सदस्य:Rishabh kanoi/प्रयोगपृष्ठ

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मेरा नाम ऋषभ कनोई है। इस प्रयोगपृष्ठ मे मै आपको मेरे बारे मे अवगत कराऊँगा।

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

मेरा जन्म नौतनवॉ मे हुआ था,जो नेपाल सीमा से ७ किमी दूर स्थित है। नौतनवॉ ऋषि या ज्ञान के नए शरीर में भाग लेने का प्रतीक है। यही वजह है कि इस नाम का नौ-नया टन-शरीर कहा जाता है। नौतनवॉ उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में तहसील/ब्लॉक है। नौतनवॉ रेलवे स्टेशन भारतीय अंत का अंतिम स्टेशन है।

परिवार[संपादित करें]

मेरा परिवार एक छोटा मारवाड़ी परिवार है जिसमें पाँच लोग शामिल हैं, मै खुद, मेरे पिता, मेरी माँ, मेरे दादाजी और दादी।

सत्यनारायण कनोई-दादाजी[संपादित करें]

राकेश कनोई-पिता[संपादित करें]

कंचन कनोई-माँ[संपादित करें]

ललिता देवी कनोई-दादी[संपादित करें]

मेरे पिता और दादा नौतनवॉ में कपड़े के व्यापारियों के रूप में अपने काम में लगे हैं। मेरे दादा शुरूआत में राजस्थान से थे और उन्होंने एक नई शुरुआत के लिए अपनी पत्नि के साथ नौतनवॉ में स्थानांतरित कर १७ अगस्त १९६६ को कनोई वस्त्रालय नामक एक दुकान खोला, जिसका मतलब है कि दुकान ने हाल ही में अपने 52 साल पूरे किए हैं। मेरे पिताजी 12 वीं कक्षा के बाद मेरे दादाजी के व्यापार में शामिल हुए। मेरी मॉ सूरत से थी और वो मेरी दादी के साथ गृहिणियों के रूप में काम करती है। मेरी मां और मेरी दादी खाना पकाने में बहुत ही अच्छे हैं। मेरे दादाजी और दादी अपनी बुढ़ापे में भी सक्रिय हैं।

शिक्षा[संपादित करें]

मैं 2 वर्ष की आयु से ही मेरी बालवाड़ी होली क्रॉस स्कूल, नौतनवॉ गया और उसी विद्यालय में कक्षा 10 तक अपनी पढ़ाई जारी रखी। मेरी उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए, मैं सेंट जोसेफ स्कूल, गोरखपुर गया, जो मेरे मूल स्थान से लगभग ९० किलोमीटर दूर है। वर्तमान में मैं मेरी स्नातक की डिग्री के लिए क्राईस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर में हूं।

रूचि[संपादित करें]

मेरे बचपन के दौरान मुझे नृत्य पसंद था। १३ साल की उम्र में संगीत के प्रति मेरा मोह जागने लगा और १५ साल की उम्र में मैं गायन और गाने लिखने लगा। खेल में, मैं बास्केटबॉल की ओर आकर्षित था साथ ही उसका खिलाड़ी भी था। अभी मैं अपने गायन और अभिनय कौशल पर अधिक काम कर रहा हूँ।

लक्ष्य[संपादित करें]

में अपने लक्ष्य की बात करू तो मझे बहुत कुछ बनना है यदि समय और हालात मेरा साथ दे तो। उनमे से सबसे महत्वपूर्ण हैं:

१.एक उद्यमी बनना।

२.एक पेशेवर गायक और नर्तक

३.एक मार्शल आर्टिस्ट बनाना।

४. पेशेवर बास्केटबॉल खिलाड़ी बनना।

हालांकि इन सभी चीजो को हासिल करना लगभग असंभव है।

उपलब्धियां[संपादित करें]

मैंने अभी तक अपने जीवन में कुछ महान हासिल नहीं किया है। मेरे द्वारा जो भी हासिल किया गया है, वह छोटी उपलब्धियां या उपलब्धियों के समान हैं। उनमें से कुछ हैं:

1. लखनऊ में सुरतरंग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय गायन प्रतियोगिता के सेमीफाइनल मे पहुचा।

2.10 वीं तक मेरे स्कूल की बास्केटबॉल टीम का खिलाड़ी।

3. कक्षा 11 वीं और 12 वीं में स्कूल के गायन समूह का एक मुख्य गायक

4.क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के गायन समूह का हिस्सा।

5. कक्षा 12वीं में स्कूल के आई एस सी टॉपरो मे से एक।