मानवशास्त्र
मानवशास्त्र या नृविज्ञान (अंग्रेज़ी-Anthropology) मानव, उसकी अनुवांशिकी, संस्कृति और समाज की वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से अध्ययन है। इसके अंतर्गत मनुष्य के समाज के अतीत और वर्तमान के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। सामाजिक नृविज्ञान और सांस्कृतिक नृविज्ञान के तहत मानदंडों और समाज के मूल्यों का अध्ययन किया जाता है। भाषाई नृविज्ञान में पढ़ा जाता है कि कैसे भाषा, सामाजिक जीवन को प्रभावित करती है। जैविक या शारीरिक नृविज्ञान में मनुष्य के जैविक विकास का अध्ययन किया जाता है।
नृविज्ञान एक वैश्विक विद्या है, जिसमे मानविकी, सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञान को एक दूसरे का सामना करने के लिए मजबूर किया जाता है। मानव विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान के समेत मनुष्य उत्पत्ति, मानव शारीरिक लक्षण, मानव शरीर में बदलाव, मनुष्य प्रजातियों में आये बदलावों इत्यादि से ज्ञान की रचना करता है।
सामाजिक-सांस्कृतिक नृविज्ञान, संरचनात्मक और उत्तराधुनिक सिद्धांतों से ज़ोरदार रुप से प्रभावित हुआ है।
शाखा
[संपादित करें]एंथ्रोपोलाजी यानी नृतत्व विज्ञान की कई शाखाएं हैं। इनमें से कुछ हैं:
- सामाजिक सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान,
- प्रागैतिहासिक नृतत्व विज्ञान या आर्कियोलाजी,
- भौतिक और जैव नृतत्व विज्ञान,
- भाषिक नृतत्तव विज्ञान और
- अनुप्रयुक्त नृतत्व विज्ञान
- शारिरीक मानव विज्ञान
सामाजिक-सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान
[संपादित करें]इसका संबंध सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवहार के विभिन्न पहलुओं, जैसे समूह और समुदायों के गठन और संस्कृतियों के विकास से है। इसमें सामाजिक-आर्थिक बदलावों, जैसे विभिन्न समुदायों और के बीच सांस्कृतिक भिन्नताओं और इस तरह की भिन्नताओं के कारणों; विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद; भाषाओं के विकास, टेक्नोलाजी के विकास और विभिन्न संस्कृतियों क बीच परिवर्तन की प्रवृत्तियों का अध्ययन किया जाता है।
प्रागैतिहासिक नृतत्व विज्ञान या पुरातत्व विज्ञान
[संपादित करें]इसमें प्रतिमाओं, हड्डियों, सिक्कों और अन्य ऐतिहासिक पुरावशेषों के आधार पर इतिहास का पुनर्निर्धारण किया जाता है। इस तरह के अवशेषों की खोज से प्राचीन काल के लोगों के इतिहास का लेखन किया जाता है और सामाजिक रीति रिवाजों तथा परम्पराओं का पता लगाया जाता है। पुरातत्व वैज्ञानिक इस तरह की खोजों से उस काल की सामाजिक गतिविधियों का भी विश्लेषण करते हैं। वे अपनी खोज के मिलान समसामयिक अभिलेखों या ऐतिहासिक दस्तावेजों से करके प्राचीन मानव इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं।
भौतिक या जैव नृतत्व विज्ञान
[संपादित करें]इस शाखा का संबंध आदि मानवों और मानव के पूर्वजों की भौतिक या जैव विशेषताओं तथा मानव जैसे अन्य जीवों, जैसे चिमपैन्जी, गोरिल्ला और बंदरों से समानताओं से है। यह शाखा विकास श्रृंखला के जरिए सामाजिक रीति रिवाजों को समझने का प्रयास करती है। यह जातियों के बीच भौतिक अंतरों की पहचान करती है और इस बात का भी पता लगाती है कि विभिन्न प्रजातियों ने किस तरह अपने आप को शारीरिक रूप से परिवेश के अनुरूप ढाला. इसमें यह भी अध्ययन किया जाता है कि विभिन्न परिवेशों का उनपर क्या असर पड़ा. जैव या भौतिक नृतत्व विज्ञान की अन्य उप शाखाएं और विभाग भी हैं जिनमें और भी अधिक विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। इनमें आदि मानव जीव विज्ञान, ओस्टियोलाजी (हड्डियों और कंकाल का अध्ययन), पैलीओएंथ्रोपोलाजी यानी पुरा नृतत्व विज्ञान और फोरेंसिक एंथ्रोपोलाजी.
अनुप्रयुक्त नृतत्व विज्ञान
[संपादित करें]इसमें नृतत्व विज्ञान की अन्य शाखाओं से प्राप्त सूचनाओं का उपयोग किया जाता है और इन सूचनाओं के आधार पर संतति निरोध, स्वास्थ्य चिकित्सा, कुपोषण की रोकथाम, बाल अपराधों की रोकथाम, श्रम समस्या के समाधान, कारखानों में मजदूरों की समस्याओं के समाधान, खेती के तौर तरीकों में सुधार, जनजातीय कल्याण और उनके जबरन विस्थापन भूमि अधिग्रहण की स्थिति में जनजातीय लोगों के पुनर्वास के काम में सहायता ली जाती है।
भाषिक नृतत्व विज्ञान
[संपादित करें]इसमें मौखिक और लिखित भाषा की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन किया जाता है। इसमें भाषाओं और बोलियों के तुलनात्मक अध्ययन की भी गुंजाइश है। इसके जरिए यह पता लगाया जाता है कि किस तरह सांस्कृतिक आदान प्रदान से विभिन्न संस्कृतियों भाषाओं पर असर पड़ा है और किस तरह भाषा विभिन्न सांस्कृतिक रीति रिवाजों और प्रथाओं की सूचक है। भाषायी नृतत्व विज्ञान सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान से घनिष्ठ रूप से संबद्ध है।
शारिरीक मानव विज्ञान
शारिरीक मानव विज्ञान भी मानव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण शाखा है। इस शारिरीक मानव विज्ञान मे मानव की शारीर का अध्ययन किया जाता है। इसमें मानव की उत्पत्ति से लेकर अब तक की उसकी शारिरीक बनावट तथा समय के साथ उसमे क्या बदलाव आए?का अध्ययन किया जाता है।
यह भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- मानवशास्त्र (गूगल पुस्तक ; लेखक - रामनाथ शर्मा, राजेंद्र कुमार शर्मा)
- मानवशास्त्र की शाखाएँ Archived 2023-04-17 at the वेबैक मशीन
- Hey my name is raju OK Aaj hum samjika vigyan Ke bare me padghe OK to samjika kya samjika Jo hamre as pas Ki cheje hare as pas kya ho rah ha Ye janana jaruri ha