"जोन ऑफ़ आर्क": अवतरणों में अंतर

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'''संत जोन ऑफ़ आर्क''' या '''ऑर्लियन्स की कन्या''' ([[फ्रांसीसी]]: ''Jeanne d'Arc'', ज़ॉन द'आर्क); लगभग १४१२ – ३० मई १४३१) [[फ्रांस]] की वीरांगना थीं, जिन्हें [[रोमन कैथोलिक चर्च]] में [[संत]] माना जाता है। ये [[पूर्वी फ्रांस]] के एक किसान परिवार में जन्मी थीं। १२ वर्ष की आयु से इन्हें ईश्वरीय संदेश मिलने शुरु हुए कि किस तरह फ्रांस से [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] को निकाल बाहर किया जाए। इन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इन्होंने फ्रांस की सेना का नेतृत्व किया और कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीतीं, जिनके चलते [[चार्ल्स सप्तम]] फ्रांस की राजगद्दी पर बैठ पाए। ये फ्रांस के [[संरक्षक संत|संरक्षक संतों]] में से एक हैँ।
'''संत जोन ऑफ़ आर्क''' या '''ऑर्लियन्स की कन्या''' ([[फ़्रान्सीसी भाषा|फ्रांसीसी]]: ''Jeanne d'Arc'', ज़ॉन द'आर्क); लगभग १४१२ – ३० मई १४३१) [[फ़्रान्स|फ्रांस]] की वीरांगना थीं, जिन्हें [[कैथोलिक कलीसिया|रोमन कैथोलिक चर्च]] में [[संत]] माना जाता है। ये [[पूर्वी फ्रांस]] के एक किसान परिवार में जन्मी थीं। १२ वर्ष की आयु से इन्हें ईश्वरीय संदेश मिलने शुरु हुए कि किस तरह फ्रांस से [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] को निकाल बाहर किया जाए। इन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इन्होंने फ्रांस की सेना का नेतृत्व किया और कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीतीं, जिनके चलते [[चार्ल्स सप्तम]] फ्रांस की राजगद्दी पर बैठ पाए। ये फ्रांस के [[संरक्षक संत|संरक्षक संतों]] में से एक हैँ।


जोन का कहना था कि इन्हें ईश्वर से आदेश मिले कि वे अपनी जन्मभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराएँ। [[सौ वर्षों का युद्ध|सौ वर्षों के युद्ध]] के अंतिम वर्षों में [[इंग्लैण्ड]] ने फ्रांस के काफी भूभाग पर कब्जा कर लिया था। फ्रांस के वैध राजा चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक भी नहीं हो पाया था। जोन ने जब चार्ल्स को बताया कि ईश्वरीय संदेश के अनुसार [[ऑर्लियन्स]] में फ्रांस की जीत निश्चित है, तो चार्ल्स ने जोन को ऑर्लियन्स की घेराबंदी तोड़ने के लिए भेज दिया। ऑर्लियन्स पहुँच कर जोन ने हतोत्साहित सेनापतियों को उत्साह दिलाया और नौ दिन के अंदर-अंदर घेराबंदी को तोड़ डाला। इसके बाद इन्होंने फ्रांस की सेना की सावधानी से काम लेने की नीति को बदल दिया और अपने स्फूर्त नेतृत्व से कई और लड़ाइयाँ जीतीं। अंततः इनके कहे अनुसार [[रैम, फ्रांस|रैम]] में चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक हुआ। [[कॉम्पियैन]] में इन्हें अंग्रेजों ने पकड़ लिया और [[चुड़ैल]] करार देते हुए जीवित जला दिया। उस समय ये केवल १९ साल की थीं। २४ साल बाद चार्ल्स सप्तम के अनुरोध पर [[पोप कॅलिक्स्टस तृतीय]] ने इन्हें निर्दोष ठहराया और शहीद की उपाधि से सम्मानित किया। १९०९ में इन्हें धन्य घोषित किया गया और १९२० में संत की उपाधि प्रदान की गई।
जोन का कहना था कि इन्हें ईश्वर से आदेश मिले कि वे अपनी जन्मभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराएँ। [[सौ वर्षों का युद्ध|सौ वर्षों के युद्ध]] के अंतिम वर्षों में [[इंग्लैण्ड]] ने फ्रांस के काफी भूभाग पर कब्जा कर लिया था। फ्रांस के वैध राजा चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक भी नहीं हो पाया था। जोन ने जब चार्ल्स को बताया कि ईश्वरीय संदेश के अनुसार [[ऑर्लियन्स]] में फ्रांस की जीत निश्चित है, तो चार्ल्स ने जोन को ऑर्लियन्स की घेराबंदी तोड़ने के लिए भेज दिया। ऑर्लियन्स पहुँच कर जोन ने हतोत्साहित सेनापतियों को उत्साह दिलाया और नौ दिन के अंदर-अंदर घेराबंदी को तोड़ डाला। इसके बाद इन्होंने फ्रांस की सेना की सावधानी से काम लेने की नीति को बदल दिया और अपने स्फूर्त नेतृत्व से कई और लड़ाइयाँ जीतीं। अंततः इनके कहे अनुसार [[रैम, फ्रांस|रैम]] में चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक हुआ। [[कॉम्पियैन]] में इन्हें अंग्रेजों ने पकड़ लिया और [[चुड़ैल]] करार देते हुए जीवित जला दिया। उस समय ये केवल १९ साल की थीं। २४ साल बाद चार्ल्स सप्तम के अनुरोध पर [[पोप कॅलिक्स्टस तृतीय]] ने इन्हें निर्दोष ठहराया और शहीद की उपाधि से सम्मानित किया। १९०९ में इन्हें धन्य घोषित किया गया और १९२० में संत की उपाधि प्रदान की गई।


