मिखाइल बाकूनिन

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मिखाइल बाकूनिन

मिखाइल अलेक्जेंद्रोविच बाकूनिन (रूसी: Михаил Александрович Бакунин; IPA: [mʲɪxɐˈil bɐˈkunʲɪn ; १८१४-१८७६) रूसी अराज्यवादी (अराजकतावादी) विचारक था।

परिचय[संपादित करें]

मिखाइल बाकूनिन की प्रारंभिक शिक्षा संत पीतर्सबर्ग सैनिक विद्यालय में हुई। १८३२ से १८३८ तक वह शाही सेना में रहा। बाद में उसने सेना से त्यागपत्र दे दिया और मास्को तथा बर्लिन विश्वविद्यालयों में दर्शन का अध्ययन किया। १८४३ में वह पेरिस गया; जहाँ उसने पोलैंड के क्रांतिकारियों से संपर्क स्थापित किया। स्विटजरलैंड में भी वह साम्यवादी और समाजवादी आंदोलनों में सक्रिय रहा। १८४७ में ज़ार के आदेश पर रूस न लौटने के कारण राजाज्ञा द्वारा उसकी संपत्ति जब्त कर ली गई। उसी वर्ष उसकी पोलिश और रूसी जनता द्वारा मिलकर रूसी सरकार समाप्त करने की अपील पर ज़ार ने फ्रांस सरकार से बाकूनिन के फ्रांस से निकाल देने की माँग की। अगले दो वर्षों तक वह बर्लिन, प्राग और ड्रेसडेन में क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लेता रहा। इन क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उसे मृत्यदण्ड देने की घोषणा की गई। १८५१ में वह गिरफ्तार करके रूस के हाथों सौंप दिया गया।

ज़ार ने बाद में उसके मृत्युदंड की आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया और १८५५ में उसे साइबेरिया में नजरबंद किया गया। १८६० में वह एक अमरीकी जहाज द्वारा जापान भाग गया, और वहाँ से अमरीका होते हुए १८६१ में लंदन पहुँचा। मार्क्स और एंजेल्स से मिलकर १८६९ में 'सोशलिस्ट डेमाक्रेटिक एलाएंस' की स्थापना की, बाद में वह संस्था इंटरनेशनल वर्किग मेंस एसोसिएशन में सम्मिलित हो गई। १८७२ में वह अपने अत्यधिक उग्र विचारों के कारण फ़र्स्ट इंटरनेशनल से निकाल दिया गया।

बाकूनिन अपने राजनीतिक दर्शन में पूर्णतया अराज्यवादी था। राज्य का उन्मूलन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता उसके समग्र चिंतन के प्रबल पक्ष थे। इटली और स्पेन में उसका मत बहुत फैला। रूस में उसका प्रभाव निहिलिज्म के नाम से प्रसारित हुआ। 'गॉड ऐंड द स्टेट' उसकी महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध कृति है। १८७३ में सक्रिय जीवन से संन्यास लेकर वह स्विट्ज़रलैंड चला गया और मृत्युपर्यंत वहीं रहा।