परवलयिक गति
प्रक्षेप्य गति गति का एक रूप है, जहाँ किसी पिण्ड (जिसे प्रक्षेप्य कहा जाता है) को पृथ्वी की सतह के निकट क्षितिज से किसी कोण पर प्रक्षेपित किया (फेंका) जाता है और यह गुरुत्वाकर्षण के अधीन वक्रीय गति करता है (विशेष रूप से, वायु प्रतिरोध के प्रभाव नगण्य माना जाता है )। प्रक्षेप्य के पथ को प्रक्षेप्य वक्र कहा जाता है। यदि प्रक्षेप्य पर केवल एक ही दिशा में नियत बल लग रहा हो (जैसे गुरुत्वाकर्षण बल), तो उसकी गति का पथ परवलय के आकार की होती है। इसलिए प्रायः प्रक्षेप्य गति को परवलयिक गति भी कहते हैं।
प्रक्षेप्य गति की गतिज राशियाँ
[संपादित करें]प्रक्षेप्य गति में, क्षैतिज गति और ऊर्ध्वाधर गति एक दुसरे से स्वतन्त्र होती हैं अर्थात कोई एक में परिवर्तन अन्य से प्रभावित नहीं होता।
वेग
[संपादित करें]यदि प्रक्षेप्य को इसके प्रारम्भिक वेग v0 के साथ प्रक्षेपित किया जाता है, तो इसे निम्न प्रकार लिखा जा सकता है
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यदि प्रक्षेप्य कोण θ का मान ज्ञात हो तो, वेग v0 के घटकों v0x और v0y को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:
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यदि प्रक्षेप्य की गति का परास, प्रक्षेपण कोण, और प्रक्षेप्य द्वरा प्राप्त अधिकतमौच्च्य ज्ञात हो तो, प्रक्षेपण वेग निम्नलिखित सूत्र से निकाला जा सकता है-
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गति के दौरान प्रक्षेप्य की क्षितिज वेग का मान नियत रहेगा क्योंकि इस दिशा में कोइ त्वरण नहीं है। वेग का उर्ध्व घटक में रैखीक रूप से वृद्धि होगी, क्योंकि त्वरण का मान नियत है। किसी समय t पर, वेग के घटक:
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वेग का परिमाण (बौधायन प्रमेय के अनुसार):
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त्वरण
[संपादित करें]चूँकि यहाँ क्षितिज दिशा में कोई त्वरण नहीं है अतः क्षितिज दिशा में वेग का नियत मान vcosθ है। उर्ध्व दिशा में प्रक्षेप्य की गति गुरुत्वाकर्षण के अधीन स्वतन्त्र कण की गति के समान है। यहाँ त्वरण नियत है और इसका मान g है, यह g पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण है। (पृथ्वी की सतह पर इसका मान ९.८१ मीटर प्रति वर्ग सैकण्ड होता है।):
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विस्थापन
[संपादित करें]समय t पर, प्रक्षेप्य के क्षितिज व उर्ध्व विस्थापन :
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अतः विस्थापन का परिमाण:
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प्रक्षेप्य वक्र
[संपादित करें]निम्न समीकरणों में
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t को विलोपित करने पर हमें निम्न समीकरण प्राप्त होती है:
यह परवलय की समीकरण है। यहाँ R प्रक्षेप्य की परास है।
जहाँ g, α और v0 नियतांक हैं, यह समीकरण निम्न रूप में है
- ,
जिसमें a और b नियतांक हैं। यह एक परवलय का समीकरण है, अतः प्रक्षेप्य का पथ परवलयिक होगा। परवलय की अक्ष उर्ध्व होगी।
प्रक्षेप्य वक्र के गुण
[संपादित करें]उड्डयन काल
[संपादित करें]कुल समय t जिसके प्रक्षेप्य वायु में रहता है उसे उड्डयन काल कहा जाता है।
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उड्डयन के बाद, प्रक्षेप्य क्षैतिज अक्ष (x-अक्ष) पर लौटता है, इसलिए y=0
प्रक्षेप्य की अधिकतमौच्च्य
[संपादित करें]प्रक्षेप्य की अधिकतमौच्च्य (अधिकतम उच्चता) जिस तक वस्तु पहुंचती है को वस्तु की गति का शिखर कहा जाता है। औच्च्य में वृद्धि तब तक होगी जब , अर्थात,
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अधिकतमौच्च्य तक पहुंचने में लगा समय:
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प्रक्षेप्य की अधिकतमौच्च्य:
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अधिकतम पहुंच योग्य औच्च्य θ=90° हेतु प्राप्त की जाती है:
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यदि प्रक्षेप्य की स्थिति (x, y) और प्रक्षेप्य कोण (θ) ज्ञात हैं, तो अधिकतमौच्च्य निम्न परवलयिक समीकरण में h हेतु हल करने पर पाई जा सकती है:
प्रक्षेप्य ऊर्जा
[संपादित करें]अधिकतमौच्च्य पर:
- गतिज ऊर्जा:
- स्थितिज ऊर्जा:
- कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा =
प्रक्षेप्य की परास
[संपादित करें]प्रक्षेप्य की क्षेतिज परास d प्रक्षेप्य द्वारा तय की गयी वह क्षेतिज दूरी है जब वह अपनी प्रारम्भिक औच्च्य (y = 0) पर आता है।
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प्रारम्भिक औच्च्य तक पहुंचने में लगा समय :
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क्षेतिज विस्थापन से प्रक्षेप्य की अधिकतम दूरी:
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अतः (चूँकि 2·sin(α)·cos(α) = sin(2α))
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ध्यान रहे d का मान अधिकतम होगा जब
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जो आवश्यक रूप से सिद्ध करता है कि
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या
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क्षैतिज परास और अधिकतमौच्च्य के मध्य सम्बन्ध
[संपादित करें]क्षतिज समतल में परास (R) व अधिकतमौच्च्य (h) में सम्बन्ध है:
जब h = R
कार्य-ऊर्जा प्रमेय का अनुप्रयोग
[संपादित करें]कार्य-ऊर्जा प्रमेय के अनुसार वेग का ऊर्ध्व घटक :
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सन्दर्भ
[संपादित करें]- Budó Ágoston: Kísérleti fizika I.,Budapest, Tankönyvkiadó, 1986. ISBN 963 17 8772 9 (हंगेरियन)
- Ifj. Zátonyi Sándor: Fizika 9.,Budapest, Nemzeti Tankönyvkiadó, 2009. ISBN 978-963-19-6082-2 (हंगेरियन)
- Hack Frigyes: Négyjegyű függvénytáblázatok, összefüggések és adatok, Budapest, Nemzeti Tankönyvkiadó, 2004. ISBN 963-19-3506-X (हंगेरियन)
टिप्पणी: Since the value of g is not specific the body with high velocity over g limit cannot be measured using the concept of the projectile motion.
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- प्रक्षेप्य (projectile)
- प्राक्षेपिकी (Ballistics)
- गति के समीकरण