"जोश मलिहाबादी": अवतरणों में अंतर

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जोश मलिहाबादी
जन्म शब्बीर हसन खान
५ दिसंबर, १८९४
मलिहाबाद, संयुक्त अवध एवं आगरा प्रांत, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 22 फ़रवरी 1982(1982-02-22) (उम्र 83)
इस्लामाबाद, पाकिस्तान
उपनाम जोश
व्यवसाय कवि
राष्ट्रीयता पाकिस्तानी
शिक्षा टैगोर विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन
उल्लेखनीय कार्य यादों की बारात
उल्लेखनीय सम्मान पद्म भूषण (१९५८)
संतान सज्जाद हैदर खरोश
संबंधी बशीर अहमद खां (पिता)

जोश मलीहाबादी (उर्दू: جوش ملیح آبادی; जन्म : ५ दिसंबर, १८९८, शब्बीर हसन खां – मृत्यु : २२ फरवरी, १९८२) २०वीं शताब्दी के एक उर्दू शायर थे। आप सन् १९५८ तक भारत में रहे, फिर आप पाकिस्तान चले गए। आप गज़ले और नज्मे तखल्लुस जोश के नाम से लिखते थे और अपने जन्म स्थान का नाम भी आपने अपने तखल्लुस में जोड़ दिया और पूरा नाम हुआ जोश मलीहाबादी।

प्रारंभिक जीवन

जोश मलिहाबाद में जन्मे जो की संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत का भाग था | आप सेंट पीटर्स कॉलेज आगरा में पढ़े और वह आपने वरिष्ठ कैम्ब्रिज परीक्षा (Senior Cambridge examination) १९१४ में उत्तीर्ण की | और आप साथ ही साथ अरबी और फारसी का अध्ययन भ करते रहे और आप ६ माह रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन में भी रहे | परन्तु १९१६ में आपके पिता बशीर अहमद खान की मृत्यु होने के कारण आप कॉलेज की आगे पढाई जारी नहीं रख सके |

व्यवसाय

१९२५ में जोश ने उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद रियासत में अनुवाद की निगरानी का कार्य शुरू किया | परन्तु उनका यह प्रवास हैदराबाद में ज्यादा दिन न रह सका आपनी एक नज्म जो की रियासत के शासक के खिलाफ थी जिस कारण से आपको राज्य से निष्कासित कर दिया गया | इसके तुरंत बाद जोश ने पत्रिका, कलीम (उर्दू में "वार्ताकार") की स्थापना की, जिसमें उन्होंने खुले तौर पर भारत में ब्रिटिश राज से आजादी के पक्ष में लेख लिखा था, जिससे उनकी ख्याति चहु और फेल गयी और उन्हें शायर-ए-इन्कलाब कहा जाने लगा | और इस कारण से आपके रिश्ते कांग्रेस विशेषकर जवाहर लाल नेहरु प्रधानमंत्री से मजबूत हुए | भारत में ब्रिटिश शासन के समाप्त होने के बाद जोश आज-कल प्रकाशन के संपादक बन गए |

जोश पकिस्तान में

जवाहर लाल नेहरु के मनाने पर भी जोश सन 1958 में पकिस्तान चले गए उनका सोचना था की भारत एक हिन्दू राष्ट्र है जहा हिंदी भाषा को ज्यादा तवज्जो दी जायगी न की उर्दू को, जिससे उर्दू का भारत में कोई भविष्य नहीं है | पकिस्तान जाने के बाद आप कराची में बस गए और आपने मौलवी अब्दुल हक के साथ में "अंजुमन-ए-तरक्की-ए-उर्दू" के लिए काम किया | आप पकिस्तान में अपनी मृत्यु तक अर्थात फरवरी २२, १९८२ तक इस्लामाबाद में ही रहे | फैज़ अहमद फैज़ और सय्यद फखरुद्दीन बल्ले दोनों आपके करीबी रहे और दोनों सज्जाद हैदर खरोश ( जोश के पुत्र) और जोश के मित्र थे | फेज अहमद फैज़ जोश की बीमारी के दौरान इस्लामाबाद आये थे | सय्यद फखरुद्दीन बल्ले जोश और सज्जाद हैदर खरोश के साथ जुड़े रहे |

शायरी और प्रकाशन

जोश उर्दू साहित्य में उर्दू पर अधिपत्य और उर्दू व्याकरण के सर्वोत्तम उपयोग के लिए जाने जाते है | आपका पहला शायरी संग्रह सन 1921 में प्रकाशित हुआ जिसमे शोला-ओ-शबनम, जुनून-ओ-हिकमत, फ़िक्र-ओ-निशात, सुंबल-ओ-सलासल, हर्फ़-ओ-हिकायत, सरोद-ओ-खरोश और इरफ़ानियत-ए-जोश शामिल है | फिल्म डायरेक्टर W. Z. अहमद की राय पर आपने शालीमार पिक्चर्स के लिए गीत भी लिखे इस दौरान आप पुणे में रहे | आपकी आत्मकथा का शीर्षक है यादो की बारात |

प्रकाशित कार्य

यहाँ आपके उर्दू साहित्य के प्रकाशन की सूचि है :

  • آوازۂ حق
  • روح ادب
  • شاعر کی راتیں
  • جوش کے سو شعر
  • نقش و نگار
  • شعلہ و شبنم
  • پیغمبر اسلام
  • فکر و نشاط
  • جنوں و حکمت
  • حرف و حکایت
  • حسین اور انقلاب
  • آیات و نغمات
  • عرش و فرش، رامش و رنگ
  • سنبل و سلاسل
  • سیف و سبو
  • سرور و خروش
  • سموم و سبا
  • طلوع فکر
  • موجد و مفکر
  • قطرۂ قلزم
  • نوادر جوش
  • الہام و افکار
  • نجوم و جواہر
  • جوش کے مرثیے
  • عروس ادب - حصہ اول و دوم
  • عرفانیات جوش
  • محراب و مضراب
  • دیوان جوش

गद्य कार्य

  • مقالات جوش
  • اوراق زریں
  • جذبات فطرت
  • اشارات
  • مقالات جوش
  • مکالمات جوش
  • (یادوں کی بارات (خود نوشت سوانح

पुरस्कार

आपको १९५४ में पद्मभूषण दिया गया |

बाह्य सूत्र