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माउज़र पिस्तौल | |
---|---|
प्रकार | सी-96 प्रोटोटाइप |
उत्पत्ति का मूल स्थान | जर्मनी |
उत्पादन इतिहास | |
डिज़ाइन किया | 15 मार्च 1895 |
निर्माता | माउज़र जर्मनी |
उत्पादन तिथि | 1896 |
संस्करण | माउज़र C-96 (मॉडल 1916) |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | 1,250 ग्राम (44 औंस) |
लंबाई | 312 मि॰मी॰ (12.3 इंच) |
माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शूरू किया। 1896 से 1937 तक इसका निर्माण जर्मनी में हुआ। 20वीं शताब्दी में इसकी नकल करके स्पेन और चीन में भी माउज़र पिस्तौलें बनीं।
इसकी मैगज़ीन ट्रेगर के आगे लगती थी जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगज़ीन ट्रेगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। इसमें बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़कर किसी रायफल या बन्दूक की तरह भी प्रयोग किया जा सकता था।
विंस्टन चर्चिल को यह पिस्तौल बहुत पसन्द थी। भारतीय क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने महज़ 4 माउज़र पिस्तौलों के दम पर 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन रोककर सरकारी खजाना लूट लिया था। स्पेन ने सन् 1927.में इसी की कॉपी करते हुए अस्त्र मॉडल बनाया। रेलवे गार्डों की सुरक्षा हेतु सन् 1929 में चीन ने इसकी नकल करके .45 कैलिबर का माउज़र बनाया।
इतिहास
माउज़र पिस्तौल[1] मूल रूप से जर्मनी में बनायी गयी अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल थी जिसका डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं - विल्हेम माउज़र एवं पॉल माउज़र ने तैयार किया था। माउज़र के नाम से ही इस पिस्तौल को जर्मनी में 15 मार्च 1895 को पेटेण्ट कराया गया था। अगले साल सन् 1896 में जर्मनी की एक आयुध निर्माता कम्पनी माउज़र ने इस पिस्तौल का निर्माण प्रारम्भ कर दिया। इसके नामकरण में सी का मतलब कॉन्सट्रक्शन (निर्माण) जबकि 96 का अंक निर्माण का वर्ष बोध कराता था। कम्पनी ने इस मॉडल (C-96) का निर्माण सन् 1937 तक किया।[2] बाद में इस पिस्तौल को स्पेन और चीन में भी बनाया जाने लगा लेकिन नाम माउज़र ही रहा।[3]
इस पिस्तौल की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसके बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़कर इसे आवश्यकतानुसार किसी रायफल या बन्दूक की तरह इस्तेमाल किया जा सकता था। इससे इसकी मारक क्षमता बढ़ जाती थी। इस कुन्दे को जब चाहे अलग करने[2] से पिस्तौल छोटी हो जाती थी। इसकी दूसरी विशेषता यह थी कि इसके चैम्बर में 6, 10 और 20 गोलियों वाली छोटी या बड़ी कोई भी मैगजीन फिट हो जाती थी। इसके अतिरिक्त इस पिस्तौल की एक विशेषता यह थी कि इसके पीछे लगाया जाने वाला लकड़ी का कुन्दा ही इसके खोल (होल्डर) का काम करता था।
सन 1896 में इसके उत्पादन शुरू होने के एक वर्ष के अन्दर ही इस पिस्तौल को सरकारी अधिकारियों के अलावा आम नागरिकों व सैन्य अधिकारियों को भी बेचा जाने लगा। माउज़र पिस्तौल का सी-96 माडल ब्रिटिश अधिकारियों की पहली पसन्द हुआ करता था। प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद इसकी लोकप्रियता ब्रिटिश आर्मी में कम हो गयी।[4] सैन्य अधिकारियों के शस्त्र के अतिरिक्त इस पिस्तौल का प्रयोग उपनिवेशों के युद्धों में भी हुआ। रूसी सिविल वार (गृह युद्ध) और बोलशेविक पार्टी द्वारा की गयी क्रान्ति में भी इन पिस्तौलों की खूब माँग रही।
