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रणधीर प्रसाद वर्मा

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रणधीर प्रसाद वर्मा

रणधीर प्रसाद वर्मा भारतीय पुलिस अफसर थे जिनका धनबाद में एक बैंक डकैती को रोकते समय निधन हो गया था। बैंक लूटने गए अपराधियों का संबंध पंजाब में पूर्व में चल रहे खालिस्तानी आंदोलन से था। उनकी संख्या तीन थी। एक आतंकवादी तो रणधीर वर्मा की गोली से मारे गए थे। बाकी दो आतंकवादियों ने पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। उनके पास से मिले दस्तावेजों से उनके आतंकवादी होने का पता चला था। रणधीर वर्मा को अदम्य साहस और वीरता के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उनके सम्मान में सन् २००४ में स्मारक डाक टिकट भी जारी किया था।[1]

उनका जन्म बिहार के सुपौल जिले (पूर्व सहरसा जिला) के जगतपुर नामक गाँव में हुआ। उनकी शिक्षा सेंट जॉन हाई स्कूल तथा पटना कॉलेज में हुई। वो १९७४ में भारतीय पुलिस सेवा से जुड़े। पुलिस अफसर के रूप में उन्होंने विभिन्न आपराधिक गिरोहों का सफाया किया।

धनबाद में वो पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे उसी समय ३ जनवरी १९९१ को बैंक ऑफ़ इंडिया की की हीरापुर शाखा में एके 47 स्वचालित राइफलों से लैस आतंकवादियों के एक गिरोह द्वारा डकैती का प्रयास को अकेले विफल कर दिया था। इस प्रयास में उन्होंने वीरगति पायी थी। ।[2][3]


उनके पिता बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। शहीद वर्मा की शादी न्यायिक सेवा के अधिकारी जस्टिस रामनन्दन प्रसाद की द्वितीय पुत्री रीता वर्मा के साथ हुई थी। उनकी शहादत के बाद भाजपा ने रीता वर्मा को धनबाद संसदीय क्षेत्र से चुनावी दंगल में उतारा था। रणधीर वर्मा की लोकप्रियता रंग लाई और रीता वर्मा 1991 के मध्यावधि चुनाव में विजयी रहीं। लगातार चार बार सांसद निर्वाचित होने वाली रीता वर्मा भारत सरकार में मंत्री भी रहीं। शहीद रणधीर वर्मा के दो पुत्र हैं। प्रथम पुत्र दिल्ली आईआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद अमरीका स्थित मैकेंजी में सलाहकार हैं। द्वितीय पुत्र नेशनल लॉ स्कूल यूनिर्वसिटी, बंगलुरू से विधि स्नातक हैं और सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करते हैं।

रणधीर वर्मा की शहादत के बाद बिहार सरकार ने धनबाद स्थित गोल्फ ग्राउंड का नामकरण रणधीर वर्मा स्टेडियम कर दिया था। अब इस स्टेडियम को आधुनिक लुक दिया जा चुका है। धनबाद शहर का यह एकमात्र बड़ा स्टेडियम है। कोहिनुर मैदान, रेलवे मैदान, जिला परिषद् मैदान जैसे अन्य खेल के स्थान धनबाद में मौजूद है।

रणधीर वर्मा चौक रणधीर वर्मा चौक धनबाद शहर के बीचो-बीच जिला मुख्यालय से कोई 500 गज की दूरी पर है। इसी चौक के पास रणधीर वर्मा शहीद हो गए थे। इस चौक पर शहीद रणधीर वर्मा की आदमकद प्रतिमा है, जहां प्रत्येक वर्ष रणधीर वर्मा मेमोरियल सोसाइटी की ओर से श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। वरिष्ठ पत्रकार श्री किशोर कुमार इस संस्था के अध्यक्ष हैं। यह प्रतिमा धनबाद शहर में आकर्षण का केंद्र है।


सन्दर्भ

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  1. "COMMEMORATIVE POSTAGE STAMPS IN HONOUR OF ASHOK CHAKRA WINNERS NEERJA BHANOT AND RANDHIR PRASAD VERMA" (in अंग्रेज़ी). ८ अक्टूबर २००४. Archived from the original on ३० अक्टूबर २००४. {{cite web}}: Check date values in: |date= and |archivedate= (help)
  2. "1991 robbery: Dhanbad SP remembered for his courage" [१९९१ डकैती: धनबाद एसपी को उनके पराक्रम के लिए याद किया गया] (in अंग्रेज़ी). द टाइम्स ऑफ़ इंडिया. ४ जनवरी २०१३. Archived from the original on 21 जनवरी 2017. Retrieved ११ जून २०१५. {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= and |date= (help)
  3. "अकेले ही कूद गये थे जंग के मैदान में, अपनी जान गवा कर बचाई कई जिंदगी". दैनिक भास्कर. ५ जनवरी २०१४. Archived from the original on 12 जून 2015. Retrieved ११ जून २०१५. {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= and |date= (help)