राकेश शर्मा

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राकेश शर्मा
राकेश शर्मा
अंतरकॉस्मोस अंतरिक्ष यात्री
राष्ट्रीयता भारतीय
जन्म १३ जनवरी १९४९
लुधियाना, पंजाब, भारत
अन्य व्यवसाय परीक्षण पायलट
पद स्क्वाड्रन लीडर (विंग कमांडर सेवानिवृत्त), भारतीय वायुसेना
अंतरिक्ष में बीता समय ७ दिन २१ घंटे ४० मिनट
चयन १९८२
मिशन सोयूज़ टी-११


राकेश शर्मा भारत के प्रथम और विश्व के 138 वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब राज्य के पटियाला जिले में हुआ था।

राकेश बचपन से ही विज्ञान में काफी रूचि रखते थें। बिगड़ी चीजों को बनाना और इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर बारीकी से नजर रखना उनकी आदत थी।

राकेश जब बड़े हुए तो आसमान में उड़ते हवाई जहाज को तब तक देखा करते थे जब तक वह उनकी आंखो से ओझल ना हो जाए। जल्द ही राकेश के मन में आसमान में उड़ने की तमन्ना जाग गई फिर वह उसी ओर लग गए।

पटियाला के एक हिंदू गौड़ ब्राह्मण परिवार में जन्में राकेश ने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।

किस्मत ने लिया यू-टर्न 1966 में एनडीए पास कर इंडियन एयर फोर्स कैडेट बने राकेश शर्मा ने 1970 में भारतीय वायु सेना को ज्वाइन कर लिया। फिर यहीं से इनकी किस्मत ने यू-टर्न लिया।

मात्र 21 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना में शामिल होने का बाद राकेश आगे बढ़ते गए।

पाकिस्तान से युद्ध के बाद चर्चा में आए 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान राकेश शर्मा ने अपने विमान "मिग एअर क्रॉफ्ट" से महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। इसी युद्ध के बाद से राकेश शर्मा चर्चा में आए और लोगों ने उनकी योग्यता की जमकर तारीफ की। शर्मा ने दिखा दिया था कि कठिन परिस्थितियों में भी किस तरह शानदार काम किया जा सकता है।

आठ दिन के लिए अंतरिक्ष में रहे 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकस्मिक कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। ये उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमानचालक थे।

3 अप्रैल 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्षयात्रियों के साथ सोयूज टी-11 में राकेश शर्मा को लॉन्च किया गया। इस उड़ान में और साल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरूत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास किया।

वे अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले ओर विश्व के 138वे व्यक्ति थे।

02 अप्रैल, 1984 ऐसी ही एक तारीख है, जब कोई भारतीय पहली बार अंतरिक्ष में जाने में सफल रहा। भारत के खाते में यह अनुपम उपलब्धि दर्ज कराने का श्रेय जाता है विंग कमांडर राकेश शर्मा को। 02 अप्रैल, 1984 को वह तारीख आ ही गई, जब शर्मा को अपने तीन सोवियत साथियों के साथ अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरनी थी। तत्कालीन सोवियत संघ के बैकानूर से उनके सोयुज टी-11 अंतरिक्षयान के उड़ान भरते ही देश के लोगों की धड़कनें बढ़ गईं। आखिरकार अंतरिक्ष में दाखिल हुए। उन्होंने कुल सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष में बिताए और सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौटे। राकेश शर्मा भारत के प्रथम और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री थे। उनकी उपलब्धि से प्रेरित होकर ही भारत सरकार ने उन्हें 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया। सोवियत सरकार ने भी उन्हें 'हीरो ऑफ सोवियत यूनियन' सम्मान से नवाजा।

सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा उनकी अन्तरिक्ष उड़ान के दौरान भारत की तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखता है ? राकेश शर्मा ने उत्तर दिया- "सारे जहाँ से अच्छा"।

धरती से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह सवाल और अंतरिक्ष में रूसी अंतरिक्ष यान से भारत के अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के इस जवाब ने हर हिन्दुस्तानी को रोमांचित कर दिया था।

अशोक चक्र से सम्मानित भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया। विंग कमांडर के पद से सेवा-निवृत्त होने पर राकेश शर्मा ने हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड में परीक्षण विमानचालक के रूप में काम किया।

नवम्बर 2006 में इन्होंने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक समिति में भाग लिया जिसने एक नए भारतीय अन्तरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को स्वीकृति दी। पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे शर्मा बचपन से ही आकाश की ओर टकटकी लगाए रहते थे। आसमान में उड़़ते विमान पर उनकी नजरें तब तक टिकी रहती थीं, जब तक कि वह आंखों से ओझल न हो जाए। अनंत आकाश के प्रति यही आकर्षण उन्हें भारतीय वायुसेना में ले आया। वर्ष 1966 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) का हिस्सा बने शर्मा का 1970 में भारतीय वायुसेना से जुड़ाव हो गया। इस प्रकार वह 21 साल की उम्र में भारतीय वायु सेना के पायलट बन गए। वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में देश उनकी प्रतिभा और कौशल से परिचित हुआ। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उनकी उपलब्धियों ने तमाम भारतीय युवाओं को अंतरिक्ष के क्षेत्र में दिलचस्पी जगाने का काम किया। कालांतर में कल्पना चावला से लेकर सुनीता विलियम्स जैसे भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्रियों के नाम उभरे, जो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अभियानों का हिस्सा बने। भविष्य में भी ऐसे तमाम नाम उभरेंगे, लेकिन अंतरिक्ष को लेकर भारतीयों के जेहन में हमेशा जो पहला नाम उभरेगा, वह राकेश शर्मा का ही होगा। Team VC5 NEWS आपको सलूट करती है

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सन्दर्भ[संपादित करें]