वार्ता:दिनेश सिंह

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मैं देख रहा हूं कि इस लेख में पर्याप्त संख्या में उद्धरण और सन्दर्भ हैं। अत: 'असन्दर्भित' आदि टैग इस लेख से हटाये जाने चाहिये। इसके अलावा इसकी तटस्थता पर प्रश्न करने वाले साफ-साफ शब्दों में अपनी बात लिखें और वह वाक्य या वाक्य-समूह ठीक-ठीक बताएँ जहाँ उन्हें तटस्थता की कमी दिख रही है। -- अनुनाद सिंहवार्ता 05:02, 8 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें

कृपया इन बिन्दुओं पर विचार करने का कष्ट करें-[संपादित करें]

  • मान्यवर
  • सदर नमस्कार
  • कृपया इन बिन्दुओं पर विचार करने का कष्ट करें-
  • १. यह जीवित व्यक्ति की जीवनी नहीं है। २ जुलाई की शाम प्रबुद्ध नवगीतकार एवं नये-पुराने पत्रिका के यशश्वी सम्पादक दिनेश सिंह का निधन उनके पैतृक गाँव गौरारूपई में हो गया। इससे पता चलता है की जिन महानुभाव ने यह नोट लगाया है उन्होंने यह लेख कितना पढ़ा है? जो बिना पढ़े ऐसा कार्य करते हैं उनके विवेक पर तरस आता है.
  • २. इसमें श्रोत और सन्दर्भ भी पर्याप्त दिए गए हैं.
  • ३. इस लेख को तटस्थता जाँच हेतु नामित किया गया है। कृपया तटस्थता को परिभाषित करते हुए इस लेख में उन बिन्दुओं को बताएं जो तटस्थता जांच के लिए बाध्य करते हैं.
  • ४. कृपया अपने बारे में बताये ताकि पता चल सके की आपको गीत-नवगीत के साहित्यकारों के बारे में कितना ज्ञान है?
  • ५. इस लेख से या तो उद्धरण अनुपस्थित हैं या उनके स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया अपने भ्रम का निवारण करते हुए - निश्चित बात कहें.
  • ६. स्रोतहीन जीवित व्यक्तियों की जीवनियाँ, लेख जिनमें जुलाई 2012 से दृष्टिकोण संबंधी विवाद हैं- यह कहाँ तक उचित है- कृपया देखने का कष्ट करें।.अवनीश सिंह चौहान (वार्ता) 07:02, 8 जुलाई 2012 (UTC) अवनीश सिंह चौहान, वार्ताउत्तर दें
दिनेश सिंह लेख में अब पर्याप्त सन्दर्भ लगाये जा चुके हैं--डा० व्योम 08:34, 8 जुलाई 2012 (UTC)

श्री अवनीश और डॉ व्योम की बातों का जबाब दें[संपादित करें]

जिन सज्जनों को अब भी इस लेख में सन्दर्भ, उल्लेखनीयता, तथस्टता आदि से सम्बन्धित शंका है वे कृपया अपने विचार नये सिरे से स्पष्ट रूप से लिखें (जैसे किस वाक्य के बारे में तथस्टता संदेहास्पद लग रही है आदि)। यदि इस तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो इस लेख में लगे सारे टैग पाँच दिन के पश्चात हटा दिये जाँएंगे।-- अनुनाद सिंहवार्ता 13:00, 9 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें

लेख में कॉपीराइट उल्लंघन[संपादित करें]

मैं इस लेख में कॉपीराइट उल्लंघन के विषय में चर्चा शुरू करना चाहता हूँ चूँकि इसे पहले बिल जी ने कॉपीराइट उल्लंघन के कारण हटाया था, फिर अनिरुद्ध जी ने इसे पुनर्स्थापित किया था।

बिल जी ने जो अवतरण हटाया था, अवतरण 1870377, उसमें काफ़ी सामग्री http://www.brandbihar.com/hindi/literature/kavya/dinesh_singh.html से ली गई थी जो स्पष्ट कॉपीराइट उल्लंघन थी। अतः मेरे विचार में उस अवतरण को हटाना ठीक था। उसके पश्चात अनिरुद्ध जी ने लेख को पुनर्स्थापित कर के उसमें से काफ़ी कॉपीराइट उल्लंघन सामग्री हटा दी है, परंतु कुछ सामग्री अभी भी ऐसी है जो शायद कॉपीराइट उल्लंघन में आती है। इनमें मुख्यतः निम्न वाक्य हैं:

