सदस्य:Rosesona joy/WEP 2018-19

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
दीपा करमाकर

जीवन चरित्र[संपादित करें]

दीपा करमाकर (जनम :९ अग १९९३) एक भारर्तीय कसरती है । ये पहली महिला जिमनास्ट है। जो ओलंपिक मे भारत की तरफ से गया हे। ५२ सालों के बाद जिमनास्तिक में भारत का प्रतिनिधि आलंपिक मे गाया हे। दीपा ने अपने प्रतिभा की प्रदश प्रदर्शन से दुनिया के सामने भारत का गौरव बढ़ाया है। दीपा सफलतापूर्वक प्रोडुनोवा करता पांच महिलाओ से एक है.यह सबसे कठिन वोल्ट महिला जिम्नास्टिक प्रदर्शन में से एक है ।९ अगस्त १९९३ को त्रिपुरा के अगरतला में दीपा का जन्म हुआ था । दीपा के पता दुलाल कर्मकार भारत के एक बेहतरीन वेट लिफ्टर कोच है । दीपा ६ साल की उम्र में जिम्नास्टिक की ट्रेनिंग शुरू की है ।

विकास और व्यवसाय[संपादित करें]

दीपा कर्मकार ने अपनी करियर की शुरुआत में बहुत उतार चढ़ाव देखे लेकिन अपने मेहनत के बल में वे बड़ो को अपने आगे झुका दिया । २०१७ को भारत सरकार दीपा को पद्मश्री दिया ।और २०१६ में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्ना पुरस्कार भी मिला था । दीपा सबसे पहले चर्चा में तब आई जब उन्होंने ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्‍थ गेम्स में कांस्य पदक जीता। भारत में जिम्नास्ट जैसे पिछड़े खेल में पदक जीतना बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद उन्होंने पिछले साल नवंबर में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी शानदार प्रदर्शन किया। हालांकि उन्हें कोई पदक तो नहीं मिला लेकिन फाइनल तक पहुंचकर उन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर जरूर खींचा। दीपा जिम्नास्ट के जिस इवेंट प्रोडुनोवा में शिरकत करती हैं उसे काफी मुश्किल माना जाता है। दीपा की उपब्धि इसलिए भी बड़ी हो जाती है कि 60 के दशक के बाद भारत का कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक जिम्नास्टिक में शिरकत नहीं कर पाया रियो ओलिंपिक में धमाल मचाने वाली इंडियन जिमनास्ट दीपा कर्माकर (22 साल) के सक्सेस के पीछे के असली हीरो उनके कोच बिश्वेश्वर नंदी हैं।

उपलब्धियां[संपादित करें]

अगर नंदी ने ईमानदारी न दिखाई होती तो आज दीपा जिमनास्ट न होतीं। उन्होंने एक 6 साल की बच्ची के जज्बे को देखते हुए वो कर दिखाया, जिसे कर पाना असंभव माना जाता हैदीपा ने रविवार को हुए मुकाबले में जिम्नास्टिक की सभी पांच क्वालिफिकेशन सबडिवीजन को पार करते हुए वॉल्ट में आठवें स्थान पर रहीं। आखिरी पायदान के साथ उन्होंने फाइनल में प्रवेश किया। अब लोगों को उम्मीद है कि वो देश के लिए पहला गोल्ड मेडल जीतकर लाएंगी। दीपा के ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं रहा। बेहद साधारण परिवार से आने वाली दीपा ने जब पहली बार किसी जिमनास्टिक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया तब उनके पास जूते भी नहीं थे दीपा के कोच बिश्वेश्वर नंदी ने उन्हें प्रशिक्षण दिया। अपने फ्लैट तलवे की वजह से दीपा को काफी मेहनत करनी पड़ी। इससे छलांग के बाद ज़मीन पर लैंड करते वक़्त संतुलन बनाने में बड़ी बाधा आती है। लेकिन कड़े अभ्यास और अपने मनोबल के कारण दीपा ने इसे बाधा बनने नहीं दिया।

सन्दर्भ[संपादित करें]

[1] [2]

  1. en.wikipedia.org/wiki/Dipa_Karmaka
  2. zeenews.india.com