मिर्ज़ापुर
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मिर्ज़ापुर | |||||
— शहर — | |||||
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समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||
देश | ![]() |
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राज्य | उत्तर प्रदेश | ||||
ज़िला | मिर्ज़ापुर | ||||
जनसंख्या | 21,16,042 (2001 तक [update]) | ||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• 80 मीटर (262 फी॰) |
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विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: mirzapur.nic.in/ |
निर्देशांक: 25°09′N 82°35′E / 25.15°N 82.58°E मिर्ज़ापुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का शहर है। यह मिर्ज़ापुर जिला का मुख्यालय है। पर्यटन की दृष्टि से मिर्जापुर काफी महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। मिर्जापुर स्थित विन्ध्याचल धाम भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके अतिरिक्त, यह जिला में सीता कुण्ड, लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब, टंडा जलप्रपात, विन्धाम झरना, तारकेश्वर महादेव, महा त्रिकोण, शिव पुर, चुनार किला, गुरूद्वारा गुरू दा बाघ और रामेश्वर आदि के लिए प्रसिद्ध है। मिर्जापुर वाराणसी जिले के उत्तर, सोनभद्र जिले के दक्षिण और इलाहाबाद जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। भारत का अंतराष्ट्रीय मानक समय इलाहाबाद जिले के नैनी के स्थान से लिया गया है मिर्जापुर "लालस्टोन" के लिये बहुत विख्यात है प्राचीन समय में इस स्टोन का मौर्य वन्श के राजा सम्राट् अशोक के द्वारा बौद्ध स्तुप को एवं अशोक स्तम्भ(वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह ) को बनाने में किया था मिर्जापुर के लोगों की भाषा हिन्दी एवं भोजपुरी है
अनुक्रम
नाम[संपादित करें]
जनपद के नाम को लेकर कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। कुछ प्राचीन लोककथाओं के अनुसार विंध्याचल, अरावली एवं नीलगिरी से घिरे हुए क्षेत्र को विंध्यक्षेत्र के नाम से जाना जाता है। समयांतराल विंध्यक्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों का अलग अलग नामकरण हुआ। जैसे की मांडा के समीप के क्षेत्र पम्पापुर के नाम से, वर्तमान का अमरावती क्षेत्र गिरिजापुर के नाम से तथा आसपास का क्षेत्र सप्त सागर के नाम से विख्यात हुआ।
17वीं शताब्दी में जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में तेज़ी से अपने पाँव पसार रही थी, कलकत्ता से लेकर दिल्ली तक कंपनी का कारोबार फैलता ही जा रहा था तब कंपनी के अफसरों को मध्य भारत में भी अपना व्यापार फ़ैलाने की आवश्यकता महसूस हुयी इसी सन्दर्भ अफसरों ने गंगा के रास्ते में पड़ने वाले लगभग सभी नगरीय क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया। तमाम क्षेत्रों में विंध्याचल एवं गंगा की बाँहों में फैला विंध्यक्षेत्र अंग्रेजी अफसरों को भा गया। 1735 ईसवी में लार्ड मर्क्यूरियस वेलेस्ले नाम के एक अँगरेज़ अफसर ने इस क्षेत्र की स्थापना मिर्ज़ापुर नाम से की।