[[पाश्चात्य संस्कृति]] में जोन ऑफ़ आर्क की बहुत महत्ता है। [[नेपोलियन]] से लेकर आधुनिक नेताओं तक, सब फ्रांसीसी राजनेता जोन का आह्वान करते आए हैं। बहुत से लेखकों ने इनके जीवन से प्रेरित हो साहित्य रचा है, जिनमें शामिल हैं- [[विलियम शेक्सपियर]], [[वोल्टेयर]], [[फ्रेडरिक शिलर]], [[जिसेप वर्दी]], [[प्योत्र ईलिच चाइकौव्स्की]], [[मार्क ट्वेन]], [[बर्तोल्त ब्रैच्त]] और [[जॉर्ज बर्नार्ड शॉ]]। इसके अलावा इनपर बहुत सी फिल्में, वृत्तचित्र, वीडियो गेम और नृत्य भी बने हैं।
[[पाश्चात्य संस्कृति]] में जोन ऑफ़ आर्क की बहुत महत्ता है। [[नेपोलियन बोनापार्ट|नेपोलियन]] से लेकर आधुनिक नेताओं तक, सब फ्रांसीसी राजनेता जोन का आह्वान करते आए हैं। बहुत से लेखकों ने इनके जीवन से प्रेरित हो साहित्य रचा है, जिनमें शामिल हैं- [[विलियम शेक्सपीयर|विलियम शेक्सपियर]], [[वोल्टेयर]], [[फ्रेडरिक शिलर]], [[जिसेप वर्दी]], [[प्योत्र ईलिच चाइकौव्स्की]], [[मार्क ट्वैन|मार्क ट्वेन]], [[बर्तोल्त ब्रैच्त]] और [[जार्ज बर्नार्ड शा|जॉर्ज बर्नार्ड शॉ]]। इसके अलावा इनपर बहुत सी फिल्में, वृत्तचित्र, वीडियो गेम और नृत्य भी बने हैं।


