सदस्य वार्ता:Santosh Shoonyam

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- ईश्वर : कल्पना या वास्तविक

सनातन से वर्त्तमान तक के कालक्रम में पृथ्वी नामक गृह के सर्वाधिक विकसित प्राणी मानव ने ब्रह्माण्ड के रहस्यों को अपनी जिज्ञासा शक्ति के वशीभूत जाना है तो इस वर्त्तमान धरा की आज तक की सारी ज्ञात जानकारियों में एक सबसे बड़ा वैज्ञानिक सिद्धांत  प्रमुख है  - बिग बैंग थ्योरी 
                 इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड की उतपत्ति बिग बैंग नामक घटना से हुयी है इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड सबसे पहले एक बिंदु परमाणुक आकर में था कि तभी उसके नाभिक में एक विस्फोट हुआ जिसे बिग बैंग नाम दिया गया है और इस बिस्फोट के परिणामस्वरूप ब्रह्माण्ड ने फैलना प्रारम्भ किया अर्थात ब्रह्माण्ड ने आकार ग्रहण करना प्रारम्भ किया इस सिद्धांत को वर्त्तमान विश्व सबसे बड़ा विज्ञानं मन जाता  है और इस सिद्धांत को देने वाले महान वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ( जो अब हमारे बीच नहीं है ) को वर्त्तमान विज्ञानं का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है किन्तु ---
            सबसे पहली बात यह है  कि इस सिद्धांत में ऐसा कुछ भी नहीं है जो पूर्व में ज्ञात नहीं था क्यों कि- वैदिक विज्ञानं के अनुसार --विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा की उतपत्ति होना प्रमाणित है यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि विष्णु अर्थात निर्गुण ब्रह्म , नाभिकमल अर्थात निर्गुण ब्रह्म का नाभिक , ब्रह्मा अर्थात जनित करने की शक्ति और ब्रह्माण्ड मतलब कि अंडाकार फैला हुआ ब्रह्म तो और विवेचन करने पर हम पाते है की वैदिक सिद्धांत के अनुसार सबसे पहले ब्रह्माण्ड निर्गुण बिंदु रूप था जिसके नाभिक से जनन शक्ति ( ब्रह्मा ) का प्राकट्य हुआ जिसने ब्रह्माण्ड के सृजन का काम प्रारम्भ किया जो आज भी अनवरत जारी है अर्थात बिग बैंग सिद्धांत से ज्यादा व्यापक और गहन सिद्धांत है वह है  जो वेदो ने प्रस्तुत किया एवं दूसरी बात यह कि बिग बैंग सिद्धांत अनेको प्रश्नो के उत्तर दे पाने में असफल है कैसे जरा देखते है -(१)  सबसे आदि में ब्रह्माण्ड यदि बिंदु आकार में था तो इतने बड़े ब्रह्माण्ड को बिंदु आकार में रखने हेतु चारो तरफ से अनंत दबाब रहा होगा वो दबाब किस सत्ता ने बल लगाकर जनित किया हुआ था (२) जड़त्व के नियमानुसार बिना बाह्य बल लगाए कोई भी क्रिया नहीं हो सकती अर्थात त्वरण उत्तपन्न नहीं किया जा सकता तो बिग बैंग नामक महाविस्फोट हेतु बल किस सत्ता ने आरोपित किया (३)जब एक चिड़िया का चित्र भी बिना कल्पना किये नहीं बन सकता एक छोटी सी मेज भी बिना सरंचना तैयार किये नहीं बन सकती तो आखिर इतना विशालकाय स्वचालित स्वनियंत्रित ब्रह्माण्ड बनाने की कल्पना किसने किया और संरचना किसने तैयार किया क्यों किया कैसे किया एवं आदि अनेको सवाल है जिनका आज तक किसी भी ज्ञान विज्ञानं के पास कोई उत्तर नहीं है ओर भविष्य में भी नहीं होगा और जिस वैज्ञानिक ने यह बिग बैंग सिद्धांत दिया वह वैज्ञानिक भी बिना इन प्रश्नो के उत्तर दिए इस दुनिया से जा चुके है किन्तु प्रश्न अपनी जगह ही खड़े है 

