राम नारायण सिंह
बाबू राम नारायण सिंह (9 दिसंबर 1885 -- १९६४) भारत के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता थे। स्वतंत्रता संग्राम में तथा झारखण्ड अलग राज्य के गठन में इनका योगदान अतुलनीय हैं। वे भारतीय संविधान सभा के मसौदा समिति के सदस्य भी थे जिसका गठन डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में हुआ था।[1]
बाबू राम नारायण सिंह का जन्म 9 दिसंबर 1885 में बिहार के चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड के तेतरिया गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम भोली सिंह था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा तेतरिया के विद्यालय में हुई थी इसके बाद आगे की शिक्षा इन्होने हजारीबाग के मिडिल वर्नाक्युलर स्कूल से पूर्ण की। स्नातक का अध्ययन सेंट जेवियर्स कॉलेज कलकत्ता से किया और कानून की डिग्री पूर्ण की।
बाबू राम नारायण सिंह और उनके भाई सुखलाल सिंह चतरा के शुरुआती कांग्रेस कार्यकर्ताओं में से थे। इन्होने कृष्ण बल्लभ सहाय, राज बल्लभ सिंह, कोडरमा के बद्री सिंह जैसे अन्य युवा कांग्रेस नेताओं के साथ असहयोग आन्दोलन में नेतृत्व किया था। आपने खादी का प्रचार किया और सामाजिक सुधार आन्दोलन के लिए ओपान मांझी, बंगामा मंजजी जैसे संथाल नेताओं के साथ मिलकर काम किया। वर्ष 1920-21 चतरा जिले से बाबू राम नारायण सिंह ने भारत छोड़ो आन्दोलन का नेतृत्व किया था। भूमिज विद्रोह के महानायक वीर शहीद राम नारायण सिंह का 234वां जयंती समारोह मनाया गया।[2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "राम नारायण सिंह का जीवन परिचय". मूल से 2 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मई 2019.
- ↑ "जयंती पर वीर शहीद राम नारायण सिंह को किया याद".