वृषाली

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वृषाली अंगदेश की रानी एवम् अंगराज कर्ण की पहली पत्नी थी। वृषाली और कर्ण का विवाह द्रौपदी स्वयंवर के बाद अधिरथ के परामर्श पर हुआ था। कर्ण और वृषाली बचपन से ही अच्छे मित्र थे। वृषाली के गर्भ से कर्ण को चार पुत्र प्राप्त हुए थे जिनके नाम हैं - वृषसेन , चित्रसेन , सत्यसेन और वृषकेतु। इनमें वृषकेतु ही एकमात्र जीवित बचा था तथा वृषसेन कुरुक्षेत्र युद्ध में सत्रहवें दिन अर्जुन के हाथों वीरगति प्राप्त की तथा चित्रसेन और सत्यसेन ने अर्जुन के छोटे भाई नकुल के हाथों युद्ध के सोलहवें दिन वीरगति प्राप्त की।

जन्म[संपादित करें]

वृषाली का जन्म सूत परिवार में हुआ था। वृषाली का भाई दुर्योधन का सारथी था। जिसका नाम सत्यवान बताया गया है तो कई स्थानों पर सत्यसेन।

मृत्यु[संपादित करें]

वृषाली ने कर्ण के साथ सती हो जाना स्वीकार किया। अपने पुत्र वृषकेतु को उसने सुप्रिया को सौंप दिया था जिसने उसका भली भाँति अपने पुत्र के समान पालन पोषण किया।