== चित्र दीर्घा ==
== चित्र दीर्घा ==

13:30, 4 मार्च 2020 का अवतरण

संत जोन ऑफ़ आर्क
लगभग १४८५ में कलाकार ने अपनी कल्पना से बनाई तस्वीर, इन को बिठाकर एक ही तस्वीर बनी थी जो कि अब नहीं बची है। (सॉन्थ्र इस्तोरीक देज़ार्काइव्ज़ नासियोनाल, पैरिस, AE II 2490)
संत
जन्म लगभग १४१२, डोमरेमी-ला-पुसैल, फ्रांस
मृत्यु मई 30, 1431(1431-05-30) (उम्र 19), रूऔं, फ्रांस (तब इंग्लैण्ड)
भक्त रोमन कैथोलिक चर्च
"धन्य" घोषित १८ अप्रैल १९०९, नोथ्र दाम द पारी , पोप पायस दशम द्वारा
संत घोषित १६ मई १९२०, सेंट पीटर्स बेसिलिका, रोम , पोप बेनेडिक्ट पन्द्रहवाँ द्वारा
भोज-दिवस ३० मई
संरक्षण फ्रांस ; शहीद, बंदी, लड़ाके, धर्मनिष्ठा के कारण उपहास के पात्र बने लोग, कैदी, सैनिक

संत जोन ऑफ़ आर्क या ऑर्लियन्स की कन्या (फ्रांसीसी: Jeanne d'Arc, ज़ॉन द'आर्क); लगभग १४१२ – ३० मई १४३१) फ्रांस की वीरांगना थीं, जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च में संत माना जाता है। ये पूर्वी फ्रांस के एक किसान परिवार में जन्मी थीं। १२ वर्ष की आयु से इन्हें ईश्वरीय संदेश मिलने शुरु हुए कि किस तरह फ्रांस से अंग्रेजों को निकाल बाहर किया जाए। इन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इन्होंने फ्रांस की सेना का नेतृत्व किया और कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीतीं, जिनके चलते चार्ल्स सप्तम फ्रांस की राजगद्दी पर बैठ पाए। ये फ्रांस के संरक्षक संतों में से एक हैँ।

जोन का कहना था कि इन्हें ईश्वर से आदेश मिले कि वे अपनी जन्मभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराएँ। सौ वर्षों के युद्ध के अंतिम वर्षों में इंग्लैण्ड ने फ्रांस के काफी भूभाग पर कब्जा कर लिया था। फ्रांस के वैध राजा चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक भी नहीं हो पाया था। जोन ने जब चार्ल्स को बताया कि ईश्वरीय संदेश के अनुसार ऑर्लियन्स में फ्रांस की जीत निश्चित है, तो चार्ल्स ने जोन को ऑर्लियन्स की घेराबंदी तोड़ने के लिए भेज दिया। ऑर्लियन्स पहुँच कर जोन ने हतोत्साहित सेनापतियों को उत्साह दिलाया और नौ दिन के अंदर-अंदर घेराबंदी को तोड़ डाला। इसके बाद इन्होंने फ्रांस की सेना की सावधानी से काम लेने की नीति को बदल दिया और अपने स्फूर्त नेतृत्व से कई और लड़ाइयाँ जीतीं। अंततः इनके कहे अनुसार रैम में चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक हुआ। कॉम्पियैन में इन्हें अंग्रेजों ने पकड़ लिया और चुड़ैल करार देते हुए जीवित जला दिया। उस समय ये केवल १९ साल की थीं। २४ साल बाद चार्ल्स सप्तम के अनुरोध पर पोप कॅलिक्स्टस तृतीय ने इन्हें निर्दोष ठहराया और शहीद की उपाधि से सम्मानित किया। १९०९ में इन्हें धन्य घोषित किया गया और १९२० में संत की उपाधि प्रदान की गई।

पाश्चात्य संस्कृति में जोन ऑफ़ आर्क की बहुत महत्ता है। नेपोलियन से लेकर आधुनिक नेताओं तक, सब फ्रांसीसी राजनेता जोन का आह्वान करते आए हैं। बहुत से लेखकों ने इनके जीवन से प्रेरित हो साहित्य रचा है, जिनमें शामिल हैं- विलियम शेक्सपियर, वोल्टेयर, फ्रेडरिक शिलर, जिसेप वर्दी, प्योत्र ईलिच चाइकौव्स्की, मार्क ट्वेन, बर्तोल्त ब्रैच्त और जॉर्ज बर्नार्ड शॉ। इसके अलावा इनपर बहुत सी फिल्में, वृत्तचित्र, वीडियो गेम और नृत्य भी बने हैं।

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