विंस्टन चर्चिल को यह पिस्तौल बहुत पसन्द थी।[1][2] इस पिस्तौल की कई विशेषताओं को देखते हुए भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के लिये क्रान्तिकारियों ने विदेश से इन पिस्तौलों की एक खेप ऑर्डर देकर मँगायी थी। जर्मनी से भारी मात्रा में माउज़र पिस्तौलें मँगाने के लिये ही रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने इस पिस्तौल का प्रयोग करके 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन रोककर सरकारी खजाना लूटने का जो ऐतिहासिक कार्य किया था उसे सारे विश्व में काकोरी काण्ड के नाम से जाना जाता है।[5][6][7]
माउज़र का तकनीकी विवरण
माउज़र पिस्तौल की तकनीकी विशेषतायें[9] इस प्रकार हैं:
- प्रकार: एक बार में एक फायर (सिंगल एक्शन)
- चैम्बर: 7.63x25 मिमी माउज़र (.30 माउज़र);
9x19 मिमी ल्यूगर/पेराबेलम[10] तथा
9x25 मिमी माउज़र (दुर्लभ) - भार (खाली): 1250 ग्राम
- लम्बाई (कुल): 312 मिमी (नाल सहित)
- नाल की लम्बाई: 140 एवं 99 मिमी
- मैगज़ीन की क्षमता: 10, 6 और 20 गोलियाँ
कारतूसों की विशेषता
माउज़र पिस्तौल में 7.63x25 मिमी साइज़ के कारतूस इस्तेमाल किये जाते हैं जबकि 0.32" बोर के रिवॉल्वर में 7.65x25 मिमी साइज़ के कारतूस प्रयुक्त होते हैं।[11] 0.32" बोर रिवॉल्वर के कारतूस माउज़र के कारतूसों के मुकाबले 0.02 मिमी ही अधिक होते हैं। इस कारण 0.32" बोर रिवॉल्वर के कारतूस भी माउज़र पिस्तौल में प्रयोग किये जा सकते हैं।
कुन्दे के साथ मारक क्षमता
इस पिस्तौल की वैसे तो प्रभावी मारक क्षमता 150 से 200 मीटर तक की होती थी परन्तु यदि इसके बट में कुन्दा लगा दिया जाता था तो यह 1000 मीटर तक प्रभावी रूप से मार कर सकती थी। इसकी नाल से छूटने वाली गोली का वेग 440 नीटर या 1450 फुट प्रति सेकेण्ड होता था। इन विशेषताओं के कारण यह पिस्तौल अपने जमाने का सबसे बेहतरीन अस्त्र हुआ करती थी। इसकी दूसरी विशेषता यह थी कि इसके कुन्दे को पिस्तौल से अलग भी किया जा सकता था। इस प्रकार यह पिस्तौल अपने आप में टू इन वन किस्म का अनोखा हथियार था।[12]
व्यावसायिक उत्पादन
सन् 1920-1921 से इसकी निर्माता कम्पनी ने माउज़र का तकनीकी रूप से परिष्कृत एवं व्यावहारिक मॉडल जारी किया। इसकी नाल की लम्बाई पहले वाले प्रोटोटाइप मॉडल के मुकाबले कुछ छोटी करके 3.9 इंच (99 मिमी) की बना दी परन्तु स्टैण्डर्ड (प्रोटोटाइप) मॉडल के कारतूस 7.63x25 मिमी (माउज़र) के ब्राण्ड से ही बनाये गये।
प्रयोग के तौर पर दूसरे देशों में बेचने के उद्देश्य से कम्पनी ने इसके कारतूसों के दो साइज़ - 8.15×25.2 मिमी तथा 9×25 मिमी (माउज़र एक्सपोर्ट) और भी बनाये। इनमें 8.15×25.2 मिमी वाले कारतूस प्रतिबन्धित 9×19 मिमी/पैराबेलम के बदले बनाये गये थे। परन्तु किन्हीं कारणों से माउज़र इन कारतूसों का दूसरे देशों को निर्यात नहीं कर सकी।[2]
माउज़र का ब्रूमहैण्डल ब्राण्ड
सन् 1896 में माउज़र कम्पनी ने C-96 का एक अन्य मॉडल भी जारी किया। इसे ब्रूमहैण्डल[9] के नाम से बनाया गया था। इसका डिजाइन फिडेल, फ्रेड्रिच और जोसेफ फीड्रेल नाम के तीन सगे भाइयों ने तैयार किया था। इसमें भी अलग होने वाला कुन्दा लगाया जा सकता था। 1896 से 1930 तक माउज़र कम्पनी ने एक लाख से अधिक ऐसी पिस्तौलें बेचीं।[3]
अस्त्र मॉडल 900
इस पिस्तौल की लोकप्रियता से प्रभावित होकर स्पेन की एक आयुध निर्माता कम्पनी ने सन् 1927.में हू-ब-हू C-96 जैसा ही एक अन्य मॉडल बनाया और उसे नाम दिया - अस्त्र मॉडल 900। इसका पिस्तौल में लगने वाला कुन्दा अलग से मिलता था। स्पेन ने इस मॉडल को 1927 से 1941 तक बनाया। जापान और चीन की सेनाओं को बेचने के बाद बची इस मॉडल की पिस्तौलों का इस्तेमाल स्पैनिश सिविल वार में भी हुआ। 1940 से लेकर 1943 तक जर्मनी को भी अस्त्र 900 मॉडल बेचा गया।[3]
इस मॉडल की भी यह विशेषता थी कि इसके पीछे लगाया जाने वाला लकड़ी का कुन्दा ही इसके खोल (होल्डर) का काम करता था। इस प्रकार यह पिस्तौल और इसमें जोड़ने वाला कुन्दा दोनों ही एक में दो (टू इन वन) की विशेषतायें रखते थे।[3]
