"अंजलिकास्त्र": अवतरणों में अंतर
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इस रीति से [[लक्ष्मण]] ही ऐसा मनुष्य था जो [[मेघनाद]] का वध कर सकता था। [[विभीषण]] के र्निर्देशानुसार लक्ष्मण ने मेघनाद के यज्ञ को रोका एवं अंजलिकास्त्र से मेघनाद का वध किया। |
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[[चित्र:Arjuna Slays Karna, page from a copy of the Razmnama, Mughal period.jpg|अंगूठाकार|362x362पिक्सेल|अंजलिकास्त्र से अर्जुन कर्ण का वध करता है।]] |
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[[कुरुक्षेत्र युद्ध]] के सत्रहवे दिन को [[अर्जुन|इन्द्रपुत्र अर्जुन]] एवं [[कर्ण|सूर्यपुत्र कर्ण]] का युद्ध हुआ। अर्जुन के सारथी [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] थें एवं कर्ण के सारथी [[शल्य|मद्रनरेश शल्य]] थें। |
[[कुरुक्षेत्र युद्ध]] के सत्रहवे दिन को [[अर्जुन|इन्द्रपुत्र अर्जुन]] एवं [[कर्ण|सूर्यपुत्र कर्ण]] का युद्ध हुआ। अर्जुन के सारथी [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] थें एवं कर्ण के सारथी [[शल्य|मद्रनरेश शल्य]] थें। |
14:03, 18 जनवरी 2021 का अवतरण
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अंजलिकास्त्र देवराज इन्द्र का अस्त्र है। पुराणों के अनुसार इस अस्त्र के माध्यम से शत्रू के माथे को उसके शरीर से अलग किया जा सकता है।
रामायण
कहा जाता है कि अंजलिकास्त्र का प्रयोग करके लक्ष्मण ने रावण के पुत्र इंन्द्रजीत का वध किया था परंतु इस विषय में मतभेद है।
परमपिता ब्र्ह्मा ने मेघनाद को आशिर्वाद दिया था कि देवी प्रत्यङ्गिरा के लिए यज्ञ की समाप्ती के पश्चात उसे एक दिव्य रथ प्राप्त होगा। इस रथ के रहने से कोई भी प्राणी उसे पराजित नहीं कर सकता। परंतु इस आशिर्वाद को पूर्ण करने के लिए यज्ञ में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए था। मेघनाद ने परमपिता से एक दूसरा वरदान मांगा - उसका वध केवल वही कर सकता है जिसे बारह वर्ष से लगातार नींद नहीं आई थी।
इस रीति से लक्ष्मण ही ऐसा मनुष्य था जो मेघनाद का वध कर सकता था। विभीषण के र्निर्देशानुसार लक्ष्मण ने मेघनाद के यज्ञ को रोका एवं अंजलिकास्त्र से मेघनाद का वध किया।
कुरुक्षेत्र युद्ध के सत्रहवे दिन को इन्द्रपुत्र अर्जुन एवं सूर्यपुत्र कर्ण का युद्ध हुआ। अर्जुन के सारथी श्रीकृष्ण थें एवं कर्ण के सारथी मद्रनरेश शल्य थें।
जब कर्ण ने आगे बढ़ने का प्रयत्न किया, भूदेवी के दिए गए श्राप से उसके रथ का पहिया कीचड़ में अटक गया। उसने ब्रम्हास्त्र प्रयोग में लाना चाहा परंतु परशुराम के दिए गए श्राप के कारण यह भी संभव नहीं हो पाया। अंत में विवश होकर उसने पहिए को कीचड़ से निकालने का प्रयत्न किया।
कर्ण के हाथों में न अस्त्र थे, न शस्त्र। श्रीकृष्ण के र्निर्देशानुसार ठीक इसी समय अर्जुन ने अंजलिकास्त्र का प्रयोग करके कर्ण का वध किया।
- ↑ महाभारत