"भगवान": अवतरणों में अंतर

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'''भगवान''' दो शब्दों से मिलकर बना है , जैसे भागयवान का अर्थ होता है भाग्य मतलब तकदीर वान मतलब वाला, यानि कि तकदीरवाला, उसी तरह संस्कृत की भग् धातु से बना है भगवान, भग मतलब टूटना/ तोड़ना, क्या तोड़ना? जिसने अपने क्रोध, मोह, लोभ, वासना, कामना आदि दुर्गुणों का मायाजाल तोड़ दिया हो उसे ही भारतीय संस्कृति में भगवान कहा गया है, जैसे कृष्ण और शिव आदि देवता हैं, क्योंकि उनकी कामनाएं इच्छाएँ है, लेकिन भगवान महावीर और भगवान बुद्ध, भगवान हैं, क्योंकि उन्होंने अपने लोभ, मोह, क्रोध, वासना, कामना को जीत लिया है, इसी से संबंधित भगवान बुद्ध ने किस कदर अपने क्रोध पर जीत हासिल की थी, एक बार भगवान बुद्ध कहीं से गुजर रहे थे और लोगों ने उन्हें गालियाँ देना शुरू कर दिया और बहुत देर तक देने के बाद जब लोग चुप हुए तो तथागत ने कहा अगर आपका वार्तालाप समाप्त हो गया हो तो मै आगे बढू़ , लोग परेशान हो गये कि हम तो इन्हें गालियाँ दे रहे थे और ये उसे वार्तालाप कह रहें हैं, तब बुद्ध ने कहा वार्तालाप का मतलब है कि अपनी भावनाएं दूसरे तक पहुंचाना, आपने अपनी बातें मुझ तक पहुंचाई, अब मैं चलूँ? सब नतमस्तक हो गये , भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि नर से ही नारायण (भगवान) बन सकता है
'''भगवान''' गुण वाचक शब्द है जिसका अर्थ गुणवान होता है। यह "भग" धातु से बना है ,भग के ६ अर्थ है:-
१-ऐश्वर्य
२-वीर्य
३-स्मृति
४-यश
५-ज्ञान और
६ ये ६ गुण है वह भगवान है।

संस्कृत भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- सेवायाम् । जो सभी की सेवा में लगा रहे कल्याण और दया करके सभी मनुष्य जीव ,भूमि गगन वायु अग्नि नीर को दूषित ना होने दे सदैव स्वच्छ रखे वो भगवान का भक्त होता है
भ=भक्ति
ग=ज्ञान
वा=वास
न=नित्य, जिसे हमेस ध्यान करने का मन करता है


== संज्ञा ==
== संज्ञा ==

18:47, 7 अगस्त 2022 का अवतरण

भगवान दो शब्दों से मिलकर बना है , जैसे भागयवान का अर्थ होता है भाग्य मतलब तकदीर वान मतलब वाला, यानि कि तकदीरवाला, उसी तरह संस्कृत की भग् धातु से बना है भगवान, भग मतलब टूटना/ तोड़ना, क्या तोड़ना? जिसने अपने क्रोध, मोह, लोभ, वासना, कामना आदि दुर्गुणों का मायाजाल तोड़ दिया हो उसे ही भारतीय संस्कृति में भगवान कहा गया है, जैसे कृष्ण और शिव आदि देवता हैं, क्योंकि उनकी कामनाएं इच्छाएँ है, लेकिन भगवान महावीर और भगवान बुद्ध, भगवान हैं, क्योंकि उन्होंने अपने लोभ, मोह, क्रोध, वासना, कामना को जीत लिया है, इसी से संबंधित भगवान बुद्ध ने किस कदर अपने क्रोध पर जीत हासिल की थी, एक बार भगवान बुद्ध कहीं से गुजर रहे थे और लोगों ने उन्हें गालियाँ देना शुरू कर दिया और बहुत देर तक देने के बाद जब लोग चुप हुए तो तथागत ने कहा अगर आपका वार्तालाप समाप्त हो गया हो तो मै आगे बढू़ , लोग परेशान हो गये कि हम तो इन्हें गालियाँ दे रहे थे और ये उसे वार्तालाप कह रहें हैं, तब बुद्ध ने कहा वार्तालाप का मतलब है कि अपनी भावनाएं दूसरे तक पहुंचाना, आपने अपनी बातें मुझ तक पहुंचाई, अब मैं चलूँ? सब नतमस्तक हो गये , भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि नर से ही नारायण (भगवान) बन सकता है

संज्ञा

संज्ञा के रूप में भगवान् हिन्दी में लगभग हमेशा ईश्वर / परमेश्वर का मतलब रखता है। इस रूप में ये देवताओं के लिये नहीं प्रयुक्त होता।

विशेषण

विशेषण के रूप में भगवान् हिन्दी में ईश्वर / परमेश्वर का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये देवताओं, विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण), शिव, आदरणीय महापुरुषों जैसे, महावीर, धर्मगुरुओं, गीता, इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका स्त्रीलिंग भगवती है।

इन्हें भी देखें