शैंक्सी टाइप 17 (.45 एसीपी)
20वीं शताब्दी के चीनी इतिहास में इस मॉडल की पिस्तौलें बनीं जिनकी मैगज़ीन में .45 कैलिबर के एसीपी कारतूस प्रयोग किये जाते थे। परन्तु इन कारतूसों को हासिल करने में काफी कठिनाई होती थी। उन दिनों आमतौर पर 7.63 मिमी कैलिबर के सी-96 मॉडल माउज़र पिस्तौल के कारतूस ही मिला करते थे।[3]
इसका हल खोजने के लिये .45 एसीपी कैलिबर की एक अन्य पिस्तौल बनायी गयी जो सी-96 मॉडल का ही उन्नत प्रारूप थी। टाइप 17 के नाम से .45 कैलिबर की इस पिस्तौल का उत्पादन सन् 1929 से चीन के ताइयुआन आर्सेनल शहर में शुरू किया गया। इस पिस्तौल के बायीं ओर चीनी भाषा में "टाइप 17" और दायीं ओर "रिपब्लिक यीअर एट्टीन मेड इन शैंक्सी" लिखा होता था। ये पिस्तौलें रेलवे गार्डों को उनकी सुरक्षा के लिये राज्य द्वारा उपलब्ध करायी जाती थीं ताकि डाकुओं व बागियों की लूट से सरकारी सम्पत्ति को बचाया जा सके।[3]
परन्तु जैसे ही चीन का गृह युद्ध समाप्त हुआ और राजसत्ता कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ आयी, शैंक्सी द्वारा निर्मित अधिकांश पिस्तौलों को लोहा गलाने की भट्टी में पिघलाकर नष्ट कर दिया गया। ऐसा इसलिये किया गया था जिससे वे पिस्तौलें बिकने के लिये कहीं बाज़ार में न आ जायें।[3]
काकोरी काण्ड में माउज़र का प्रयोग
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के एक प्रमुख सदस्य प्रेमकृष्ण खन्ना भारतीय रेलवे के शाहजहाँपुर विभाग में ठेकेदार (काण्ट्रेक्टर) थे।[13] उन्हें ब्रिटिश राज में सरकार ने माउज़र पिस्तौल का लाइसेन्स दे रखा था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के प्रमुख क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' से खन्ना की घनिष्ठ मित्रता थी।[5] क्रान्तिकारी कार्यों के लिये बिस्मिल इनका माउज़र अक्सर माँग ले जाया करते थे। केवल इतना ही नहीं, आवश्यकता होने पर कभी कभी उनके लाइसेन्स पर कारतूस भी खरीद लिया करते थे। काकोरी काण्ड में प्रयुक्त माउजर पिस्तौल के कारतूस खन्ना के ही शस्त्र-लाइसेन्स पर खरीदे गये थे।.[14] [15] काकोरी काण्ड में खन्ना को केवल 5 वर्ष की सजा हुई थी जबकि पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खाँ और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को फाँसी दी गयी थी। [6][7][16]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ स्केन्नर्टन, इयान (2005). Mauser Model 1896 Pistol. गोल्ड कोस्ट, क्यूएलडी, आस्ट्रेलिया: आर्म्स एण्ड मिलीटैरिया प्रेस. पृ॰ 5. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-949749-77-X. नामालूम प्राचल
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सुझावित है) (मदद);|year=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) सन्दर्भ त्रुटि:<ref>
अमान्य टैग है; "Skennerton" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ अ आ इ ई विल्सन, रॉयस (2009). "Mauser C96 Broomhandle". ऑस्ट्रेलियन एण्ड न्यूज़ीलैण्ड हैण्डगन. नामालूम प्राचल
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) सन्दर्भ त्रुटि:<ref>
अमान्य टैग है; "wilsonr" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए David M. Fortier. "GIANT .45 'BROOMHANDLE' FROM CHINA" (PDF). प्वाइंटशूटिंगडॉटकॉम. अभिगमन तिथि 29 नवम्बर 2013. नामालूम प्राचल
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सुझावित है) (मदद) - ↑ मेज़, रॉबर्ट जे. (2002). Howdah to High Power: A Century of Breechloading Service Pistols (1867-1967). टकसन, एज़ेड यूएसए: एक्सकैलिबर पब्लिकेशन्स. पृ॰ 56, 70. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-880677-17-2. नामालूम प्राचल