  • इनकी पहली कविता अज्ञेय द्वारा संपादित 'नया प्रतीक' में प्रकाशित हुई थी।
  • 'धर्मयुग', 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' तथा देश की लगभग सभी बड़ी-छोटी पत्र-पत्रिकाओं में इनके गीत, नवगीत तथा छन्दमुक्त कविताएँ, रिपोर्ताज, ललित निबंध तथा समीक्षाएँ प्रकाशित हुए हैं।
  • इनके गीत 'नवगीत दशक' तथा 'नवगीत अर्द्धशती' के नवगीतकार तथा अनेक चर्चित और प्रतिष्ठित समवेत कविता संकलनों में शामिल किए गए हैं।
  • इनके प्रेम गीत प्रेम और प्रकृति को कलात्मकता के साथ प्रस्तुत करते हैं
  • इनके गीतों में तत्‍कालीन गाँव-समाज में हो रहे आमूल-चूल परिवर्तन और भारतीय संस्कृति में रचे-बसे लोगों की भिन्‍न-भिन्‍न मनःस्‍थिति पूरी लयात्मकता के साथ व्यक्त हुए हैं।

चूँकि ये वाक्य मूल पाठ से लगभग हूबहू मेल खाते हैं, अतः मेरे विचार में ये कॉपीराइट उल्लंघन की श्रेणी में आते हैं और इन्हें लेख से हटाया जाना चाहिये। ये जानकारी लेख में अपने शब्दों में लिखी जा सकती है, परंतु इस रूप में ये कॉपीराइट उल्लंघन है।

मेरे विचार में उपयुक्त होगा कि वर्तमान रूप में लेख से ये वाक्य हटा दिये जाएँ, और पुराने कॉपीराइट उल्लंघन वाले अवतरण छुपा दिये जाएँ। इस विषय पर अन्य सदस्यों के विचारों का स्वागत है।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 21:50, 22 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें

सिद्धार्थ जी, वाक्य-स्तर पर कॉपीराइट उल्लंघन की स्कैनिंग मुझे बहुत अटपटी लग रही है। क्या इसकी कोई सीमा है? (कोई शब्द-स्तर पर करने लगे तो? मान लीजिये कोई कहे कि इस लेख में प्रयुक्त ९५% शब्द वही हैं जो अमुक लेख में आये हैं।) -- अनुनाद सिंहवार्ता 03:56, 23 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें
  • घई साहब, सादर नमस्कार
  • १.इन्हें लेख से हटाया जाना चाहिये
  • २. ये कॉपीराइट उल्लंघन की श्रेणी में आते हैं
  • ३. ये जानकारी लेख में अपने शब्दों में लिखी जा सकती है
  • ४.ये कॉपीराइट उल्लंघन है।
  • आपने अपने कथन में उपर्युक्त वाक्यों का प्रयोग किया है . मैंने इन वाक्यों को कई जगह पढ़ा है. हूबहू. ऐसी स्थिति में आप अपने वाक्य और अपने शब्दों का प्रयोग करेंगे तो ज्यादा ठीक लगेगा. में इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आप वकालत करते हैं कि वाक्य अपने शब्दों में लिखे जाने चाहिए. जब आप जैसे महान लोग अपने शब्दों का ही प्रयोग करेंगे तो मुझ जैसे लोगों को काफ़ी प्रेरणा मिलेगी. एक निवेदन और. आपने अपना शब्द कोश भी बनाया होगा..हो सके तो एक कोपी मुझे भी उपलब्ध करा देंगे. बाज़ार में जो शब्द कोश हैं वो तो पढ़ने को मिल जाते हैं..अभी तक आपके शब्दों (आपके द्वारा गढ़े हुए शब्दों से) से परिचय नहीं बना है.. शायद यह मेरा दुर्भाग्य ही रहा होगा. अवनीश सिंह चौहान (वार्ता) 09:47, 23 जुलाई 2012 (UTC) अवनीश सिंह चौहानउत्तर दें
अनुनाद जी, मैं भी मानता हूँ कि वाक्य स्तर पर कॉपीराइट उल्लंघन स्कैनिंग एक अटपटी चीज़ है। आम तौर पर इसकी ना ही आवश्यकता होती है, ना ही कोई तर्क (चूँकि एक वाक्य कॉपी करना आम तौर पर कॉपीराइट उल्लंघन नहीं होता है)। जहाँ तक मेरी जानकारी है, कॉपीराइट उल्लंघन तभी होता है जब इतनी सामग्री कॉपी की जाए जिससे मूल रचनाकार को ठेस पहुँचती हो। उदाहरण: यदि एक उपन्यास में से दो लाइनें कॉपी कर ली जाएँ तो वह (मेरी जानकारी अनुसार) कॉपीराइट उल्लंघन नहीं होगा, बशर्ते उस उपन्यास को संदर्भ के तौर पर दिखाया जाए।
परंतु यहाँ पर जिस प्रक्रिया से लेख बना है, वह गलत तरीका है। यहाँ पर पहले एक कॉपीराइट-सुरक्षित लेख को कॉपी-पेस्ट किया गया और उसके बाद उसकी भाषा में थोड़े-बहुत बदलाव किये गए। इससे इस समय यह लेख एक माइने में मूल लेख का "डेरिवेटिव वर्क" हो गया। इसका अर्थ होगा कि इस "डेरिवेटिव वर्क" का कॉपीराइट भी मूल लेखक के पास ही रहेगा, अतः लेख कॉपीराइट उल्लंघन माना जा सकता है।
यदि यह लेख कॉपी-पेस्ट में सुधार करने के बजाए अनिरुद्ध जी ने शुरू से अपने शब्दों में लिखा होता तो इसमें वाक्य-स्तर पर जाँच का प्रश्न ही नहीं उठता। परंतु डेरिवेटिव वर्क का प्रश्न होने के कारण यह करना मुझे आवश्यक प्रतीत होता है।
मेरे विचार से यदि वे भाग हटा दिये जाएँ (अथवा उन्हें अपने शब्दों में लिख दिया जाए) तो लेख से कॉपीराइट उल्लंघन समाप्त हो जाएगा और पुराने कॉपीराइट-उल्लंघन वाले अवतरणों को छुपाकर इस लेख को रखा जा सकता है।
अवनीश जी, आपसे अनुरोध है कि इस चर्चा को अन्यथा ना लें। मेरा प्रयत्न केवल यह सुनिश्चित करना है कि इस लेख में कोई कॉपीराइट उल्लंघन ना हो।
मुझे इन वाक्यों को बदलकर अपने शब्दों में लिखने में आपत्ति नहीं है, परंतु मैं चर्चा से यह सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि इस लेख में जो कॉपीराइट उल्लंघन हुआ है/था, उसे संभालने के लिये इतना काफ़ी है या नहीं।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 15:57, 23 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें
अवनीश जी के संपादन के पश्चात लेख अपने वर्तमान अवतरण में कॉपीराइट उल्लंघन की श्रेणी में नहीं आता। परन्तु सिद्धार्थ जी ने जो समस्या बताई थी उसे भी क्लोज़ पैराफ्रेज़िंग कहा जाता है और ऐसा करने की भी अनुमति नहीं है। अगर आप अपने शब्दों में कभी कुछ लिखते हैं तो उसका किसी दूसरे पाठ से मिल पाना बहुत मुश्किल होता है। परन्तु अगर आप किसी के पाठ में बदलाव करते हैं तो बहुत अधिक सम्भावना रहती है कि दोनों पाठों में समानता दिखे, और इसे भी कॉपीराइट उल्लंघन माना जाता है। विकिपीडिया पर इसे पूरी तरह निषेध किया हुआ है जिससे विकिमीडिया फाउंडेशन को किसी कानूनी मुकदमे में न उलझना पड़े। इसलिए इस समस्या को कभी हल्के में न लें, क्योंकि समय-समय पर इसने कई विकिपीडिया परियोजनाओं पर समस्याएँ उत्पन्न की हैं। मुख्यतः सभी स्कूलों में विद्यार्थियों द्वारा लिखे जाने वाले निबंधों को भी इन मानकों पर खरा उतरना पड़ता है।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 03:25, 25 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें

कॉपीराइट उल्लंघन सामग्री हटा दी है[संपादित करें]

अब कोई आपत्ति नहीं[संपादित करें]

यह चर्चा आरम्भ हुए पर्याप्त समय बीत चुका है। सभी चर्चाओं को पढ़ने के बाद लगता है कि अब कोई आपत्ति शेष नहीं है। इसलिये इस लेख पर लगे टैग हटा रहा हूँ।-- अनुनाद सिंहवार्ता 07:15, 29 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें

Anunad, since by now it is very clear to most of us as to why there is no point in trying to explain things to you, I'm only informing you that your edits have been reverted. Others, more reasonable than you, should be able to see why? लवी सिंघल (वार्ता) 11:56, 29 जुलाई 2012 (UTC)उत्तर दें