अशोक चक्र (प्रतीक)
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सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर प्रायः एक चक्र (पहिया) बना हुआ है। इसे अशोक चक्र कहते हैं। यह चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है। उदाहरण के लिये सारनाथ स्थित सिंह-चतुर्मुख (लायन कैपिटल) एवं अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र विद्यमान है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को स्थान दिया गया है।
अशोक चक्र में चौबीस तीलियाँ (स्पोक्स्) हैं वे मनुष्य के अविद्या से दु:ख बारह तीलियां और दु:ख से निर्वाण बारह तीलियां (बुद्धत्व अर्थात् अरहंत) की अवस्थाओं का प्रतिक है।
इतिहास
[संपादित करें]अशोक चक्र, सम्राट अशोक के समय से शिल्प कलाओ के माध्यम से अंकित किया गया था। धर्म-चक्र का अर्थ भगवन बुद्ध ने अपने अनेक प्रवचनों में अविद्या से दू:ख तक बारह अवस्थाये और दू:ख से निर्वाण (जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति) की बारह अवस्थाये बताई है।[उद्धरण चाहिए]