सैलाब (1990 फ़िल्म)
सैलाब | |
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सैलाब का पोस्टर | |
निर्देशक | बलराज दीपक विज |
पटकथा | रीमा राकेश नाथ |
निर्माता | सुरेन्द्र जैन |
अभिनेता |
आदित्य पंचोली, माधुरी दीक्षित, शफ़ी ईनामदार, कुलभूषण खरबंदा |
संगीतकार | बप्पी लाहिड़ी |
प्रदर्शन तिथियाँ |
31 अगस्त, 1990 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
सैलाब 1990 में बनी हिन्दी भाषा की रोमांचकारी फ़िल्म है। दीपक बलराज विज द्वारा निर्देशित इस फिल्म में माधुरी दीक्षित और आदित्य पंचोली मुख्य भूमिकाओं में है। शफ़ी ईनामदार, कुलभूषण खरबंदा, ओम शिवपुरी, सी एस दुबे और सुरेश ओबेरॉय सहायक भूमिकाओं में है।
संक्षेप
[संपादित करें]सुषमा मल्होत्रा (माधुरी दीक्षित) जो कि एक डॉक्टर है, अपने मरीज (आदित्य पंचोली) का इलाज कर रही जो कि एक हादसे में अपनी याददाश्त खो चुका है। उसने उसका नाम कृष्णा रखा। वह जो देखभाल करती है, उसके लिए कृष्णा उसके साथ प्यार करता है और फिर वे शादी कर लेते हैं। लेकिन शादी के बाद, इंस्पेक्टर रंजीत कपूर (सुरेश ओबेरॉय) ने उसे चेतावनी दी कि उसका पति दुर्घटना से पहले उसे मारने के लिए तैयार था और फिर से उसे मारने का प्रयास कर सकता है, लेकिन वह इस पर ध्यान नहीं देती है। सुषमा की तस्वीरें लेने के दौरान एक और दुर्घटना में कृष्णा पड़ता है और अपने सिर को चोट दे देता है। यह चोट उसकी पुरानी यादों को वापस लाती है। सुषमा आश्चर्य से देखती है कि उसकी पुरानी यादें अप्रत्याशित रूप से आती हैं जिसके परिणामस्वरूप कृष्णा अपनी पत्नी सुषमा को मारने की कोशिश करता है। उसका कहना है कि उसका नाम राजीव है और दावा करता है कि सुषमा ने उसकी बहन को मार डाला था, लेकिन इंस्पेक्टर रंजीत उसे रोकने के लिए समय पर आते हैं। वो उसे मोंटी नामक एक अपराधी के बारे में बताते हैं, जिसने वास्तव में उसकी बहन को मार डाला था। इंस्पेक्टर रंजीत और कृष्णा साथ में मोंटी और उसके गिरोह का पता लगाते हैं और मोंटी ने कृष्णा की बहन की हत्या करना कबूल किया। इंस्पेक्टर रंजीत और कृष्णा ने उसे मार डाला। अंत में कृष्णा अपनी पत्नी को नुकसान पहुंचाने के लिये शरमिंदा है और वे दोनों एकजुट होते हैं।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- आदित्य पंचोली, कृष्णा / राजीव
- माधुरी दीक्षित, सुषमा मल्होत्रा
- सुरेश ओबेरॉय - इंस्पेक्टर रंजीत कपूर
- शफ़ी ईनामदार, इंस्पेक्टर हैदर अली
- कुलभूषण खरबंदा - डा. दीन
- ओम शिवपुरी - माथुर
- शम्मी - यशोदा देवी
- सी एस दुबे - पंडित
संगीत
[संपादित करें]बप्पी लाहिड़ी ने फ़िल्म के संगीत की रचना की है और गीत जावेद अख्तर ने लिखे हैं। पार्श्व संगीत आदेश श्रीवास्तव ने दिया है।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "झूमे हवाएं और झूमे फिजायें" | सुदेश भोंसले, अनुपमा देशपांडे, मंगल सिंह | 7:07 |
2. | "मुझको ये ज़िन्दगी लगती है" | अमित कुमार, आशा भोंसले | 10:54 |
3. | "पलकों के तले" | अमित कुमार, कविता कृष्णमूर्ति | 9:31 |
4. | "हमको आज कल हैं इंतज़ार" | अनुपमा देशपांडे | 8:08 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]सरोज खान को "हमको आज कल हैं इंतज़ार" में नृत्यरचना के लिये फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ था।