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फ्रन्चिस न्यूतन सुज़ा

परिचय[संपादित करें]

फ्रन्चिस जि का जनम सन १९२४ अप्रैल १२ को हुअ था। वह भारत के जाने माने कालाकार थे। वह फ़ ण सुज़ा के नाम से भी जाने जाथे थे। वह सवतन्त्र्सता के बाद पहले भरतीय कलाकार मान्यता प्राप्त करे थे। फ्रान्सिस न्यूतन सुज़ा गोव के मूल गाव् मे हुअ थ। गोव की सलिगओ गान नामक गाव मे। [1]

मह्त्व[संपादित करें]

१९२९ मे, जब वह अपने प्रिवार के साथ बोम्बए छले गए, तो वह छेछक के हमले से बछ गए जिससे उन्हे जीवन के लिए खतके पदे। गोव के सन्रक्शक सन्त सेन्त फ्रान्सिस जेवियर के बाद उनके आभारी मान ने फ्रान्सिस से अपन जोदा। उन्होन्ने बोम्बे मे सेन्त जेवियर्स कोलेज मेइन शिक्श प्रातप्त्प कि। तब हि उन होने एक शौछाल्य मे भित्तिछित्रो को छिरित करने के लिए निश्कासित कर दिया गया। १९४७ मेइन वह बोम्बे प्रोग्रेसुव आर्तिस्त्स ग्रुप के सन्स्थास्पक सदस्य थे।

योग्दान[संपादित करें]

१९४८ मै सुज़ा के छित्र लंदन के बच्लिङतन हौस मै एक प्रदर्शनी मैन दिक्खए गए थे।१९४९ मै सुज़ लन्दन छके गए,जाहान शुर्रो मै एक कलाकार के रूप मै प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहे थे,उन्होनी एक पत्रकार के रूप मेइन काम किय। समकालीन कल सन्स्थान ने १९५४ प्रदर्शनी मै उनका कान किय था। एक कलाकार के रूप मै उन्की सफलत ने १९५५ मै स्तीफन स्पेन्दर एन्क्वायर पत्रिक मै एक पत्रिक के आत्मकथात्मक निबन्ध निर्वान के प्रकाशन के बाद काम शुरू किय।

आम जीवन[संपादित करें]

गैलरी वन के मालिक लल व्यापारी व्हिक्तर मुस्ग्रेवे को सुज़ की शुरुआत १९५५ प्रदर्शनी बेछी गए थी। जिसके छकते छल रहे सफलता मिल गयि। १९५९ मै शोज़ शब्द और रेकएन प्रकस्शित की। सुज़ के कैरियर को लगातार विकसित किय गय, और उन्होन्ने कए बरसो मै भाग लिय। जो बरग्र से सकारात्मक समीक्श प्राप्त की। उनकी शैली थी, जैसा कि बर्गर ने बताया। १९६७ से वह न्यूयोर्क शहए मै बस गए केवल उनकी म्र्त्यु के कुछ समय पहले ही भारत लौत आए। सूज़ा को मुम्बी मै शिवदी कब्रिस्तान मै दफनाया गय था, ३० मार्छ २००२ को एक शान्त अन्तिमसन्स्कार मै।

सन २००२ २८थ मार्छ तको छाल बसे।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]