वार्ता:१ − २ + ३ − ४ + · · ·

पृष्ठ की सामग्री दूसरी भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

यह पृष्ठ १ − २ + ३ − ४ + · · · लेख के सुधार पर चर्चा करने के लिए वार्ता पन्ना है। यदि आप अपने संदेश पर जल्दी सबका ध्यान चाहते हैं, तो यहाँ संदेश लिखने के बाद चौपाल पर भी सूचना छोड़ दें।

लेखन संबंधी नीतियाँ

वर्तनी/ व्याकरण सम्बन्धी कुछ सुझाव[संपादित करें]

@संजीव कुमार:

  • लिखा हुआ- प्रत्येक व्यंजक में इसके पूर्व चिह्न से विपरीत होते हैं
  • सुझाव- प्रत्येक व्यंजक के चिन्ह, इसके पूर्व व्यंजक से विपरीत होते हैं
  • लिखा हुआ- मतलब यह है कि इसके आंशिक योग का अनुक्रम (1, −1, 2, −2, ...) किसी परिमित मान की और अग्रसर नहीं होता है।
  • सुझाव- मतलब यह है कि इसके आंशिक योग का अनुक्रम (1, −1, 2, −2, ...), किसी परिमित मान की ओर अग्रसर नहीं होता है।
  • लिखा हुआ- अर्नेस्टो सिसैरा, एमिल बोरेल और अन्यों ने
  • सुझाव- अर्नेस्टो सिसैरा, एमिल बोरेल तथा अन्यों ने
  • लिखा हुआ- आयलर ने इन दोनों श्रेणियों को श्रेणी1 − 2n + 3n − 4n + ... जहाँ n यदृच्छ है,
  • सुझाव- आयलर ने इन दोनों श्रेणियों को श्रेणी1 − 2n + 3n − 4n + ... (जहाँ n यदृच्छ है),
  • लिखा हुआ- बाद में उनका ये कार्य बाद में फलनिक समीकरण के रूप में परिणत हुआ
  • सुझाव- बाद में उनका ये कार्य (xxबाद मेंxx) फलनिक समीकरण के रूप में परिणत हुआ---(बाद में दो बार आया हुआ है)
  • लिखा हुआ- श्रेणी के पद (1, −2, 3, −4, ...) 0 की ओर अग्रषर नहीं हैं;
  • सुझाव- श्रेणी के पद (1, −2, 3, −4, ...) 0 की ओर अग्रसर नहीं हैं;
  • लिखा हुआ- बाद में सन्दर्भ के तौर पर यह भी आवश्यक हो गया कि श्रेणी का अपसरण का मूलभूत स्तर क्या है।
  • सुझाव- बाद में सन्दर्भ के तौर पर यह भी आवश्यक हो गया कि श्रेणी का अपसरण का मूलभूत स्तर क्या है ?
  • लिखा हुआ- परिभाषा के अनुसार किसी अनन्त श्रेणी का अपसरण या अभिसरण को
  • सुझाव- परिभाषा के अनुसार किसी अनन्त श्रेणी के अपसरण या अभिसरण को
  • लिखा हुआ-इस अनुक्रम की विशिष्टता यह है कि इसमें प्रत्येक पूर्णांक ठीक एक बार आता है
  • सुझाव-इस अनुक्रम की विशिष्टता यह है कि इसमें प्रत्येक पूर्णांक ठीक एक बार ही आता है
  • लिखा हुआ- जिसमें शून्य भी शामिल है यदि खाली
  • सुझाव- जिसमें शून्य भी शामिल है' 'यदि खाली
  • लिखा हुआ- यदि खाली आंशिक संकलन किया जाए—जिससे पूर्णांकों
  • सुझाव- यदि खाली आंशिक संकलन किया जाए—(space आयेगा) जिससे पूर्णांकों
  • लिखा हुआ- जिसके उत्तरवर्ती सभी संकलन अन्तराल [x-1, x+1] के बाहर होंगे।)
  • सुझाव- जिसके उत्तरवर्ती सभी संकलन अन्तराल [x-1, x+1] के बाहर होंगे)।
  • लिखा हुआ- अनुरूप हैं, श्रेणी 1 − 2 + 3 − 4 + ... स्थान परिवर्तन कर पदवार संकलित करके एक संख्यातमक मान प्राप्त किया जा सकता है।
