बघेलखंड
बघेलखंड मध्य भारत का एक पठारी क्षेत्र है। यह भूतपूर्व प्रदेश विन्ध्य प्रदेश का एक भाग है जो 1956 में मध्यप्रदेश में सम्मिलित कर दिया गया था। यहां मुख्यतः आमजन की बोलचाल की भाषा अवधी से निकली हुई बघेली है, जो शुद्ध और मिश्रित रूप से इन जिलों में बोली जाती है। यह मध्य प्रदेश राज्य के उत्तर-पूर्वी ओर स्थित है। इसमें मध्य प्रदेश के जिले और जिले सम्मिलित हैं: -
मध्यप्रदेश से
उत्तर प्रदेश से
प्रस्तावित बघेलखंड राज्य
[संपादित करें]प्रस्तावित बघेलखंड राज्य में निम्न लिखित जिले और क्षेत्र सम्मिलित करने की मांग है : बघेलखंड में कुछ जिले उत्तर प्रदेश के तथा कुछ मध्य प्रदेश के हैं, वर्तमान में बघेलखण्ड क्षेत्र की स्थिति बहुत ही गंभीर है। यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह अत्यंत पिछड़ा है। इसका मुख्य कारण है, राजनीतिक उदासीनता। न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें इस क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर हैं। इसलिए इस क्षेत्र के लोग अलग बघेलखण्ड राज्य की मांग लम्बे समय से करते आ रहे है। यूं तो बघेलखण्ड क्षेत्र दो राज्यों में विभाजित है-उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश, लेकिन भू-सांस्कृतिक दृष्टि से यह क्षेत्र एक दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। रीति रिवाजों, भाषा और विवाह संबंधों ने इस एकता को और भी पक्की नींव पर खड़ा कर दिया।
मध्य प्रदेश से
उत्तर प्रदेश से
- उत्तरी सोनभद्र जिला (मिर्जापुर)
- दक्षिणी सोनभद्र जिला (सोनभद्र)
- चित्रकूट
- प्रयागराज कि दक्षिणी तहसीले
राजनीतिक दृष्टि
[संपादित करें]इस क्षेत्र के कई नेता कभी बघेलखंड तो कभी विंध्य प्रदेश की मांग समय - समय पर उठाते आ रहे हैं इनमे प्रमुख रूप से पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी मैहर और उनके सहयोगी नेतागण है ।