अनुच्छेद 1 (भारत का संविधान)
निम्न विषय पर आधारित एक शृंखला का हिस्सा |
भारत का संविधान |
---|
उद्देशिका |
सूची ∙ 1 ∙ 2 ∙ 3 ∙ 4 ∙ 5 ∙ 6 ∙ 7 ∙ 8 ∙ 9 ∙ 10 ∙ 11 ∙ 12 ∙ 13 ∙ 14 ∙ 15 ∙ 16 ∙ 17 ∙ 18 ∙ 19 ∙ 20 ∙ 21 ∙ 22 ∙ 23 ∙ 24 ∙ 25 ∙ 26 ∙ 27 ∙ 28 ∙ 29 ∙ 30 ∙ 31 ∙ 32 ∙ 33 ∙ 34 ∙ 35 ∙ 36 ∙ 37 ∙ 38 ∙ 39 ∙ 40 ∙ 41 ∙ 42 ∙ 43 ∙ 44 ∙ 45 ∙ 46 ∙ 47 ∙ 48 ∙ 49 ∙ 50 ∙ 51 ∙ 52 ∙ 53 ∙ 54 ∙ 55 ∙ 56 ∙ 57 ∙ 58 ∙ 59 ∙ 60 ∙ 61 ∙ 62 ∙ 63 ∙ 64 ∙ 65 ∙ 66 ∙ 67 ∙ 68 ∙ 69 ∙ 70 ∙ 71 ∙ 72 ∙ 73 ∙ 74 ∙ 75 ∙ 76 ∙ 77 ∙ 78 ∙ 79 ∙ 80 ∙ 81 ∙ 82 ∙ 83 ∙ 84 ∙ 85 ∙ 86 ∙ 87 ∙ 88 ∙ 89 ∙ 90 ∙ 91 ∙ 92 ∙ 93 ∙ 94 ∙ 95 ∙ 96 ∙ 97 ∙ 98 ∙ 99 ∙ 100 ∙ 101 |
संबधित विषय |
अनुच्छेद 1 (भारत का संविधान) | |
---|---|
मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 1 |
विषय | संघ और उसका राज्य-क्षेत्र |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 2 (भारत का संविधान) |
अनुच्छेद 1 भारत के संविधान के भाग 1 में शामिल पहला अनुच्छेद है जो संघ और उसके राज्य-क्षेत्र से संबंधित सूचना देता है। इस अनुच्छेद में ही भारत के नाम का उल्लेख है।
पृष्ठभूमि
[संपादित करें]13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय विधान-परिषद् में भारतीय स्वतंत्रता का घोषणा-पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा था कि, "यह विधान-परिषद् भारतवर्ष को एक पूर्ण स्वतंत्र जनतंत्र घोषित करने का दृढ़ और गम्भीर संकल्प प्रकट करती है और निश्चय करती है कि उसके भावी शासन के लिए एक विधान बनाया जाये जिसमें उन सभी प्रदेशों का एक संघ रहेगा जो आज ब्रिटिश भारत तथा देशी रियासतों के अन्तर्गत तथा इनके बाहर भी हैं और जो आगे स्वतंत्र भारत में सम्मिलित होना चाहते हों।"[1] भारतीय विधान-परिषद् में वाद-विवाद के बाद भारत को सुचिंतित रूप में संघ कहा गया परिसंघ नहीं। भीमराव अंबेडकर ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि यद्यपि भारत एक परिसंघ है किंतु यह परिसंघ राज्यों के साथ अनुबंध का परिणाम नहीं है। अंबेडकर की चिंता नेहरू के प्रस्ताव में निहित प्रांतों की गुटबंदी की संभावना को लेकर थी।[2] इसीलिए सुनिश्चित किया कि राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है। परिसंघ नष्ट नहीं किया जा सकता इसीलिए वह संघ है। प्रशासनिक सुविधा के लिए देश को विभिन्न राज्यों में बाँटा जा सकता है किंतु देश एक अखंड इकाई होगा।[3]
मूल पाठ
[संपादित करें]“ | (1) भारत, अर्थात् इण्डिया, राज्यों का संघ होगा। [a][(2) उसके राज्य और राज्य-क्षेत्र वे होंगे जो प्रथम अनुसूची में उल्लिखित हैं]
[b][(ख) प्रथम अनुसूची में उल्लिखित संघ राज्य-क्षेत्र, तथा]
समाविष्ट होंगे।[4] |
” |
“ | (1) India, that is Bharat, shall be a Union of States. [c][(2) The States and the territories thereof shall be as specified in the First Schedule.]
[d][(b) the Union territories specified in the First Schedule; and]
|
” |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "जिल्द 5". भारतीय विधान-परिषद् के वाद-विवाद की सरकारी रिपोर्ट. 13 दिसंबर 1946. पृ॰ 4.
- ↑ "जिल्द 7". भारतीय विधान-परिषद् के वाद-विवाद की सरकारी रिपोर्ट. 17 दिसंबर 1946. पपृ॰ 17–18.
- ↑ ब्रजकिशोर, शर्मा (2012). भारत का संविधान : एक परिचय (नौवां संस्करण). नई दिल्ली: PHI Learning Private Limited. पृ॰ 56. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-203-4646-8.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 2 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 2 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
टिप्पणी
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]विकिस्रोत में इस लेख से संबंधित मूल पाठ उपलब्ध है: |