधन को बाद में संविधान सभा ने खारिज कर दिया और 18 नवंबर 1948 को इस अनुच्छेद को अपनाया।[1]

मूल पाठ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "18 Nov 1948 Archives". Constitution of India. 1948-11-18. अभिगमन तिथि 2024-04-16.
  2. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 3 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन विकिस्रोत कड़ी]
  3. "Constitution of India" (PDF). अभिगमन तिथि 2024-04-16.
  4. "Article 4: Laws made under articles 2 and 3 to provide for the amendment of the First and the Fourth Schedules and supplemental, incidental and consequential matters". Constitution of India. 2023-03-30. अभिगमन तिथि 2024-04-16.
  5. "Constitution of India" (PDF). अभिगमन तिथि 2024-04-16.

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