सरगम (1979 फ़िल्म)
सरगम | |
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सरगम का पोस्टर | |
निर्देशक | कसीनथुनी विश्वनाथ |
लेखक |
कसीनथुनी विश्वनाथ जैनेन्द्र जैन (संवाद) |
निर्माता | एन॰ एन॰ सिप्पी |
अभिनेता |
ऋषि कपूर, जयाप्रदा |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
8 जनवरी, 1979 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
सरगम 1979 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है, जिसका लेखन और निर्देशन कसीनथुनी विश्वनाथ ने किया। यह उनकी पूर्व तेलुगु फिल्म सिरी सिरी मुव्वा (1976) की रीमेक थी, जिसमें जयाप्रदा ने अभिनय किया था और उन्हें दक्षिण भारत में लोकप्रिय सितारा बनाया था। उन्होंने मूक नर्तक की अपनी भूमिका को दोहराते इस फिल्म के साथ हिन्दी फिल्मों में शुरुआत की।
फिल्म में ऋषि कपूर उनके साथी के रूप में, शशि कला उनकी सौतेली माँ के रूप में, श्रीराम लागू उनके पिता के रूप में और शक्ति कपूर, अरुणा ईरानी, असरानी उनके नृत्य शिक्षक के रूप में अभिनय किये हैं। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने यादगार गीतों की रचना की, जिन्होंने फिल्म के लिए एकमात्र फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। आनन्द बक्शी ने गीत लिखें। मोहम्मद रफ़ी ने सभी सात गाने गाए, उनमें से तीन लता मंगेशकर के साथ थे।
संक्षेप
[संपादित करें]ये कहानी हेमा (जयाप्रदा) से शुरू होती है, जो जन्म से ही बोल या सुन नहीं सकती है। वो अपने शिक्षक पिता, चिंतामणि, सौतेली माँ और सौतेली बहन के साथ रहती है। हेमा के साथ उसकी सौतेली माँ हमेशा से ही गलत तरीके से बर्ताव करते रहती है। वो बाद में हेमा को बेचने की योजना भी बनाती है। वो हेमा को एक बूढ़े आदमी को बेच देती है और इसे छुपाने के लिए वो उसकी शादी उसी बूढ़े आदमी से तय कर देती है। इस कारण हेमा घर छोड़ कर भाग जाती है।
घर से भागने के बाद हेमा की मुलाक़ात राजू (ऋषि कपूर) से होती है, जो एक संगीतकार है। वो उसकी मदद करता है और उसके नृतक बनने के ख्वाब को पूरा करने में भी मदद करता है। इसी बीच हेमा को राजू से प्यार हो जाता है, पर वो तय नहीं कर पाती है कि राजू उसे स्वीकार करेगा या नहीं।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- ऋषि कपूर — राजू
- जयाप्रदा — हेमा प्रधान
- शशि कला — सावित्री, हेमा की सौतेली माँ
- धीरज कुमार — सुरेश
- रजनी शर्मा — चम्पा प्रधान
- असरानी — गोपी
- लीला मिश्रा — मौसी
- जानकी दास — मैने्जर
- त्रिलोक कपूर — दीनू चाचा
- केष्टो मुखर्जी — तुषार बाबू घोष / चटर्जी
- श्रीराम लागू — मास्टर जी चिंतामणि प्रधान
- ओम शिवपुरी — पंडित
- शक्ति कपूर — प्रकाश
- अरुणा ईरानी — कुसुम
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत लोकप्रिय हुए। विशेषकर "डफली वाले डफली बजा" ने लोकप्रियता के सारे कीर्तिमान तोड़ दिये थे। ये गीत बिनाका गीत माला की 1980 की सूची पर शीर्ष पर रहा था।
सभी गीत आनन्द बक्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "डफली वाले डफली बजा" | लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी | 5:15 |
2. | "हम तो चले परदेस" | मोहम्मद रफ़ी | 4:54 |
3. | "कहाँ तेरा इंसाफ है" | मोहम्मद रफ़ी | 4:46 |
4. | "कोयल बोली दुनिया डोली" | लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी | 4:21 |
5. | "मुझे मत रोको मुझे गाने दो" | मोहम्मद रफ़ी | 4:28 |
6. | "परबत के उस पार" | लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी | 7:17 |
7. | "राम जी की निकली सवारी" | मोहम्मद रफ़ी | 5:21 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1980 | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | जीत |
एन॰ एन॰ सिप्पी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित | |
ऋषि कपूर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
जयाप्रदा | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | नामित | |
असरानी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
आनन्द बक्शी ("डफली वाले डफली बजा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित |