लोककला
लोककला | |
---|---|
![]() प्यू ग्रुप ऑफ स्टाफर्डशायर आंकड़े, इंग्लैंड, सी। |
लोक कला की सामान्य परिभाषा:- आम इंसान के द्वारा बिना किसी ताम-झाम व प्रदर्शन से जब स्वाभाविक कलाकारी को चित्र, संगीत, नृत्य आदि के रूप में पेश किया जाता है, तो वह लोककला कहलाती हैं। भारत की अनेक जातियों व जनजातियों में पीढी दर पीढी चली आ रही पारंपरिक कलाओं को लोककला कहते हैं। इनमें से कुछ आधुनिक काल में भी बहुत लोकप्रिय हैं जैसे मधुबनी और कुछ लगभग मृतप्राय जैसे जादोपटिया।
कलमकारी, कांगड़ा, गोंड, चित्तर, तंजावुर, थंगक, पातचित्र, पिछवई, पिथोरा चित्रकला, फड़, बाटिक, मधुबनी, यमुनाघाट तथा वरली आदि भारत की प्रमुख लोक कलाएँ हैं।
रामायण, महाभारत एवं पौराणिक गाथाओंका लोककला मंचन
[संपादित करें]भारतीय उपखंड मे रामायण, महाभारत एवं पौराणिक गाथाओंका नाट्यपूर्ण लोककला मंचन कि प्राचीन परंपरा रही है।चित्र कथी, कठपुतली[1] एकलपात्र नाट्य गान महाराष्ट्र मे किर्तन, उत्तरी भारत मे राम लीला, का प्रयोग होता आ रहा है। कुछ कलाएं किसी मात्रामे आज भी मंचित कि जाती है तो बडे पैमानेपर बहुत सारी कलांए लुप्त होने के कगारपर है।
पश्चिमी भारतमे केंद्रशासित प्रदेश दादरा नगर हवेली मे गर्मीके दिनोकी रात्रियोँमे पौराणिक कथा एवम रामायण महाभारत आधारीत 'भावड़ा मुखौटा नृत्य ' का मंचन किया जाता हैं। [2]
भारतके दक्षिणी राज्य केरलमे ओनम त्योहारके प्रसंगमे वेलान समुदाय के लोग 'नोक्कु विद्या पावाकाली' नामक कठपुतली जैसी लोककला का मंचन किया जाता है। जिसमे कलाकार अपने होठोपर छोटी लठपर राम एवम रावण की कठपुतलि सम्हालेहुए रामायण गीतोपर आधारीत मंचन किया जाता है। इस कला के माहीर कलाकार भी कम होते चले गए और यह कला लुप्त होने के कगारपर है।[3]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- लोकरंग (प्रीतिमा वत्स का हिन्दी चिट्ठा)
- अवधीलोक
- बुन्देलीलोक
संदर्भ
[संपादित करें]
![]() | यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
- ↑ Sep 10, TNN | tnn | Updated:; 2019; Ist, 4:42. "City to witness traditional string puppetry on Sept 14 | Coimbatore News - Times of India". The Times of India (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2019-09-10.
{{cite web}}
:|last2=
has numeric name (help)CS1 maint: extra punctuation (link) CS1 maint: numeric names: authors list (link) - ↑ https://web.archive.org/web/20190921052326/https://creativeyatra.com/reviews/bhairavi-modi-opening-a-window-on-the-myriad-colours-of-dangs/. Archived from the original on 21 सितंबर 2019.
{{cite web}}
: Cite has empty unknown parameter:|dead-url=
(help); Missing or empty|title=
(help) - ↑ Sep 10, T. C. Sreemol | tnn | Updated:; 2019; Ist, 4:09. "They are lone preservers of a dying art form | Kochi News - Times of India". The Times of India (in अंग्रेज़ी). Archived from the original on 10 सितंबर 2019. Retrieved 2019-09-10.
{{cite web}}
:|last2=
has numeric name (help)CS1 maint: extra punctuation (link) CS1 maint: numeric names: authors list (link)