स्टेल्थ तकनीक
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स्टेल्थ तकनीक (अंग्रेज़ी: stealth technology) या जिसे एलओ तकनीक (अंग्रेज़ी: low observable technology) भी कहते हैं, सैन्य योजनाओं का एक प्रकार है[1] जिसमे व्यक्तियों, विमानों, जहाजों, पनडुब्बियों और क्षेप्नास्त्रों को कई तकनीकों का उपयोग करके उन्हें रडार, इन्फ्रारेड, सोनार और अन्य पकड़ने वाले तरीकों से लगभग अदृश्य बनाया जाता है।[2]
इसका विकास कार्य अमेरिका में १९५८ में हुआ[3][4] जहां यु2 टोही विमानों को शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के रडारों पर न दिखने के प्रयास असफल रहे।[5]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Rao G.A., Mahulikar S.P. (2002). "Integrated review of stealth technology and its role in airpower". Aeronautical Journal. 106 (1066): 629–641.
- ↑ Mahulikar S.P., Sonawane H.R., Rao G.A. (2007). "Infrared signature studies of aerospace vehicles". Progress in Aerospace Sciences. 43 (7–8): 218–245.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
- ↑ Richelson, J.T. (10 सितंबर 2001). "Science, Technology and the CIA". The National Security Archive. The George Washington University. मूल से 25 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अक्टूबर 2009.
- ↑ Merlin, P.W. "Design and Development of the Blackbird: Challenges and Lessons Learned Archived 2012-11-08 at the वेबैक मशीन" American Institute of Aeronautics and Astronautics Archived 2013-10-18 at the वेबैक मशीन 47th AIAA Aerospace Sciences Meeting Including The New Horizons Forum and Aerospace Exposition 5–8 जनवरी 2009, Orlando, Florida. Accessed 2009-10-06.
- ↑ Cadirci, S. "RF Stealth (or Low Observable) and Counter- RF Stealth Technologies: Implications of Counter- RF Stealth Solutions for Turkish Air Force Archived 2011-07-20 at the वेबैक मशीन." Naval Postgraduate School, Monterey California, Ph.D. Thesis. March 2009. Accessed 6 अक्टूबर 2009.