अंतरिक्ष उड़ान (Spaceflight) अंतरिक्ष में गुज़रने वाली प्रक्षेपिक उड़ान होती है। अंतरिक्ष उड़ान में अंतरिक्ष यानों का प्रयोग होता है, जो मानव-सहित या मानव-रहित हो सकते हैं। मानवीय अंतरिक्ष उड़ान में अमेरिकी द्वारा करी गई अपोलो चंद्र यात्रा कार्यक्रम और सोवियत संघ (और उसके अंत के बाद रूस) द्वारा संचालित सोयूज़ कार्यक्रम शामिल हैं। मानव-रहित अंतरिक्ष उड़ान में पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करते सैंकड़ो उपग्रह तथा पृथ्वी की कक्षा छोड़कर अन्य ग्रहों, क्षुद्रग्रहों व उपग्रहों की ओर जाने वाले भारत के मंगलयान जैसे अंतरिक्ष शोध यान शामिल हैं।
मार्स एटमोस्फेयर एंड वोलेटाइल एवोल्युसन (Mars Atmosphere and Volatile EvolutioN (MAVEN)) अर्थात मावेनमंगल ग्रह के परिवेश का अध्ययन के लिए बनाया गया अंतरिक्ष शोध यान है जो मंगल की कक्षा में परिक्रमा करता है। इसका लक्ष्य मंगल के वायुमण्डल और जल का पता लगाना है जिसके बारे में परिकल्पित है कि वहाँ पहले कुछ हुआ करता था जो समय के साथ खो गया। मावेन के प्रमुख अन्वेषक लॉकहीड मार्टीन स्पेस सिस्टम, कोलोराडो विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, बर्कले तथानासागोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर हैं।
राकेश शर्मा भारत के पहले और विश्व के 138 वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। राकेश शर्मा एक अच्छे मनुष्य थे
राकेश बचपन से ही विज्ञान में काफी रूचि रखते थें। बिगड़ी चीजों को बनाना और इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर बारीकी से नजर रखना उनकी आदत थी।
राकेश जब बड़े हुए तो आसमान में उड़ते हवाई जहाज को तब तक देखा करते थे जब तक वह उनकी आंखो से ओझल ना हो जाए। जल्द ही राकेश के मन में आसमान में उड़ने की तमन्ना जाग गई। फिर क्या, वह बस उसी ओर लग गए और एक दिन वो कर दिखाया जिससे हर भारतीय को उन पर गर्व है।
पटियाला के एक हिंदू गौड़ ब्राह्मण परिवार में जन्में राकेश ने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।
किस्मत ने लिया यू-टर्न 1966 में एनडीए पास कर इंडियन एयर फोर्स कैडेट बने राकेश शर्मा ने 1970 में भारतीय वायु सेना को ज्वाइन कर लिया। फिर यहीं से इनकी किस्मत ने यू-टर्न लिया और राकेश ने कुछ ऎसा कर दिखाया कि आज उनके नाम से हर भारतीय का सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है।
मात्र 21 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना में शामिल होने का बाद राकेश का जोश दूगना हो गया और वो इसे बरकरार रखते हुए तेजी से आगे बढ़ते गए।
पाकिस्तान से युद्ध के बाद चर्चा में आए 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान राकेश शर्मा ने अपने विमान "मिग एअर क्रॉफ्ट" से महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। इसी युद्ध के बाद से राकेश शर्मा चर्चा में आए और लोगों ने उनकी योग्यता की जमकर तारीफ की। शर्मा ने दिखा दिया था कि कठिन परिस्थितियों में भी किस तरह शानदार काम किया जा सकता है।
आठ दिन के लिए अंतरिक्ष में रहे 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकॉसमॉस कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। ये उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमानचालक थे।
2 अप्रैल 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्षयात्रियों के साथ सोयूज टी-11 में राकेश शर्मा को लॉन्च किया गया। इस उड़ान में और साल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरूत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास किया।
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा उनकी अन्तरिक्ष उड़ान के दौरान भारत की तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि ऊपर से अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। राकेश शर्मा ने उत्तर दिया- "सारे जहाँ से अच्छा"।
धरती से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह सवाल और अंतरिक्ष में रूसी अंतरिक्ष यान से भारत के अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के इस जवाब ने हर हिन्दुस्तानी को रोमांचित कर दिया था।
अशोक चक्र से सम्मानित भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया। विंग कमांडर के पद पर सेवा-निवृत्त होने पर राकेश शर्मा ने हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड में परीक्षण विमानचालक के रूप में काम किया।
नवम्बर 2006 में इन्होंने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक समिति में भाग लिया जिसने एक नए भारतीय अन्तरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को स्वीकृति दी।
…कि अपोलो 11 की मूल वीडियो अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर चलने (चित्र) मिशन के बाद खो गयी थी, और जून 2009 पाए गए की सुचना सूचित की गयी थी?
…that when investigating the Challenger accident, Richard Feynman threatened to remove his name from the report unless it included his personal observations on the reliability of the shuttle?