"कोरेगांव की लड़ाई": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
सांचा जोडा
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{Infobox military conflict
'''भिमा कोरेगांव की लड़ाई''' [[१ जनवरी]] [[१८१८]] इसवी में [[पुणा]] ([[पुणे]]) स्थित कोरेगाव गांव में भिमा नदी के पास उत्तरी पू्र्वी में हुई थी। पेशवा बाजीराव के [[मराठा साम्राज्य]] में [[अस्पृश्यता]] चरमसिमा पर पोहोचकर उसका कठोर पालन किया जा रहा था, इसलिए महार लोग उनके विरोध में युद्ध में खडे हुए थे। यह लड़ाई [[महार]] और [[मराठा]] सैनिकों के बिच लड़ी गई थी। [[अंग्रेज]]ों की तरफ ५०० लड़ाके, जिनमें ४५० [[महार सैनिक]] थे और [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] के २८,००० [[मराठा]] सैनिक थे, मात्र ५०० महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली २८ हजार मराठा फौज को हरा दिया था। महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सन्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया जिनपर महारों के नाम लिखे गए। ब्रिटिश रेजिडेंट की अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इसे नायकत्व वाला कर्त्य कहा गया और सैनिकों के अनुशासित और समर्पित साहस और स्थिरता की तारीफ की गई।
| conflict = कोरेगांव की लड़ाई
| width =
| partof = [[Third Anglo-Maratha War]]
| image = [[File:Bhima Koregaon Victory Pillar.jpg|center|250px]]
| caption = भीमा कोरेगांव विजय स्तंभ
| date = १ जनवरी १८१८
| place = [[भीमा कोरेगांव]] (अब [[महाराष्ट्र]], [[भारत]])
| coordinates = {{Coord|18|38|44|N|074|03|33|E|display=inline,title}}
| map_type = India
| latitude = 18.646378
| longitude = 74.057299
| map_caption = भारत में भीमा कोरेगांव का स्थान
| map_label = Koregaon Bhima
| result = महारों की विजय, मराठों की हार
| status =
| combatants_header =
| combatant1 = [[File:British East India Company flag.svg|22px|border]] [[British East India Company]]
| combatant2 = [[File:Flag of the Maratha Empire.svg|22px|border]] Peshwa faction of the [[Maratha Confederacy]]
| commander1 = Captain Francis F. Staunton
| commander2 = [[Peshwa]] [[Baji Rao II]]<br />[[Bapu Gokhale]]<br/>Appa Desai<br/>Trimbakji Dengle
| units1 = 2nd Battalion of the [[102nd Prince of Wales's Own Grenadiers|1st Regiment of Bombay Native Infantry]]<br/>[[Madras Army|Madras Artillery]]
| units2 = [[Arabs]], [[Gosains]] and [[Maratha]]
| strength1 = 834, including around 500 infantry, around 300 cavalry and 24 artillery<br />2 6-pounder cannons
| strength2 = 28000, including 20,000 cavalry and 8000 infantry<br />(around 2,000 participated in the battle supported by 2 cannons)
| casualties1 = 275 killed, wounded or missing
| casualties2 = 500–600 killed or wounded (British estimates)
| notes = <ref name="Gazetteer1885" />
| campaignbox = {{Campaignbox Third Anglo-Maratha War}}
}}
'''भिमा कोरेगांव की लड़ाई''' [[१ जनवरी]] [[१८१८]] इसवी में पुणा ([[पुणे]]) स्थित कोरेगाव गांव में भिमा नदी के पास उत्तरी पू्र्वी में हुई थी। पेशवा बाजीराव के [[मराठा साम्राज्य]] में [[अस्पृश्यता]] चरमसिमा पर पोहोचकर उसका कठोर पालन किया जा रहा था, इसलिए महार लोग उनके विरोध में युद्ध में खडे हुए थे। यह लड़ाई [[महार]] और [[मराठा]] सैनिकों के बिच लड़ी गई थी। [[अंग्रेज]]ों की तरफ ५०० लड़ाके, जिनमें ४५० [[महार सैनिक]] थे और [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] के २८,००० [[मराठा]] सैनिक थे, मात्र ५०० महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली २८ हजार मराठा फौज को हरा दिया था। महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सन्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया जिनपर महारों के नाम लिखे गए। ब्रिटिश रेजिडेंट की अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इसे नायकत्व वाला कर्त्य कहा गया और सैनिकों के अनुशासित और समर्पित साहस और स्थिरता की तारीफ की गई।


