सदस्य वार्ता:Akhileah bajpai
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 10:46, 26 जुलाई 2020 (UTC)
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कालिंजर दुर्ग, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित एक दुर्ग है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में विंध्य पर्वत पर स्थित यह दुर्ग विश्व धरोहर स्थल खजुराहो से ९७.७(97.7) किमी दूर है। इसे भारत के सबसे विशाल और अपराजेय दुर्गों में गिना जाता रहा है। इस दुर्ग में कई प्राचीन मन्दिर हैं। इनमें कई मन्दिर तीसरी से पाँचवीं सदी गुप्तकाल के हैं। यहाँ के शिव मन्दिर के बारे में मान्यता है कि सागर-मन्थन से निकले कालकूट विष को पीने के बाद भगवान शिव ने यहीं तपस्या कर उसकी ज्वाला शान्त की थी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला कार्तिक मेला यहाँ का प्रसिद्ध सांस्कृतिक उत्सव है।
कालिंजर दुर्ग बांदा जिला का हिस्सा उत्तर प्रदेश, भारत Panoramic view of palaces in Kalinjar fort.jpg कालिंजर दुर्ग के महल कालिंजर दुर्ग की उत्तर प्रदेश के मानचित्र पर अवस्थितिकालिंजर दुर्गकालिंजर दुर्ग निर्देशांक 24°59′59″N 80°29′07″E / 24.9997°N 80.4852°E प्रकार दुर्ग, गुफाएं एवं मन्दिर निर्माण जानकारी नियंत्रक उत्तर प्रदेश सरकार जनता हेतु खुला हाँ, सार्वजनिक दशा ध्वस्त किले के अवशेष इतिहास निर्मित १०वीं शताब्दी निर्माणकर्ता चन्देल शासक प्रयोगाधीन १८५७(1857) सामग्री ग्रेनाइट पाषाण युद्ध/लड़ाइयाँ महमूद गज़नवी १०२३(1023)ई॰, शेर शाह सूरी १५४५(1545) ई॰, ब्रिटिश राज १८१२(1812) ई॰ & १८५७(1857)का स्वाधीनता संग्राम गैरिसन जानकारी पूर्व कमांडर चन्देल राजवंश के राजपूत एवं रीवा के सोलंकी गैरिसन ब्रिटिश सेना, १९४७(1947) हवाई क्षेत्र सम्बन्धित जानकारी ऊँचाई 375 AMSL प्राचीन काल में यह दुर्ग जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के अधीन था। बाद में यह १०(10)वीं शताब्दी तक चन्देल राजपूतों के अधीन और फिर रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू आदि ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। कालिंजर विजय अभियान में ही तोप के गोला लगने से शेरशाह की मृत्यु हो गई थी। मुगल शासनकाल में बादशाह अकबर ने इस पर अधिकार किया। इसके बाद जब छत्रसाल बुन्देला ने मुगलों से बुन्देलखण्ड को आजाद कराया तब से यह किला बुन्देलों के अधीन आ गया व छत्रसाल बुन्देला ने अधिकार कर लिया। बाद में यह अंग्रेज़़ों के नियंत्रण में आ गया। भारत के स्वतंत्रता के पश्चात इसकी पहचान एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर के रूप में की गयी है। वर्तमान में यह दुर्ग भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकार एवं अनुरक्षण में है। यह बहुत ही बेहतरीन तरीके से निर्मित किला है। हालाकि इसने सिर्फ अपने आस पास के इलाकों में ही अच्छी छाप छोड़ी है।
भौगोलिक स्थिति इतिहास पौराणिक-साहित्यिक सन्दर्भ ऐतिहासिक धरोहर स्थापत्य नीलकण्ठ मन्दिर अनुरक्षण एवं रख-रखाव व्यावसायिक महत्त्व उत्सव व मेला आवागमन ग्रन्थों में वर्णन चित्र दीर्घा सन्दर्भ ग्रन्थ व टीका सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Akhileah bajpai (वार्ता) 08:43, 27 जुलाई 2020 (UTC)