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सुझावित है) (मदद) - ↑ अ आ कमलादत्त पाण्डेय हिन्दू पंच-बलिदान अंक पृष्ठ 179
- ↑ अ आ विद्यार्णव शर्मा युग के देवता-बिस्मिल और अशफाक पृष्ठ 118
- ↑ अ आ मन्मथनाथ गुप्त भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन का इतिहास पृष्ठ 213
- ↑ कृपया इसे भी देखें
- ↑ अ आ माउज़र सी-96 (जर्मनी)
- ↑ द आर्टिलरी ल्यूगर
- ↑ गोर्तेज़, जोशिम एण्ड स्टर्जेस, ज्यॉफ्री द बोर्चार्ड एण्ड लूगर ऑटोमेटिक पिस्टल्स, ब्राड सिम्पसन पब्लिशिंग एवं जीएल स्टर्जेस, 2010 एवं 2011, पृषठ104 एवं 138, ISBN 978-0-9727815-8-9
- ↑ वर्ल्ड गन्स माउज़र सी-96 (जर्मनी)
- ↑ डॉ॰ भगवानदास माहौर काकोरी शहीद स्मृति पृष्ठ 89
- ↑ भरैच, मलविन्दर जीत सिंह (2007). Hanging of Ram Prasad Bismil : the judgement. यूनीस्टार बुक्स, चंडीगढ़. पृ॰ 35-36. नामालूम प्राचल
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सुझावित है) (मदद) - ↑ डॉ॰ एन॰ सी॰ मेहरोत्रा स्वतन्त्रता आन्दोलन में जनपद शाहजहाँपुर का योगदान पृष्ठ 133
- ↑ डॉ॰ भगवानदास माहौर काकोरी शहीद स्मृति पृष्ठ 89
सन्दर्भित पुस्तकों का विवरण
- विद्यार्णव शर्मा युग के देवता-बिस्मिल और अशफाक 2004 प्रवीण प्रकाशन, 1/1079-ई महरौली, नई दिल्ली-110030, ISBN 81-7783-078-3
- मन्मथनाथ गुप्त भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन का इतिहास 1993 आत्माराम एण्ड सन्स, कश्मीरी गेट, दिल्ली 110006, ISBN 81-7043-054-2
- डॉ॰ एन॰ सी॰ मेहरोत्रा स्वतन्त्रता आन्दोलन में जनपद शाहजहाँपुर का योगदान 1995 शहीदे-आजम पं० रामप्रसाद बिस्मिल ट्रस्ट, शाहजहाँपुर 242001 (उ०प्र०)
- डॉ॰ भगवानदास माहौर काकोरी शहीद स्मृति 1978 प्रकाशक: रामकृष्ण खत्री, काकोरी शहीद अर्द्धशताब्दी समारोह समिति, 2 मेंहदी बिल्डिंग, केसरबाग लखनऊ 226001 (उ०प्र०)
- कमलादत्त पाण्डेय हिन्दू पंच-बलिदान अंक पुनर्मुद्रण-1996 नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ए-5, ग्रीन पार्क, नई दिल्ली ISBN 81-237-1890-X
सन्दर्भित पुस्तकों के अंग्रेजी नाम
- Skennerton, Ian (2005). Mauser Model 1896 Pistol. Gold Coast, QLD (Australia): Arms & Militaria Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-949749-77-X.
- Wilson, Royce (January 2009). Mauser C96 Broomhandle. Australian and New Zealand Handgun magazine. Italic or bold markup not allowed in:
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(मदद) - Maze, Robert J. (2002). Howdah to High Power: A Century of Breechloading Service Pistols (1867-1967). Tucson, AZ (USA): Excalibur Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-880677-17-2.
- Goertz, Joachim and Sturgess, Geoffrey The Borchardt & Luger Automatic Pistols, Brad Simpson Publishing and G.L. Sturgess, 2010 and 2011, pp. 104–138, ISBN 978-0-9727815-8-9.
- Waraich, Malwinder Jit Singh (2007). Hanging of Ram Prasad Bismil : the judgement. Unistar Books, Chandigarh. पृ॰ 152.
इन्हें भी देखें
- रिवॉल्वर (.32 बोर)
- बैरेटा (छोटी पिस्तौल)
- प्रेमकृष्ण खन्ना
- हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन
- रामप्रसाद 'बिस्मिल'
बाहरी कड़ियाँ
माउज़र पिस्तौल से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- वर्ल्ड गन्स (मॉडर्न फायर आर्म्स) हैण्ड गन्स - माउज़र सी-96 (जर्मनी)
- द आर्टिलरी ल्यूगर - देखिये! ल्यूगर माउज़र पिस्तौल कैसे काम करती है?
- फॉरेन हैण्डगन फोटो गैलरी - अर्द्ध स्वचालित 1914 मॉडल माउज़र .32 बोर पिस्तौल (जापान में लोकप्रिय)