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हवालदार कौर सिंह[संपादित करें]

हवालदार कौर सिंह भारत के एकमात्र मुक्केबाज़ थे जिन्होंने सन १९८० में मोह्म्म्द अली को हराया था जब वे भारत आए थे। कौर सिंह भारत के कम से जानेमाने मुक्केबाज़ों से हैं। वह राष्ट्रीय हेवीवेट चैंपियन भी रह चुके हैं।

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

कौर सिंह का जन्म १९४७ में पंजाब के मालवा क्षेत्र में हुआ था। सन १९७० में,२३ की आयु में उन्होनें भारतिय सेना में हवालदार बन गये। कौर सिंह ने १९७१ के भारत- पाकिस्तान के युध मे भाग लिया था जिसके लिये उन्हें सम्मानित भी किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद वह किसान बन गये थे और स्ंगरा के खन्नाल खड गाँव में रहने लगे।

मुक्केबाज़ी जीवन[संपादित करें]

कौर सिंह भारत के एकमात्र मुक्केबाज़ हैं जिन्होनें मोह्म्म्द अली को हराया था १९८० में जिसके बाद उनको काई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उन होने ओलंपिक में भी काई पदक जीते थे। उन्होंने पुरुषों की भारी वजन श्रेणी में स्वर्ण पदक भी जीता है। सेवानिवृत्ति से पहले, सन १९८४ में उन्होनें लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भाग लिया था। जिसके बाद से उन्होनें मुक्केबाज़ी हमेशा के लिए छोड़ दी थी। जिसके बाद उन्होनें कभी-भी वापिस मुड कर मुक्केबाज़ी कि ओर नहीं देखा और ना उन्होनें अपने बच्चों को प्रोत्साहित नहीं किया। इसका यह कारण है कि, जो पैसे उन्हे सरकार कि तरफ से मिलने थे वह उन्हें अभी तक नहीं दिये गये थे। यहां तक की जब हवालदार कौर सिंह कि तबियत खराब हुई थी और उन्हें पैसों की ज़रूरत थी तभी भी भारत सरकार ने उनको पैसे नहीं दिये और फिर भारतीय सेना ने उनके इलाज के लिये सहायता की थी। आज तक उन्हें उनके मेहनत के पैसे नहीं मिले हैं।

पुरस्कार[संपादित करें]

हवालदार कौर सिंह को भारतीय सेना और मुक्केबाज़ी से काई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जैसे:

१९८२ में अर्जुन पुरस्कार
१९८३ में पद्मश्री पुरस्कार 
१९८८ में  विश्व सेवा पदक आदि।