मिर्ज़ा शब्द अंग्रेजी शब्दकोश में 1595 ईसवी से जुड़ा जिसका शाब्दिक अर्थ है "राजाओ का क्षेत्र" इस शब्द की व्युत्पत्ति अमीर (English: Emir) एवं ज़ाद (Persian) को मिलाकर बनाए शब्द अमीरजादा से हुयी। पर्शिया में अमीरजादा के लिए एक शब्द मोरजा भी है। अतः अंग्रेज़ों ने अपने क्षेत्र विस्तार के समय मिर्ज़ा शब्द को उपाधि की तरह उपयोग किया तथा क्षेत्र का नाम "मिर्ज़ापुर" रख जिसका अर्थ हुआ राजाओं का क्षेत्र।
कुछ स्थानों पर अपभ्रंश के रूप में "मीरजापुर" नाम भी चलन में है।
भूगोल[संपादित करें]
मिर्जापुर की स्थिति 25°09′N 82°35′E / 25.15°N 82.58°E[1] पर है। यहां की औसत ऊंचाई 80 मीटर (265 फीट) है।
जनसंख्या[संपादित करें]
उत्तर प्रदेश के एक जिले मिर्जापुर का एक आधिकारिक जनगणना 2011 विवरण, उत्तर प्रदेश में जनगणना संचालन निदेशालय द्वारा जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के जनगणना अधिकारियों ने भी महत्वपूर्ण व्यक्तियों की गणना की।
2011 में, मिर्जापुर की जनसंख्या 2,496, 9 70 थी जिसमें से पुरुष और महिला क्रमशः 1,312,302 और 1,184,668 थी। 2001 की जनगणना में, मिर्जापुर की 2,116,042 आबादी थी, जिसमें पुरुष 1,115,24 9 और शेष 1,000,793 महिलाएं थीं। मिर्जापुर जिला आबादी कुल महाराष्ट्र की जनसंख्या का 1.25 प्रतिशत है। 2001 की जनगणना में, मिर्जापुर जिले के लिए यह आंकड़ा महाराष्ट्र आबादी का 1.27 प्रतिशत था।
2001 के अनुसार आबादी की तुलना में आबादी की तुलना में जनसंख्या में 18.00 प्रतिशत का परिवर्तन हुआ था। भारत की पिछली जनगणना में, मिर्जापुर जिला ने 1991 की तुलना में इसकी आबादी में 27.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
Mirzapur Table Data[संपादित करें]
Description | 2011 | 2001 |
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Actual Population | 2,496,970 | 2,116,042 |
Male | 1,312,302 | 1,115,249 |
Female | 1,184,668 | 1,000,793 |
Population Growth | 18.00% | 27.44% |
Area Sq. Km | 4,405 | 4,405 |
Density/km2 | 567 | 476 |
Proportion to Uttar Pradesh Population | 1.25% | 1.27% |
Sex Ratio (Per 1000) | 903 | 897 |
Child Sex Ratio (0-6 Age) | 902 | 929 |
Average Literacy | 68.48 | 55.31 |
Male Literacy | 78.97 | 69.59 |
Female Literacy | 56.86 | 39.26 |
Total Child Population (0-6 Age) | 410,621 | 425,405 |
Male Population (0-6 Age) | 215,841 | 220,577 |
Female Population (0-6 Age) | 194,780 | 204,828 |
Literates | 1,428,683 | 935,101 |
Male Literates | 865,837 | 622,631 |
Female Literates | 562,846 | 312,470 |
Child Proportion (0-6 Age) | 16.44% | 20.10% |
Boys Proportion (0-6 Age) | 16.45% | 19.78% |
Girls Proportion (0-6 Age) | 16.44% | 20.47% |
Mirzapur District Density 2011[संपादित करें]
The initial provisional data released by census India 2011, shows that density of Mirzapur district for 2011 is 567 people per sq. km. In 2001, Mirzapur district density was at 476 people per sq. km. Mirzapur district administers 4,405 square kilometers of areas.