यह युद्ध बहुत ही महत्त्व का था। प्रथम अंग्रेजो की छोटी सी टुकड़ी ने पेशवा को हरा दिया जिसने पेशवा साम्राज्य का सफाया करने में मदद की। दूसरा अछूत महारो को अपनी वीरता दिखा जाती बंधन को तोड़ने का मौका।<ref>http://www.epw.in/special-articles/contesting-power-contesting-memories.html</ref>
यह युद्ध बहुत ही महत्त्व का था। प्रथम अंग्रेजो की छोटी सी टुकड़ी ने पेशवा को हरा दिया जिसने पेशवा साम्राज्य का सफाया करने में मदद की। दूसरा अछूत महारो को अपनी वीरता दिखा जाती बंधन को तोड़ने का मौका।<ref>http://www.epw.in/special-articles/contesting-power-contesting-memories.html</ref>

07:43, 11 फ़रवरी 2017 का अवतरण

कोरेगांव की लड़ाई
Third Anglo-Maratha War का भाग

भीमा कोरेगांव विजय स्तंभ
तिथि १ जनवरी १८१८
स्थान भीमा कोरेगांव (अब महाराष्ट्र, भारत)
18°38′44″N 074°03′33″E / 18.64556°N 74.05917°E / 18.64556; 74.05917निर्देशांक: 18°38′44″N 074°03′33″E / 18.64556°N 74.05917°E / 18.64556; 74.05917
परिणाम महारों की विजय, मराठों की हार
योद्धा
British East India Company Peshwa faction of the Maratha Confederacy
सेनानायक
Captain Francis F. Staunton Peshwa Baji Rao II
Bapu Gokhale
Appa Desai
Trimbakji Dengle
शक्ति/क्षमता
834, including around 500 infantry, around 300 cavalry and 24 artillery
2 6-pounder cannons
28000, including 20,000 cavalry and 8000 infantry
(around 2,000 participated in the battle supported by 2 cannons)
मृत्यु एवं हानि
275 killed, wounded or missing 500–600 killed or wounded (British estimates)
[1]

भिमा कोरेगांव की लड़ाई १ जनवरी १८१८ इसवी में पुणा (पुणे) स्थित कोरेगाव गांव में भिमा नदी के पास उत्तरी पू्र्वी में हुई थी। पेशवा बाजीराव के मराठा साम्राज्य में अस्पृश्यता चरमसिमा पर पोहोचकर उसका कठोर पालन किया जा रहा था, इसलिए महार लोग उनके विरोध में युद्ध में खडे हुए थे। यह लड़ाई महार और मराठा सैनिकों के बिच लड़ी गई थी। अंग्रेजों की तरफ ५०० लड़ाके, जिनमें ४५० महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के २८,००० मराठा सैनिक थे, मात्र ५०० महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली २८ हजार मराठा फौज को हरा दिया था। महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सन्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया जिनपर महारों के नाम लिखे गए। ब्रिटिश रेजिडेंट की अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इसे नायकत्व वाला कर्त्य कहा गया और सैनिकों के अनुशासित और समर्पित साहस और स्थिरता की तारीफ की गई।

यह युद्ध बहुत ही महत्त्व का था। प्रथम अंग्रेजो की छोटी सी टुकड़ी ने पेशवा को हरा दिया जिसने पेशवा साम्राज्य का सफाया करने में मदद की। दूसरा अछूत महारो को अपनी वीरता दिखा जाती बंधन को तोड़ने का मौका।[2]

शौर्य दिवस

महाराष्ट्र के बौद्ध और महार समूह हर वर्ष १ जनवरी को अपने पुरखो नमन करने भीमा कोरगांव जाते है यह दिन वे शौर्य दिवस के रूप में मनाते है।

डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर भी हर साल १ जनवरी को भीमा कोरेगांव जाते थे।

इन्हें भी देखें

बाहरी कडीया

संदर्भ

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Gazetteer1885 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. http://www.epw.in/special-articles/contesting-power-contesting-memories.html