विलियम मॉरिस डेविस
विलियम मॉरिस डेविस | |
---|---|
जन्म |
12 फ़रवरी 1850[1][2][3][4][5][6][7] फिलाडेल्फिया[8] |
मौत |
5 फ़रवरी 1934[1][9][2][3][4][5][6][7] पसादेना |
नागरिकता | संयुक्त राज्य अमेरिका |
शिक्षा | हार्वर्ड विश्वविद्यालय |
पेशा | भूवैज्ञानिक, भूगोलशास्त्री, लेखक |
संगठन | संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण |
प्रसिद्धि का कारण | अपरदन-चक्र |
विलियम मॉरिस डेविस (Davis, William Morris, सन् १८५०-१९३४) अमरीकी भूगोलवेत्ता तथा भूवैज्ञानिक थे। डेविस ने भू-आकृतिविज्ञान के क्षेत्र में गवेषणाओं और सिद्धान्तों पर कई पुस्तकें तथा कई सौ शोधपत्र लिखे थे। वह अपरदनचक्र के सिद्धान्त का जन्मदाता था।
विलियम मॉरिस डेविस का जन्म संयुक्त राज्य अमेरीका के पेन्सलवानिया राज्य में फिलाडेल्फिया नगर में २ फरवरी १८५० में हुआ। १८६९ ई० में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा समाप्त करके सन् १७७० से ७३ तक अज्रेटीना की कार्बोना स्थित राष्ट्रीय वेधशाला में ज्योतिर्विद् के रूप में इन्होंने कार्य किया। १८७६ ई० में इन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययपन कार्य प्रारंभ किया और १८९० ई० में भौतिक भूगोल के आचार्य नियुक्त हुए। तत्पश्चात् १८९९-१९१२ ई० तक इन्होंने वहीं पर भौताकृतिकतत्व (physiography) के आचार्य के रूप में कार्य किया। १९०३, १९०४ तथा १९०९ ई० में ये अमरीकी भूगोलवेत्ताओं के संस्थान के अध्यक्ष रहे। सन् १९११ में इन्हें अमरीकी भूविज्ञान का भी अध्यक्ष बनाया गया। इन्होंने बर्लिन विश्वविद्यालय तथा सारबॉन (फ्राँस) में भी अध्यापन कार्य किया।
डेविस अमरीकी भौताकृतिकत्तत्व विज्ञान के जनक माने जाते हैं। इन्होंने उपर्युक्त विज्ञान में पहले किए गए कार्यो को सैद्धांतिक प्रतिरूप दिया तथा वैज्ञानिक शब्दावली प्रदान की। इन्होंने भौताकृतिक तत्वों के विकास के अध्ययन में संरचना, प्रक्रिया तथा अवस्था (structure, process and stage) को महत्वपूर्ण बताया है और अपक्षरण चक्र (erosion cycle) के प्रकरण में भौताकृतिक तत्वों के आद्योपांत विकास के क्रमों को किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था की संज्ञाएँ दी हैं। इनके अनुसार इस क्रमिक विकासचक्र का कभी अंत नहीं होता। अत: उत्तर वृद्धावस्था में समतल सद्दृश्य जिस भौताकृति का विकास होता है, उसे इन्होंने प्राय: समभूमि तल (peneplain) की संज्ञा दी। इन्होंने जल अपक्षरण के अतिरिक्त हिमनदियों (glaciers) तथा शुद्ध प्रदेशीय भौताकृतिक तत्वों पर भी शोधपूर्ण निबंध लिखे और प्रवालनिर्माण (Formation of coral reef) के प्रकरण में महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित किए। अपने जीवन के लंबे काल में इन्होंने लगभग ४०० पुस्तकें तथा निबंध लिखे। भौताकृतिक तत्व विज्ञान के अतिरिक्त, जिसे वे भूगोल की एक शाखा मानते थे, भूगर्भ विज्ञान में भी इन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए। भैम्याकृति सिद्धांत पर उनकी प्रथम पुस्तक जर्मन भाषा में प्रकाशित (१९१२ ई०) हुई। इसके अतिरिक्त उनकी रचनाओं में "भौगोलिक निबंध" (१९०९ ई०), "प्रारभिक ऋतु विज्ञान" (१८९४ई०) भौतिक भूगोल (१८९८ ई०) तथा कोरल रीफ प्रॉब्लेम (१९२८ई०) महत्वपूर्ण हैं।
सचनाएं
[संपादित करें]- प्रारम्भिक मौसम विज्ञान, १८९४
- भौतिक भूगोल, १८९८
- लघु एण्टिलिस द्वीप माला, १९२६
- ↑ अ आ German National Library; Berlin State Library; Bavarian State Library; Austrian National Library, एकीकृत प्राधिकरण फ़ाइल, अभिगमन तिथि 27 अप्रैल 2014, Wikidata Q36578
- ↑ अ आ http://data.bnf.fr/ark:/12148/cb12942265f. अभिगमन तिथि 10 अक्टूबर 2015. गायब अथवा खाली
|title=
(मदद) - ↑ अ आ "William Morris Davis". अभिगमन तिथि 9 अक्टूबर 2017.
- ↑ अ आ "William Morris Davis". अभिगमन तिथि 9 अक्टूबर 2017.
- ↑ अ आ "William Morris Davis".
- ↑ अ आ "William Morris Davis". अभिगमन तिथि 9 अक्टूबर 2017.
- ↑ अ आ "William Morris Davis". अभिगमन तिथि 9 अक्टूबर 2017.
- ↑ अलेक्सान्द्र एम प्रोखोरोफ, संपा॰ (1969), "Дейвис Уильям Моррис", Большая советская энциклопедия, मास्को: The Great Russian Encyclopedia, OCLC 14476314
|access-date=
दिए जाने पर|url= भी दिया जाना चाहिए
(मदद), Wikidata Q17378135 - ↑ अलेक्सान्द्र एम प्रोखोरोफ, संपा॰ (1969), "Дейвис Уильям Моррис", Большая советская энциклопедия, मास्को: The Great Russian Encyclopedia, OCLC 14476314
|access-date=
दिए जाने पर|url= भी दिया जाना चाहिए
(मदद), Wikidata Q17378135