वार्ता:हिन्दू धर्म

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हिन्दुओं की साझी मान्यताएँ[संपादित करें]

हिन्दुओं के विभिन्न सम्प्रदाय (सनातनी, जैन, बौद्ध, नानकपंथी (सिख), कबीरपन्थी आदि) कुछ मौलिक आदारों पर समान (साझी) मान्यता रखते हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

(1) एक परमात्मा है जो इस जगत् का निर्माण करने वाला है और वर्तमान जगत् को एक अरब, सत्तानवे करोड़ वर्ष से चला रहा है।

(2) मनुष्य में एक तत्त्व जीवात्मा है जो कर्म करने में स्वतंत्र है। इसके कर्म करने की सामर्थ्य पर सीमा तो है। वह इसकी अल्प शक्ति और अल्प ज्ञान के कारण है। इसपर भी उस सीमा के भीतर यह कार्य करने में स्वतंत्र है।

(3) कर्म का फल इस जीवात्मा के हाथ में नहीं है। वह ऋतों (Natural laws) के अनुसार जीवात्मा को भुगतना पड़ता है।

(4) ये दोनों तत्त्व (परमात्मा था जीवात्मा) अनादि, अविनाशी हैं। एक असीम शक्ति और ज्ञान का स्वामी है और दूसरा अल्प शक्ति और ज्ञान का। अल्प ज्ञान वाला संसार के मोहजाल में फंस जाता है और बार-बार जन्म लेता है। इन जन्मों के लेने में दो प्रकार की गतियां हैं। एक ऊपर को अर्थात् निम्न कोटि के जन्तुओं से श्रेष्ठ कोटि के जन्तुओं की ओर और दूसरी उच्च कोटि के जन्तुओं से निम्न कोटि के जन्तुओं की ओर ले जाती है। ऊपर की गति का अन्त ब्रह्मधाम में है।

(5) प्राणी का शरीर और अन्य निर्जीव वस्तुएं प्रकृति की बनी हैं। दोनों आत्म तत्त्व प्रकृति से भिन्न हैं। प्रकृति चेतना और गति शून्य है।

(6) मानव जीवन में मनुष्य का स्तर उसके गुण, कर्म, स्वभाव के अनुसार होता है। एक परिवार में, एक जाति में अथवा एक राष्ट्र में एवं मनुष्य समाज में भी गुण, कर्म, स्वभाव से ही मनुष्य का मूल्यांकन किया जाता है।

(7) व्यवहार में यह सिद्धान्त है कि जैसा एक प्राणी अपने साथ व्यवहार चाहता है, वैसा वह दूसरों के साथ करे।

(8) सबके लिए व्यवहार की सांझी बात है—धैर्य, क्षमा, दया, मन पर नियंत्रण, चोरी न करना, शरीर और व्यवहार की शुद्धता, इन्द्रियों पर नियंत्रण, बुद्धि का प्रयोग, ज्ञान का संचय, सत्य (मन, वचन और कर्म से) व्यवहार और क्रोध न करना, ये दस लक्षण वाला धर्म माना जाता है।

(9) प्रत्येक व्यक्ति के लिए बुद्धि, तर्क और प्रकृतिक ऋतों (Natural laws) से सिद्ध बात ही माननीय है। यही व्यवहार श्रेष्ठ समझा जाता है।

--- उपरोक्त बातों को भी इस लेख में समुचित स्थान पर शामिल किया जाय। -- अनुनाद सिंहवार्ता १३:२५, ५ नवंबर २००९ (UTC)

"जैन, बौद्ध, नानकपंथी (सिख) हिन्दू धर्म के सम्प्रदाय है, यह कहाँ लिखा है, कृपया इस बारे में जानकारी दे| RightBKC (वार्ता) 08:38, 5 मार्च 2015 (UTC) RightBKC जी सहमत हूँ हिन्दू धर्म है न कि सम्प्रदाय दौनों प्रथक प्रथक विषय हैं . किसी भी धर्म के प्रादुर्भाव के बाद हुए आतंरिक परिवर्तनों को यदि मूल धर्म में शामिल नहीं किया जाता तो उसके प्रवर्तक एक पृथक स्वरुप में उसे अनुसरण कराते हैं . जिसे सम्प्रदाय कहा जा सकता है . जो बहुधा प्रादुर्भाव से मूलत: जुड़ा ही रहता है . MUKUL 21:44, 6 जुलाई 2015 (UTC)[उत्तर दें]

विलय अनुरोध[संपादित करें]

