राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अगरतला
पूर्व नाम | त्रिपुरा इंजीनियरिंग कॉलेज |
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Motto in English | Knowledge is the Supreme Power |
प्रकार | सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज |
स्थापित | 1965,राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान में परिवर्तित 2006 |
संबद्ध | मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार |
सभापति | दीपक बी. पाठक |
निदेशक | प्रो. एच के शर्मा[1] |
स्थान | अगरतला, त्रिपुरा, भारत 23°58′N 91°25′E / 23.967°N 91.417°Eनिर्देशांक: 23°58′N 91°25′E / 23.967°N 91.417°E |
परिसर | 365.6 एकड़ (1.480 कि॰मी2) |
भाषा | इंग्लिश |
रंग | ⬜️ सफेद और ⬛️काला |
जालस्थल | www |
राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, अगरतला, त्रिपुरा की स्थापना वर्ष १९५५ में की गई थी और दिनांक १ अप्रैल २००६ को केन्द्र सरकार के पूर्णत: वित्त पोषित संस्थान के रूप में अधिग्रहित किया गया और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अगरतला बनाया गया। संस्थान अवर-स्नातक स्तर पर प्रति वर्ष २६६ विद्यार्थियों की भर्ती कर ७ कोर्स संचालित करता है।[2]
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अगरतला, जिसे एनआईटी अगरतला या एनआईटीए के नाम से भी जाना जाता है। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित उच्च शिक्षा का एक प्रौद्योगिकी संस्थान है। यह 1965 में त्रिपुरा इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित किया गया था और 2006 में एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) घोषित किया गया, इस प्रकार इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी गई।
संस्थान की स्थापना 1965 में सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शाखाओं के साथ त्रिपुरा इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में की गई थी। यह शुरू में कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध था और बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज (वर्तमान में आई आई ई एस टी शिबपुर) के समान पाठ्यक्रम संरचना और परीक्षा प्रणाली थी।
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/3/32/Nit_agartala_Main_Gate.jpg/220px-Nit_agartala_Main_Gate.jpg)
1987 में त्रिपुरा विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद, संस्थान को इसके साथ जोड़ दिया गया था। 1999 - 2000 के सत्र से कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग डिग्री की पाठ्यक्रम शुरू किया गया थे और 2005 - 2006 के सत्र से तीन और नई डिग्री की पेशकश की गई जोकि इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स, उत्पादन और परिवहन इंजीनियरिंग। 23 फरवरी 2006 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने त्रिपुरा इंजीनियरिंग कॉलेज को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में बदलने के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
स्थान[संपादित करें]
यह संस्थान राष्ट्रीय राजमार्ग (एन एच-44) से 4 किमी दूर है और त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से लगभग 24 किमी दूर है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग 2 किमी दूर है।
विकास[संपादित करें]
2006 में इस संस्थान को त्रिपुरा के एक राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में परिवर्तित किया गया था। इस नई स्थिति को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए, 2007 - 2008 के शैक्षणिक सत्र के लिए कुल सीटें 250 से बढ़ाकर 420 कर दी गईं और स्नातक पाठ्यक्रम में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, परिवहन इंजीनियरिंग और उत्पादन इंजीनियरिंग को जोड़ा गया। सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने राज्य की आवश्यकता को पूरा करने के लिए संरचनात्मक इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू किया। यह परिसर, जो कि एक गैर-आवासीय परिसर था, को 2007 - 2008 के सत्र में दो लड़कों के छात्रावास और एक लड़कियों के छात्रावास के खोलने के साथ एक आवासीय संस्थान बन गया था। यह संस्थान 500 एकड़ (1.36 किमी 2) भूमि पर बनाया गया है।
रैंकिंग[संपादित करें]
एनआईटी अगरतला को 2019 में नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) द्वारा भारत के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 70 वाँ स्थान दिया गया। [3]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "Profile of Director, NIT Agartala". http://www.nita.ac.in/NITAmain/adminstration/Director.pdf. अभिगमन तिथि: 2 December 2018.
- ↑ "राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, अगरतला". संस्थान का आधिकारिक जालस्थल. मूल से 22 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ मई २००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;Rankings_NIRF_E_2019
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।