आवागमन[संपादित करें]
- वायु मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा बाबतपुर (वाराणसी विमानक्षेत्र) है। वाराणसी से मिर्जापुर 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, आगरा, मुम्बई, लखनऊ और काठमांडू आदि से वायुमार्ग द्वारा मिर्जापुर पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग
मिर्जापुर रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनें जैसे कालका मेल, पुरूषोतम एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, गंगा ताप्ती, त्रिवेणी, महानगरी एक्सप्रेस, हावड़-मुम्बई आदि द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग
मिर्जापुर सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, दिल्ली और कलकत्ता आदि जगह से सड़कमार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता हैं।
प्रमुख आकर्षण[संपादित करें]
तारकेश्वर महादेव[संपादित करें]
विन्ध्याचल के पूर्व में स्थित तारकेश्वर महादेव का जिक्र पुराण में भी किया गया है। मंदिर के समीप एक कुण्ड स्थित है। माना जाता है कि तराक नामक असुर ने मंदिर के समीप एक कुण्ड खोदा था। भगवान शिव ने ही तारक का वध किया था। इसलिए उन्हें तारकेश्वर महादेव भी कहा जाता है। कुण्ड के समीप काफी सारे शिवलिंग स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तारकेश्वर के पश्चिम दिशा की ओर एक कुण्ड और भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया था। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी कहा जाता है कि तारकेश्वर में देवी लक्ष्मी निवास करती हैं। देवी लक्ष्मी यहां अन्य रूप में देवी सरस्वती के साथ वैष्णवी रूप में रहती है।
महा त्रिकोण[संपादित करें]
कहा जाता है कि महा त्रिकोण की परिक्रमा करने से भक्तों की इच्छा पूरी होती है। मंदिर स्थित विन्ध्यावशनी देवी के दर्शन करने के पश्चात् भक्त संकट मोचन मंदिर जाते हैं। इस मंदिर को कालीखोह के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर विन्ध्याचल रेलवे स्टेशन के दक्षिण दिशा की ओर स्थित है। देवी काली और संकट मोचन के दर्शन करने के बाद भक्त अपनी परिक्रमा संत करनागिरी बावली के दर्शन करके पूरी करते हैं। कालीखोह के आस-पास अन्य कई मंदिर जैसे आनन्द भैरव, सिद्धनाथ भैरव, कपाल भैरव और भैरव आदि स्थित है। विन्ध्याचल मंदिर और परिक्रमा पूरी करने के पश्चात् मन को बेहद सुकून प्राप्त होता है। यह पूरी यात्रा महा त्रिकोण के नाम से प्रसिद्ध है।
विन्ध्याचल में त्रिकोण यात्रा का काफी महत्त्व है। त्रिकोण का सही क्र्म है- सर्वप्रथम गंगास्नान के पश्चात् तट पर स्थित विन्ध्यवासिनी देवी का दर्शन। तत्पश्चात् कालीगोह स्थित मां काली का दर्शन। वहां से अष्टभुजी की यात्रा, और फिर लौट कर विन्ध्यवासिनी आकर पुनः दर्शन। इस प्रकार लगभग चौहद किलोमीटर की यह यात्रा होती है। ये तीनों स्थल स्पष्ट रूप से त्रिभुज के तीनों कोणों पर अवस्थित हैं। इस यात्रा का अतिशय महत्त्व है। तन्त्र शास्त्रों में इसे बाह्यत्रिकोण की यात्रा के रूप में मान्यता है। इसी पर आधारित अन्तः त्रिकोण की यात्रा भी होती है।
शिवपुर[संपादित करें]
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम चन्द्र ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध विन्ध्याचल क्षेत्र में ही किया था। माना जाता है कि भगवान श्री राम भगवान शिव के उपासक थे। इस जगह पर भगवान राम ने पश्चिम दिशा की ओर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की थी। इसी कारण यह जगह रामेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुई और इस जगह को शिवपुर के नाम से जाना जाता है।
सीता कुंड[संपादित करें]
अष्टभुजा मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर सीता जी ने एक कुंड खुदवाया था। उस समय से इस जगह को सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। कुंड के समीप ही सीता जी ने भगवान शिव की स्थापना की थी। जिस कारण यह स्थान सीतेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सीता कुंड के पश्चिम दिशा की तरफ भगवान श्री राम चंद्र ने एक कुंड खोदा था। जिसे राम कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त शिवपुर स्थित लक्ष्मण जी ने रामेश्वर लिंग के समीप शिवलिंग की स्थापना की थी, जो कि लक्ष्मणेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है।
