"अनंतपुर जिला": अवतरणों में अंतर
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अनंतपुरम | |||
— शहर — | |||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||
देश | भारत | ||
राज्य | आंध्र प्रदेश | ||
जनसंख्या | 366,359 (2006 के अनुसार [update]) | ||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• 335 मीटर (1,099 फी॰) | ||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 14°41′N 77°36′E / 14.68°N 77.6°E श्री सत्य साईं बाबा का जन्मस्थान अनंतपुर आंध्र प्रदेश का सबसे पश्चिमी जिला है जो एक ओर इतिहास और आधुनिकता का संगम दिखाता है और दूसरी ओर तीर्थस्थान और किलों के दर्शन कराता है। राज्य का सबसे बड़ा जिला अनंतपुर 19130 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है। उत्तर में यह कुर्लूल से, पूर्व में कुड्डापा और चित्तूर तथा दक्षिण और पश्चिम में कर्नाटक राज्य से घिरा है। यह पूरा जिला अपने रेशम व्यापार के आधुनिक रूप के लिए जाना जाता है। पर्यटन की बात करें तो लिपाक्षी मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है।
पर्यटन स्थल
अनंतपुर के प्रमुख पर्यटक स्थल हैं:
लिपाक्षी मंदिर
लिपाक्षी वास्तव में एक छोटा सा गांव है जो अनंतपुर के हिंदूपुर का हिस्सा है। यह गांव अपने कलात्मक मंदिरों के लिए जाना जाता है जिनका निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था। विजयनगर शैली के मंदिरों का सुंदर उदाहरण लिपाक्षी मंदिर है। विशाल मंदिर परिसर में भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित तीन मंदिर हैं। भगवान वीरभद्र का रौद्रावतार है। भगवान शिव नायक शासकों के कुलदेवता थे। लिपाक्षी मंदिर में नागलिंग के संभवत: सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित है। भगवान गणेश की मूर्ति भी यहां आने वाले सैलानियों का ध्यान आकर्षित करती है।
पेनुकोंडा किला
इस विशाल किले का हर पत्थर उस समय की शान को दर्शाता है। पेनुकोंडा अनंतपुर जिले का एक छोटा का नगर है। प्राचीन काल में यह विजयनगर राजाओं के दूसरी राजधानी के रूप में प्रयुक्त होता था। पहाड़ की चोटी पर बना यह किला नगर का खूबसूरत दृश्य प्रस्तुत करता है। अनंतपुर से 70 किमी. दूर यह किला कुर्नूल-बंगलुरु रोड पर स्थित है। किले के अंदर शिलालेखों में राजा बुक्का प्रथम द्वारा अपने पुत्र वीरा वरिपुन्ना उदियार को शासनसत्ता सौंपने का जिक्र मिलता है। उनके शासनकाल में इस किले का निर्माण हुआ था। किले का वास्तु इस प्रकार का था कि कोई भी शत्रु यहां तक पहुंच नहीं पाता था। येरामंची द्वार से प्रवेश करने पर भगवान हनुमान की 11 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा दिखाई पड़ती है। 1575 में बना गगन महल शाही परिवार का समर रिजॉर्ट था। पेनुकोंडा किले के वास्तुशिल्प में हिदु और मुस्लिम शैली का संगम देखने को मिलता है।
पुट्टापर्थी
श्री सत्य साईं बाबा का जन्मस्थान होने के कारण उनके अनेक अनुयायी यहां आते रहते हैं। 1950 में उन्होंने अपने अनुयायियों के लिए आश्रम की स्थापना की। आश्रम परिसर में बहुत से गेस्टहाउस, रसोईघर और भोजनालय हैं। पिछले सालों में आश्रम के आसपास अनेक इमारतें बन गई हैं जिनमें स्कूल, विश्वविद्यालय, आवासीय कलोनियों, अस्पताल, प्लेनेटेरियम, संग्रहालय शामिल हैं। ये सब इस छोटे से गांव को शहर का रूप देते हैं।
श्री कदिरी लक्ष्मी नारायण मंदिर
नरसिम्हा स्वामी मंदिर अनंतपुर का एक प्रमुख तीर्थस्थान है। आसपास के जिलों से भी अनेक श्रद्धालु यहां आते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार नरसिम्हा स्वामी भगवान विष्णु के अवतार थे। मंदिर का निर्माण पथर्लापट्टनम के रंगनायडु जो एक पलेगर थे, ने किया था। रंगमंटप की सीलिंग पर रामायण और लक्ष्मी मंटम की पर भगवत के चित्र उकेरे गए हैं। दीवारों पर बनाई गई तस्वीरों का रंग फीका पड़ चुका है लेकिन उनका आकर्षण बरकरार है। मंदिर के अधिकांश शिलालेखों में राजा द्वारा मंदिर में दिए गए उपहारों का उल्लेख किया गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में पूजा अर्चना करता है, उसे अपने सारे दु:खों से मुक्ति मिल जाता है। दशहरे और सक्रांत के दौरान यहां विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है।
तिम्माम्मा मरीमनु