इस शोध में जाने के हमारे पास दो विकल्प है (१) हम यह मनाकर चले कि इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कोई ईश्वर सत्ता नहीं है या फिर (२) हम यह मनाकर चले कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में केवल एक ईश्वर सत्ता ही है सबसे पहले हम यह मानकर आगे बढ़ते है कि ब्रह्माण्ड में कोई ईश्वर सत्ता नहीं है तो पीछे लौटते लौटते हम वहाँ तक आ जाते है कि ब्रह्माण्ड एकदम रिक्त अंधकारमय था एवं उसमे एक विस्फोट हुआ जिससे ऊर्जा का संचरण ब्रह्माण्ड में हुआ और ब्रह्माण्ड ने स्वरुप ग्रहण किया किन्तु फिर इस बिंदु पर आकार हम विवश है कि आखिर विस्फोट हुआ क्यों ब्रह्माण्ड बना क्यों विस्फोट हेतु बल किसने लगाया क्यों लगाया ब्रह्माण्ड का कल्पना किसने किया और क्यों किया एवं ये भौतिक ब्रह्माण्ड तो बिगबैंग से अस्तित्व में आया किन्तु ये चेतना , भावना , राग वैराग ,सुख दुःख आदि के भाव ये सब इस ब्रह्माण्ड में कहा से आये क्यों आये तो हमें सोचने को विवश होना पड़ता है कि बात तो सही है कि आखिर बिना किसी सत्ता के इतना बड़ा स्वचालित ब्रह्माण्ड नहीं बन सकता तो हम जो मनाकर चल रहे है कि कोई ईश्वर सत्ता नहीं है खुद हमें ही गलत लगने लगाती है अर्थात ये परिकल्पना कि ईश्वर नहीं है वास्तव में गलत सिद्ध हो जाती है तो स्वतः सिद्ध होता कि ईश्वर है दूसरी ओर जब हम ये परिकल्पना मानकार चलते है कि ईश्वर है तो सूत्र से सूत्र तुरंत मिलते चले जाते है कि ईश्वर की एकोहम बहुस्यामि ( अर्थात एक हूँ अनेक होना है ) कि महत कामना प्रकृति से सर्वप्रथम एक कम्पन्न ( नाड ) का सृजन हुआ जो कि विष्णु ( निर्गुण ब्रह्म ) के नाभिकमल ( नाभिक ) से निकला यही प्रथम ब्रह्म नाड ब्रह्माण्ड के जनित होने का प्रमुख करक है इन सब बातो पर गहन से गहन विवेचन प्राचीन विद्वान ऋषि मुनि कर चुके है ओर इसके बाद ही जब ऋषियों ने ये परिकल्पना कि कि ईश्वर है तो उन्होंने ये भी सोचा कि यदि ईश्वर है तो उससे मिला भी जा सकता है तब उन्होंने ईश्वर से साक्षात्कार भी किया ओर वेदों कि रचना हुयी ओर कोई भी प्रश्न ऐसा नहीं रहा जिसका उत्तर वैदिक ज्ञान में न मिलता हो किन्तु वर्त्तमान वैज्ञानिक केवल भौतिक दृष्टि से ईश्वर कि सत् को नकारकर शोध कर रहे है तो नतीजा यही कि कि अनेको प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल पा रहे है अतः हमें बिना किसी दबाब के मानना ही होगा कि ईश्वर कोई कल्पना नहीं वास्तविकता है क्यों कि सरे विवेचन से स्पष्ट है कि बिना कामना के कुछ हो ही नहीं सकता तो यदि ब्रह्माण्ड है ब्रह्माण्ड में में भी हूँ तो ये ब्रह्माण्ड भी किसी कि कामना है जिसका साकार रूप ये ब्रह्माण्ड स्वयं है ओर जिसकी ये कामना है वही परम सत्ता है

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