चुनार किला[संपादित करें]
चुनार स्थित चुनार किला कैमूर पर्वत की उत्तरी दिशा में स्थित है। इस प्रसिद्ध किले का निर्माण शेरशाह द्वारा करवाया गया था। इस किले के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें मौजूद है। यहां से सूर्यास्त का नजारा देखना बहुत मनोहारी प्रतीत होता है। कहा जाता है कि एक बार इस किले पर अकबर ने कब्जा कर लिया था। उस समय यह किला अवध के नवाबों के अधीन था। किले में सोनवा मण्डप, सूर्य धूपघड़ी और विशाल कुंआ मौजूद है।
गुरूद्वारा बाग[संपादित करें]
श्री गुरू तेग बहादुर जी का यह गुरूद्वारा मिर्जापुर जिले स्थित वाराणसी के दक्षिण से 40 किलोमीटर की दूरी पर अहरौड़ गांव में स्थित है। यह गुरूद्वारा नौवें सिख गुरू, तेग बहादुर को समर्पित है। यह गुरूद्वारा, गुरूद्वारा बाग साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि 1666 में वाराणसी की यात्रा के दौरान गुरू जी इस जगह पर आए थे। इस गुरूद्वारे में एक वर्गाकार हॉल और कई छोटे-छोटे कमरें हैं। गुरूद्वारे की इमारत बेहद खूबसूरत है। गुरूद्वारे के ठीक पीछे एक छोटा सा बगीचा स्थित है। 1742 में प्रकाशित पवित्र गुरू ग्रंथ साहिब की हस्तलिपि आज भी यहां संरक्षित है। इसके अतिरिक्त, गुरूद्वारा बाग साहिब में हाथ से लिखी हुई पोथी, जिसपर गुरू गोविन्द सिंह के हस्ताक्षर हुए हैं, मौजूद है। यह पोथी लोगों के सामने केवल गुरू तेग बहादुर और गुरू गोविन्द सिंह की जयन्ती पर ही प्रदर्शित की जाती है।
पुण्यजल नदी[संपादित करें]
मिर्जापुर और विन्ध्याचल के मध्य बहने वाली इस नदी को पुण्यजल अथवा ओझल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जिस प्रकार सभी यज्ञों में अश्वमेघ यज्ञ और सभी पर्वतों में हिमालय पर्वत प्रसिद्ध है उसी प्रकार सभी तीर्थो में ओझल सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस नदी का जल गंगा नदी के जल के समान ही पवित्र माना जाता है। यह जगह देवी काली का मंदिर, महालक्ष्मी, महासरस्वती और तराकेश्वर महादेव के मंदिर से घिरी हुई है।
टंडा जलप्रपात[संपादित करें]
टंडा जलप्रपाल शहर से लगभग सात मील की दूरी पर स्थित है। टंडा जलप्रपात से कुछ दूरी पर खजूरी बांध और विन्ध्याम झरना भी स्थित है। विन्ध्याम झरना वन विभाग के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। झरने के पास ही पार्क और वन विहार का निर्माण भी किया गया है। प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए काफी संख्या में पर्यटक इस जगह पर आते हैं।
कांतित शरीफ[संपादित करें]
ख्वाजा इस्माइल चिस्ती का मकबरा, कांतित शरीफ में स्थित है। प्रत्येक वर्ष हिन्दू व मुस्लिम दोनों मिलकर उर्स का पर्व मनाते हैं। मकबरे के समीप ही मुगल काल की एक मस्जिद स्थित है। यह मस्जिद काफी लंबी है। जिस कारण इसे लॉगी पहलवान मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
गुरूद्वारा गुरू दा बाघ[संपादित करें]
मिर्जापुर स्थित गुरूद्वारा गुरू दा बाघ काफी प्रमुख गुरूद्वारों में से है। इस गुरूद्वारे का निर्माण दसवें सिख गुरू, गुरू गोविन्द सिंह की याद में करवाया गया था। गुरूद्वारा गुरू दा बाघ शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रामेश्वर महादेव मंदिर[संपादित करें]
रामेश्वर मंदिर मिर्जापुर जिले के विन्ध्याचल में स्थित है। यह जगह राम गया घाट पर, मिर्जापुर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना की थी।
शिक्षा[संपादित करें]
- G. D. Binani Postgraduate College, Mirzapur
- K. B. Postgraduate College, Mirzapur
- Kamla Aryakanya Postgraduate College, Mirzapur
- Smt. Indira Gandhi Govt. Postgraduate College, Lalganj, Mirzapur
- Swami Govindashram Postgraduate College, Mirzapur
- / Govt polytechnic mirzapur ,Mirzapur
- वनस्थली स्नातकोत्तर महाविद्यालय अहरौरा ,मिर्ज़ापुर
- आदर्श इण्टर कालेज अदलहाट, मिर्ज़ापुर
- नगर पालिका इंटर कालेज अहरौरा, मिर्ज़ापुर