@Shubhamkanodia:इस पृष्ठ में {{में विलय|हिन्दु परम्परा}} साँचा लगाना थोड़ा ठीक नहीं लग रहा। हिन्दु परम्परा नामक पृष्ठ में कुछ भी सामग्री इस तरह की नहीं है जो इस पृष्ठ में विलय की जाये और इसी कारण से इतिहास विलय करने का भी कोई औचित्य नहीं है। मुझे लगता है कि हिन्दु परम्परा पृष्ठ को सीधा ही हिन्दू धर्म पर अनुप्रेषित कर देना चाहिए।☆★संजीव कुमार (✉✉) 13:49, 12 अप्रैल 2014 (UTC)[उत्तर दें]

@संजीव कुमार: मैंने पूरी सामग्री नहीं पढ़ी थी। अगर विलय करने लायक कोई तथ्य मौजूद नहीं हैं तो कृपया अनिप्रेषित कर दें। ░▒▓शुभम कनोडिया वार्ता 10:55, 14 अप्रैल 2014 (UTC)[उत्तर दें]
हिन्दु परम्परा नामक पृष्ठ की सम्पूर्ण सामग्री सन्दर्भरहित होने के कारण बिना विलय के ही अनुप्रेषित किया गया।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:20, 14 अप्रैल 2014 (UTC)[उत्तर दें]

हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है..[संपादित करें]

हिन्दू धर्म १.९४ अरब साल पुराना है....l लॉर्ड मकले ने भारतीयों को ब्रिटिश गुलाम बनाने हेतु सीमित वैज्ञानिकता और स्वघोषित अर्थों विश्लेषण का उपयोग कर कुछ हजार साल पुराना ही बताने का प्रयास किया जिसमें हिन्दू काल गणना time cycle पंचांग इत्यादि को जानबूझकर छोड़ दिया गया और हमेशा नष्ट होने वाली शहरी सभ्यताओं के खुदाई excavation में मिले अवशेषों को अति प्राचीन धर्म की प्रारंभिक सभ्यताओं से जोड़ दिया गया। अब Mexico रूस इत्यादि देशों में सूर्य गणपति और अन्य मंदिर खुदाई में मिल रहे जो हजारो साल पुराने हैं और हिन्दू धर्म के अति प्राचीन संपूर्ण पृथ्वी पर व्याप्त होने के प्रमाण है।

SANATAN DHARM TREE

(ब्रह्म ही परम तत्त्व है (इसे त्रिमूर्ति के देवता ब्रह्मा से भ्रमित न करें)। वो ही जगत का सार है, जगत की आत्मा है। वो विश्व का आधार है। उसी से विश्व की उत्पत्ति होती है और विश्व नष्ट होने पर उसी में विलीन हो जाता है। ब्रह्म एक और सिर्फ़ एक ही है। वो विश्वातीत भी है और विश्व के परे भी। वही परम सत्य, सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ है। वो कालातीत, नित्य और शाश्वत है। वही परम ज्ञान है। परब्रह्म असीम, अनन्त और रूप-शरीर विहीन है। वो सभी गुणों से भी परे है, पर उसमें अनन्त सत्य, अनन्त चित् और अनन्त आनन्द है। ब्रह्म की पूजा नहीं की जाती है, क्योंकि वो पूजा से परे और अनिर्वचनीय है। उसका ध्यान किया जाता है। प्रणव ॐ (ओम्) ब्रह्मवाक्य है, जिसे सभी हिन्दू परम पवित्र शब्द मानते हैं। )

परम ब्रह्म / परमेश्वर /SUPREME GOD


आदियोगी/ रूद्र / शिव

सप्त ऋषि (गुरु शिष्य परम्परा शुरुआत) कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ इस श्लोक में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वसिष्ठ ऋषियों के नाम बताए गए हैं।


LORD SRI RAM LORD SRI KRISHNA समय समय पर इसी गुरु शिष्य परंपरा के द्वारा लोगों का जीवन सरल और मर्यादित बनाने की कोशिश की जाती रही है | यही सनातन धर्म है | जो सरल है, वही सत्य है | · Beware of Complicated Philosophy. 2409:4043:80A:179E:79B3:8B40:589A:6A1D (वार्ता) 07:09, 9 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]

सनातन धर्म[संपादित करें]

कृपया हिंदू शब्द की जगह सनातन शब्द का प्रयोग करे, हिंदू मध्य एशिया के व्यापारी द्वार सिंधु नदी के पार रहने वाले लोग को कहा जाता था। हिंदू कोई धर्म नही है यह जीवन जीने का तरीका है जबकि सनातन धर्म को ही हिंदू धर्म बोल कर संबोधित किया जाता है। 2409:4051:2D9F:B561:46A1:1AE8:36F3:CC49 (वार्ता) 13:18, 29 दिसम्बर 2022 (UTC)[उत्तर दें]

दुनिया सबसे प्राचीन धर्म।[संपादित करें]

ज्ञान से विकास हैं फिर विस्तार हैं MadxArts (वार्ता) 23:20, 19 जनवरी 2023 (UTC)[उत्तर दें]