कदिरी से 35 किमी. और अनंतपुर से 100 किमी. दूर स्थित यह स्थान बरगद के पेड़ के लिए प्रसिद्ध है जिसे स्थानीय भाषा में तिम्माम्मा मरीमनु कहा जाता है। इसे दक्षिण भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा सृक्ष्ण माना जाता है। इस पेड़ की शाखाएं पांच एकड़ तक फैली हुई हैं। 1989 में इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया। मंदिर के नीचे तिम्माम्मा को समर्पित एक छोटा सा मंदिर हे। माना जाता है कि तिम्मम्मा का जन्म सेती बालिजी परिवार में हुआ था। अपने पति बाला वीरय्या की मृत्यु के बाद वे सती हो गई। माना जाजा है कि जिस स्थान पर उन्होंने आत्मदाह किया था, उसी स्थान पर यह बरगद का पेड़ स्थित है। लोगों का विश्वास है कि यदि कोई नि:संतान दंपत्ति यहां प्रार्थना करता है तो अगले ही साल तिम्मम्मा की कृपा से उनके घर संतान उत्पन्न हो जाती है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां जात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों भक्त यहां आकर तिम्मम्मा की पूजा करते हैं।
रायदुर्ग किला
रायदुर्ग किले का विजयनगर साम्राज्य के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। किले के अंदर अनेक किले हैं और दुश्मनों के लिए यहां तक पहुंचना असंभव था। इसका निर्माण समुद्र तल से 2727 फीट की ऊंचाई पर किया गया था। मूल रूप से यह बेदारों का गढ़ था जो विजयनगर के शासन में शिथिल हो गया। आज भी पहाड़ी के नीचे किले के अवशेष देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि किले का निर्माण जंग नायक ने करवाया था। किले के पास चार गुफाएं भी हैं जिनके द्वार पत्थर के बने हैं और इन पर सिद्धों की नक्काशी की गई है।
किले के आसपास अनेक मंदिर भी हैं जैसे नरसिंहस्वामी, हनुमान और एलम्मा मंदिर। यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा प्रसन्ना वैंकटेश्वर, वेणुगोपाल, जंबुकेश्वर, वीरभद्र और कन्यकपरमेश्वरी मंदिर भी यहां हैं।
लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर
हरियाली के बीच स्थित यह मंदिर अनंतपुर से 36 किमी. दूर है। दंतकथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भगवान लक्ष्मी नरसिंह स्वामी के पदचिह्मों पर किया गया है। विवाह समारोहों के लिए यह मंदिर पसंदीदा जगह है। अप्रैल के महीने में यहां वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। मंदिर परिसर में ही आदि लक्ष्मी देवी मंदिर और चेंचु लक्ष्मी देवी मंदिर भी हैं।
गूटी किला
गूटी अनंतपुर से 52 किमी. दूर है। यह किला आंध्र प्रदेश के सबसे पुराने पहाड़ी किलों में से एक है। किले में मिले प्रारंभिक शिलालेख कन्नड़ और संस्कृत भाषा में हैं। किले का निर्माण सातवीं शताब्दी के आसपास हुआ था। मुरारी राव के नेतृत्व में मराठों ने इस पर अधिकार किया। गूटी कै फियत के अनुसार मीर जुमला ने इस पर शासन किया। उसके बाद यह कुतुब शाही प्रमुख के अधिकार में आ गया। कालांतर में हैदर अली और ब्रिटिशों ने इस पर राज किया। गूटी किला गूटी के मैदानों से 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। किले के अंदर कुल 15 किले और 15 मुख्य द्वार हैं। मंदिर में अनेक कुएं भी हैं जिनमें से एक के बारे में कहा जाता है कि इसकी धारा पहाड़ी के नीचे से जुड़ी हुई है।
आवागमन
- वायु मार्ग
बंगलुरु( 200किमी.) और पुट्टापुर्थी (70) हवाईअड्डे से अनंतपुर पहुंचा जा सकता है। बंगलुरु हवाई अड्डा देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है जबकि पुट्टापुर्थी सीमित शहरों से जुड़ा है।
- रेल मार्ग
अनंतपुर से हैदराबाद, बंगलुरु, मुंबई, नई दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, भुवनेश्वर, पुणे, विशाखापटनम और अन्य प्रमुख शहरों तक रेलों का जाल बिछा हुआ है।
- सड़क मार्ग
अनंतपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 7 और 205 गुजरते हैं जो अनंतपुर इस शहर को बड़े शहरों से जोड़ते हैं। आंध्र प्रदेश के अंदर व बाहर की जगहों के लिए निजी व सार्वजनिक बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
सन्दर्भ
- इस लेख की सामग्री सम्मिलित हुई है ब्रिटैनिका विश्वकोष एकादशवें संस्करण से, एक प्रकाशन, जो कि जन सामान्य हेतु प्रदर्शित है।.
बाहरी कड़ियां
- अनन्तपुर आधिकारिक वेबसाइट
- Official Website on Anantapur by National Informatics Centre
- Anantapur.com
- Information from AP Government websites
- District - Anantapur
- Jawaharlal Nehru Technological University, Anantapur
- Sri Krishnadevaraya University Website
- JNTU college of Engineering, Anantapur
- About TADPATRI
- Anantapur Arts College website
- way2njoy