  • सुझाव- अनुरूप हैं अतः श्रेणी 1 − 2 + 3 − 4 + ... स्थान परिवर्तन कर“, उसका” पदवार “संकलन” करके”,” एक “संख्यात्मक” मान प्राप्त किया जा सकता है।
  • लिखा हुआ- यदि किस साधारण संख्या s के लिए
  • सुझाव- यदि किसी साधारण संख्या s के लिए
  • लिखा हुआ- s = 1⁄4:
  • सुझाव- s = 1⁄4 (विःसर्ग या बिन्दी नहीं आएगी)
  • लिखा हुआ- कुछ उपसमुच्चयों का योग करती हैं।
  • सुझाव- कुछ उपसमुच्चयों का योग करती है
  • लिखा हुआ- साधारण संकलनों को प्रदर्शित करने वाली विभिन्न विधियाँ (जिनमें से कुछ का विवरण नीचे दिया गया है।) हैं।
  • सुझाव- साधारण संकलनों को प्रदर्शित करने वाली विभिन्न विधियाँ (जिनमें से कुछ का विवरण नीचे दिया गया है)।
  • लिखा हुआ- संकलनीयता विधि से जो स्थिरता एवं रैखिकता और श्रेणी1 − 2 + 3 − 4 + ... को योग करे,
  • सुझाव- संकलनीयता विधि से जो स्थिरता एवं रैखिकता और श्रेणी1 − 2 + 3 − 4 + ... को योग करें,
  • लिखा हुआ- सिसौरा के लिए यह समीकरण उनके पूर्व प्रकाशित पत्र की प्रमेय का एक अनुप्रेयोग था
  • सुझाव- सिसौरा के लिए यह समीकरण उनके पूर्व प्रकाशित पत्र की प्रमेय का एक अनुप्रयोग था
  • लिखा हुआ- दो अनन्त श्रेणिय्ं का कोशी गुणनफल तब भी परिभाषित है जब दोनों
  • सुझाव- दो अनन्त श्रेणियों का कोशी गुणनफल तब भी परिभाषित है जब दोनों
  • लिखा हुआ- पूर्व अनुभाग के परिणाम के साथ विधियाँ जो रैखिक, स्थिरता और कोशी गुणनफल
  • सुझाव- पूर्व अनुभाग के परिणाम के साथ वे विधियाँ जो रैखिक, स्थिरता और कोशी गुणनफल
  • लिखा हुआ- श्रेणी 1 − 2 + 3 − 4 + ... की संकलनीयता में समानार्थकता में अन्तर्निहित होती है।
  • सुझाव- श्रेणी 1 − 2 + 3 − 4 + ... की संकलनीयता में समानार्थकता में अन्तर्निहित होती हैं
  • लिखा हुआ- उच्चतर विधियाँ माध्य के अभिकलन की पुनरावृत्ति करते हैं।
  • सुझाव- उच्चतर विधियाँ माध्य के अभिकलन की पुनरावृत्ति करती हैं।
  • लिखा हुआ- लेकिन वो उस समय पर उचित तरिके से समझा नहीं पाये। उन्होंने 1890
  • सुझाव- लेकिन वो उस समय पर उचित “तरीके” से नहीं समझा पाये। उन्होंने 1890
  • लिखा हुआ- जो 1⁄4से बिलकुल भिन्न है और आगे भी यह मान इकाई से बढ़ता है जब हम एक पद ओर बढ़ाते हैं।
  • सुझाव- जो 1⁄4से बिलकुल भिन्न है और आगे भी यह मान इकाई से बढ़ता है जब हम एक पद और बढ़ाते हैं।
  • लिखा हुआ- लेकिन टेलर प्रमेय की भांति कठीन भाषा की आवश्यकता होती है।
  • सुझाव- लेकिन टेलर प्रमेय की भांति कठिन भाषा की आवश्यकता होती है।
  • लिखा हुआ- इसमें बहुत ही विरोधाभाष हैं।
  • सुझाव- इसमें बहुत ही विरोधाभास हैं।
  • लिखा हुआ- श्रेणियाँ अपसारी होने पर, उनका योग बहुत कठीन है।
  • सुझाव- श्रेणियाँ अपसारी होने पर, उनका योग बहुत कठिन है।
  • लिखा हुआ-किन योग के लिए बहुत कठीन विधियों की
  • सुझाव- किन योग के लिए बहुत कठिन विधियों की


@Surenders25: आपके उचित, सुन्दर और पूर्ण विवरण के साथ दिये गए सुझावों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। बाकी बदलाव कर दिये गये हैं एक सुझाव पर मुझे आपति है:
  • लेख में लिखा हुआ- साधारण संकलनों को प्रदर्शित करने वाली विभिन्न विधियाँ (जिनमें से कुछ का विवरण नीचे दिया गया है।) हैं। जिसके अन्तिम भाग को आपके अनुसार "है)।" से बदल देना चाहिए। इस स्थिति में कोष्ठक के पूर्व का वाक्य अधुरा रह जायेगा।

कृपया इसे स्पष्ट करें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 12:06, 24 जून 2014 (UTC)[उत्तर दें]

@संजीव कुमार: मुझे भी आपकी बात सही लग रही है। वाक्य के अंत में दोनों ('है' और 'हैं') आएंगे, लेकिन पूर्ण विराम ब्रैकेट के बाहर ही आयेगा।--सुरेंदर सिंह (वार्ता) 15:16, 24 जून 2014 (UTC)[उत्तर दें]
@Surenders25: आपकी सहायता और सुझावों के लिए धन्यवाद। अन्तिम सुझाव के अनुसार पूर्णविराम को कोष्टक के बाहर कर दिया है। इसके अतिरिक्त आपने मुझे उत्तर देते समय लेख के वार्ता पृष्ठ एक उपरी भाग में {{cc-by-sa-3.0|Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0}} जोड़ दिया है जो केवल चित्रों और मिडिया के लिए प्रयुक्त किया जाता है। मेरा विश्वास है कि आपसे यह अनजाने में हुआ है अतः मैं इसे हटा रहा हूँ फिर भी यदि आपने किसी उद्देश्य के साथ इसे लगाया है तो मुझे बतायें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 15:43, 24 जून 2014 (UTC)[उत्तर दें]


@संजीव कुमार: यह मुझसे अनजाने में ही लिख हो गया। हटाने के लिए धन्यवाद--सुरेंदर सिंह (वार्ता) 16:09, 24 जून 2014 (UTC)[उत्तर दें]

  1. सूत्रों के ठीक पहले का वाक्य खत्म होने पर कुछ जगह कोलन (:) का प्रयोग है, कुछ जगह नहीं। कृपया एकरूपता लायें।
  2. "निम्न प्रकार से" या "निम्न रूप में" जैसे वाक्यांश ठीक नहीं हैं, या तो "निम्नवत्" होता है या "निम्नलिखित प्रकार से" होता है, आप जिसे नीचे लिख रहे हैं उसे ही नीचा नहीं साबित कर रहे।
  3. 'सिसैरो' और 'सिसौरो' में एकरूपता लायें।
  4. 'एबल संकलन' वाले उपखण्ड में कुछ टिप्पणियाँ ऐसी हैं जो उद्धरण प्रतीत हो रही हैं, यदि ऐसा है तो कृपया उद्धरण चिह्नों में बाँधें।

--सत्यम् मिश्र (वार्ता) 18:24, 16 जनवरी 2015 (UTC)[उत्तर दें]

@सत्यम् मिश्र: आपकी टिप्पणियों के लिए धन्यवाद। आपके द्वारा दिये गये प्रथम तीन सुझाव लागू कर दिये गये हैं। कुछ स्थानों पर कॉलन का प्रयोग साद्देश्य नहीं किया गया और मुझे लगता है इसका कारण उन पंक्तियों को पढ़ने में स्पष्ट हो जायेगा। चतुर्थ टिप्पणी को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके लिए {{Blockquote}} को काम में लिया गया है और इसमें अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 20:39, 5 फ़रवरी 2015 (UTC)[उत्तर दें]